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[Hindi] सूखा प्रभावित भारत को करना पड़ सकता है चीनी का आयात

April 28, 2016 3:12 PM |

Sugar Caneगत दो मॉनसूनों में बारिश की कमी के चलते बीते 4 वर्षों में पहली बार भारत को चीनी का आयात करना पड़ सकता है। पिछले दो वर्षों में कमजोर मॉनसून के कारण देश को सूखे का सामना करना पड़ा जिससे अनेक जलाशय सूख गए सिंचाई के श्रोतों में पानी की कमी हो गई। सूखे के चलते महाराष्ट्र में गन्ने की फसल पर काफी बुरा असर पड़ा है। परिणामतः राज्य में गन्ने के उत्पादन में 40 फीसदी तक की गिरावट हो सकती है।

यह खबर जहां भारत के लिए बुरी है वहीं इससे थाइलैंड, पाकिस्तान और ब्राज़ील जैसे प्रतिद्वंदी चीनी उत्पादक देशों का उत्साह बढ़ गया जो दुनिया के चीनी आयातक देशों को चीनी बेचने की तैयारी कर रहे हैं।

उत्पादन में कमी के चलते भारत को अगले वर्ष चीनी आयात करने की आवश्यकता पड़ सकती है। बॉम्बे चीनी व्यापार संघ के अध्यक्ष अशोक जैन ने एक समाचार एजेंसी से बातचीत में कहा कि अगले वर्ष चीनी कम आयात करनी पड़े इसके लिए सरकार को चीनी के निर्यात पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा देनी चाहिए।

महाराष्ट्र में भीषण गर्मी पड़ रही है और मौसम शुष्क बना हुआ है जिसके चलते तालाब पोखर सब सूख गए हैं। पानी की कमी से राज्य के कई इलाकों में जीवन के लिए संकट उत्पन्न हो गया है। महाराष्ट्र के लातूर और बीड तथा उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड ऐसे क्षेत्र हैं जहां लोगों की प्यास बुझाने के लिए टैंकर या ट्रेन से पानी पहुंचाया जा रहा है।

मौसम के वर्तमान हालात से किसानों के माथे पर बल पड़ गए हैं। अगले वर्ष महाराष्ट्र में चीनी का उत्पादन घटकर 50 लाख टन पर आ सकता है। पश्चिमी भारत चीनी मिल संघ के अध्यक्ष बी. बी. थोंबरे ने बताया कि इससे देश में कुल चीनी का उत्पादन घटकर 225 लाख टन पर आ सकता है। जबकि अगले सत्र में कुल 260 लाख टन चीनी की खपत का अनुमान है।

दुनिया के सबसे बड़े चीनी उपभोक्ता देश भारत में चालू सत्र में 25.7 मिलियन टन चीनी उत्पादन का अनुमान है। इसमें अकेले महाराष्ट्र में 8.5 मिलियन टन चीनी उत्पादन की संभावना है। भारतीय चीनी मिलों ने लगभग 1.5 मिलियन टन चीनी निर्यात का करार किया है।

Image Credit: The Hindu

 

 






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