भारत के खगोल-प्रेमियों के लिए आज रात एक खास मौका है। 2025 का पहला सुपरमून, जिसे हार्वेस्ट मून (Harvest Moon) कहा जाता है, सोमवार, 6 अक्टूबर की रात आसमान को रौशन करेगा। यह चाँद अपनी पूर्ण चमक (peak brightness) पर 7 अक्टूबर सुबह 9:17 बजे (भारतीय समय अनुसार) होगा। यह इस साल के तीन लगातार सुपरमून्स में से पहला होगा। इसके बाद 5 नवंबर को बीवर मून (Beaver Moon) और 5 दिसंबर को कोल्ड मून (Cold Moon) दिखाई देंगे। यह जानकारी NASA और अन्य अंतरराष्ट्रीय वेधशालाओं ने दी है।
क्या होता है सुपरमून और क्यों खास है यह?
सुपरमून तब बनता है जब पूर्णिमा का चाँद (Full Moon) अपनी पृथ्वी के सबसे नज़दीकी दूरी (perigee) पर होता है। इस समय चाँद सामान्य से 14% बड़ा और 30% ज्यादा चमकीला दिखाई देता है।
इस बार चाँद पृथ्वी से लगभग 3,61,459 किलोमीटर की दूरी पर रहेगा। यह नज़ारा भारतभर में साफ आसमान और कम रोशनी वाले इलाकों में बेहद सुंदर दिखाई देगा।
क्यों कहा जाता है इसे ‘हार्वेस्ट मून’?
‘हार्वेस्ट मून’ नाम की उत्पत्ति उस समय से हुई है जब किसान फसल कटाई (Harvest) के दौरान चाँदनी का उपयोग करते थे। यह चाँद शरद विषुव (Autumn Equinox) के सबसे पास आने वाली पूर्णिमा होती है, जो इस साल 22 सितंबर को हुआ था। इस रात चाँद लगातार दो दिनों में लगभग 20–25 मिनट के अंतर से उगता है (सामान्यतः यह अंतर 50 मिनट का होता है)। इससे शाम का उजाला लंबा महसूस होता है, जो किसानों के लिए रात तक फसल काटने में सहायक होता था।
भारत में कब और कैसे देखें सुपरमून?
भारत में हार्वेस्ट मून 6 अक्टूबर को शाम 6:10 बजे के आसपास उगेगा और सुबह तक आसमान में रहेगा।
बेहतर दृश्य के लिए:
• शहर की रोशनी से दूर, किसी ग्रामीण या तटीय क्षेत्र में जाएँ।
• पूर्वी क्षितिज (Eastern Horizon) की ओर देखें — यहाँ चाँद सबसे बड़ा और सुंदर दिखेगा, जिसे “Moon Illusion” कहा जाता है।
• ट्राइपॉड कैमरा या दूरबीन (Binoculars) का उपयोग करें, क्योंकि इस दौरान शनि (Saturn) और बृहस्पति (Jupiter) भी दक्षिण-पूर्वी दिशा में चाँद के पास दिखाई देंगे।
यह सुपरमून उसी समय होगा जब Draconid उल्का वर्षा (Meteor Shower) अपने चरम पर होगी। हालांकि, NASA के अनुसार सुपरमून की अधिक रोशनी से कमज़ोर उल्काओं (faint meteors) को देखना थोड़ा कठिन हो सकता है।
सुपरमून सीज़न और आगे आने वाले खगोलीय आयोजन
यह अक्टूबर का सुपरमून तीन महीने के शानदार खगोलीय सीज़न की शुरुआत करेगा, जो भारत समेत पूरे एशिया में दिखेगा:
• 6 अक्टूबर – हार्वेस्ट मून (सुपरमून 1)
• 5 नवंबर – बीवर मून (सुपरमून 2) → 2025 का सबसे बड़ा और चमकीला सुपरमून होगा।
• 5 दिसंबर – कोल्ड मून (सुपरमून 3) → सर्दियों की शुरुआत और लंबी रातों का संकेत।
इसके अलावा, भारत के आसमान में इस अवधि में तीन प्रमुख उल्का वर्षाएँ (Meteor Showers) भी देखने को मिलेंगी:
•21–22 अक्टूबर – ओरायोनिड्स (Orionids)
• 17–18 नवंबर – लियोनिड्स (Leonids)
• 13–14 दिसंबर – जेमिनिड्स (Geminids)
ये सभी घटनाएँ खुले और अंधेरे आसमान में नंगी आँखों से देखी जा सकती हैं।
सांस्कृतिक और खगोलीय महत्व
भारत में हार्वेस्ट मून का गहरा सांस्कृतिक संबंध ‘शरद पूर्णिमा’ से है, जो मानसून के अंत और फसल कटाई की शुरुआत का प्रतीक है। कई भारतीय मान्यताओं के अनुसार, इस रात की चाँदनी औषधीय और शुद्धिकारी होती है। लोग खुले आसमान के नीचे खीर (दूध और चावल की मिठाई) बनाकर रखते हैं, जो इस रात की चाँदनी में रखी जाने पर स्वास्थ्यवर्धक मानी जाती है।
NASA के खगोलविद डेरेक पिट्स कहते हैं-“सुपरमून दुर्लभ नहीं होते, लेकिन ये लोगों को एक साथ आसमान की ओर देखने का अद्भुत मौका देते हैं।”
2025 के बाकी फुल मून कैलेंडर
• 5 नवंबर: बीवर मून (सुपरमून #2)
• 5 दिसंबर: कोल्ड मून (सुपरमून #3)
• अगला पूर्ण चंद्रग्रहण: मार्च 2026 (एशिया, ऑस्ट्रेलिया और उत्तरी अमेरिका से दिखाई देगा)
आसमान में विज्ञान, परंपरा और सौंदर्य का संगम
हार्वेस्ट मून के साथ 2025 का सुपरमून सीज़न शुरू हो चुका है, जो भारत के आकाश में विज्ञान, परंपरा और सौंदर्य का अनोखा संगम लेकर आया है। यह रात सिर्फ एक खगोलीय घटना नहीं, बल्कि धरती और आकाश के बीच एक उजला संवाद होगी।







