
31 दिसंबर 2024 को दक्षिण भारत में पूर्वोत्तर मानसून आधिकारिक तौर पर समाप्त हो गया। हालांकि, इसके बाद भी भूमध्यरेखीय महासागरीय हलचलें (equatorial oceanic disturbances )2-3 सप्ताह तक नियमित रूप से जारी रहती हैं। इससे पहले, श्रीलंका और आसपास के हिस्सों में चक्रवातीय परिसंचरण देखा गया था। इस मौसम प्रणाली के कारण तमिलनाडु तट और कुछ आंतरिक क्षेत्रों में गरज-चमक के साथ बारिश हुई है। यह प्रणाली अब कोमोरिन क्षेत्र में एक व्यापक चक्रवातीय परिसंचरण(cyclonic circulation) के रूप में पहुंच गई है, जिसके साथ प्रायद्वीप के अंदरूनी हिस्सों में एक ट्रफ रेखा फैली हुई है।
इस दिन दक्षिण भारत में बारिश: यह मौसम प्रणाली धीरे-धीरे आगे बढ़ रही है और 13 से 15 जनवरी 2025 के बीच दक्षिण प्रायद्वीप (दक्षिण भारत) को प्रभावित करेगी। जिसके कारण तमिलनाडु, केरल, दक्षिणी तटीय आंध्र प्रदेश, रायलसीमा और दक्षिणी आंतरिक कर्नाटक में लोहड़ी, पोंगल और मकर संक्रांति के दौरान बारिश देखने को मिलेगी। बारिश हल्की से मध्यम होगी, लेकिन इ दौरान कुछ स्थानों पर भारी बारिश भी हो सकती है।
मालदीव और लक्षद्वीप क्षेत्र की ओर प्रणाली: यह मौसम प्रणाली 16 और 17 जनवरी को मालदीव और लक्षद्वीप क्षेत्र की ओर बढ़ जाएगी। इस दौरान दक्षिणी राज्यों में मौसम गतिविधियों(बारिश और ठंडी हवाएं) में कमी देखने को मिलेगी। हालांकि, तटीय तमिलनाडु में हल्की बारिश जारी रह सकती है। इसी दौरान, 16 जनवरी को दक्षिण-पूर्व और मध्य बंगाल की खाड़ी के दक्षिणी हिस्सों में एक और चक्रवातीय परिसंचरण विकसित होने की संभावना है।
सक्रिय मैडेन-जूलियन ऑसिलेशन का प्रभाव: सक्रिय मैडेन-जूलियन ऑसिलेशन (MJO) दक्षिण भारतीय महासागर के पास स्थित है और यह मौसम गतिविधियों की आवृत्ति(बारिश का बार-बार होना) और तीव्रता को बढ़ा रहा है। बंगाल की खाड़ी में बना चक्रवातीय परिसंचरण पूर्व की ओर बढ़ते हुए श्रीलंका के पास पहुंचेगा और 18 जनवरी को तटीय तमिलनाडु के करीब आ जाएगा।
तमिलनाडु और केरल बारिश: 18 से 20 जनवरी के बीच तमिलनाडु और केरल में भारी बारिश और गरज-चमक के साथ बौछारें देखने को मिलेंगी। हालांकि, मौसम गतिविधियां(बारिश) मुख्य रूप से दक्षिणी हिस्सों तक सीमित रहेंगी, लेकिन इनकी तीव्रता इतनी अधिक होगी कि भारी से बहुत भारी बारिश संभव है। रमनाथपुरम, तूतीकोरिन, तिरुनेलवेली, कन्याकुमारी, तोंडी, पंबन, तिरुवनंतपुरम, अलप्पुझा और कोल्लम जैसे स्थानों पर बारिश का ज्यादा असर होगा।
नई प्रणाली के विकास की संभावना: इस मौसम प्रणाली के बाद 3 दिनों के बाद एक और चक्रवातीय परिसंचरण बनने की संभावना है। हालांकि, 4-5 दिनों के बाद मौसम मॉडल की सटीकता कम हो जाती है, इसलिए इस मौसम भविष्यवाणी की विश्वसनीयता और भरोसे का स्तर कम है।