पश्चिमी विक्षोभ का असर: उत्तर-पश्चिम भारत में झमाझम बारिश और हिमपात, लौटेगी ठंड
Jan 31, 2025, 3:12 PM | Skymet Weather Team1 जनवरी से 30 जनवरी के बीच पूरे भारत में भारी वर्षा की कमी दर्ज की गई है, जिससे पूरे देश में 72% वर्षा घाटा रहा है। उत्तर-पश्चिम भारत में स्थिति और भी गंभीर रही, जहां 81% बारिश की कमी देखी गई। इस क्षेत्र में केवल पूर्वी राजस्थान अपवाद रहा, जहां सामान्य से 23% अधिक वर्षा हुई है। जबकि अन्य सभी मौसम विज्ञान विभागीय क्षेत्र या तो "कम" या "बहुत ज्यादा कमी" वाली श्रेणी में रहे है।
उत्तर-पश्चिम भारत में बारिश की संभावना: हालांकि, उत्तर-पश्चिम भारत में यह शुष्क दौर जल्द ही समाप्त होने वाला है क्योंकि लगातार दो पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbances) 1 फरवरी से 4 फरवरी के बीच उत्तर-पश्चिम भारत और पश्चिमी हिमालयी क्षेत्रों पर असर करने वाले हैं। इन दोनों प्रणालियों (पश्चिमी विक्षोभ) के प्रभाव से इस क्षेत्र में अच्छी वर्षा और बर्फबारी देखने को मिलेगी।
पंजाब/हरियाणा में बारिश की शुरुआत: पहला पश्चिमी विक्षोभ 1 फरवरी से पंजाब में छिटपुट वर्षा की शुरुआत करेगा, जबकि उत्तर हरियाणा में भी हल्की बारिश होने की संभावना है। धीरे-धीरे यह बारिश पूरे क्षेत्र में फैल जाएगी। 3 और 4 फरवरी को दूसरा मजबूत पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होगा। जिससे पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और दिल्ली-एनसीआर के कुछ हिस्सों में अच्छी बारिश गरच-चमक के साथ होने की संभावना है।
पश्चिमी हिमालय में भारी हिमपात: पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र में 1 से 4 फरवरी के बीच मध्यम से भारी हिमपात देखने को मिलेगा। सबसे अधिक बर्फबारी 1, 2 और 4 फरवरी को हो सकती है। ऊंचे पहाड़ी इलाकों में भारी हिमपात होने के कारण सड़क मार्ग और मौसम संबंधी स्थितियों में व्यापक प्रभाव देखने को मिल सकता है।
तापमान में उतार-चढ़ाव के संकेत: पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव के कारण उत्तर-पश्चिम और मध्य भारत के न्यूनतम तापमान 4 फरवरी तक सामान्य से ऊपर बने रहेंगे। लेकिन इसके बाद बर्फ से ढकी पहाड़ियों से आने वाली ठंडी उत्तरी हवाएं पूरे क्षेत्र में फैल जाएंगी, जिससे तापमान में तेजी से गिरावट होगी। पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, गुजरात, पश्चिमी मध्य प्रदेश और उत्तरी महाराष्ट्र में फिर से ठंड बढ़ जाएगी, जिससे सर्दियों की वापसी होगी।
कृषि क्षेत्र को मिलेगी राहत: यह बारिश और हिमपात कृषि क्षेत्र के लिए फायदेमंद साबित होगा। खासकर रबी फसल की बुआई वाले क्षेत्रों में यह नमी बहाल करने में मदद करेगा, जिससे फसलों की बढ़त में सुधार होगा। जनवरी में हुई वर्षा की कमी के कारण मिट्टी में जो नमी की कमी देखी जा रही थी, वो आने वाली बारिश से काफी हद तक पूरी हो जाएगी।
1 से 4 फरवरी के बीच उत्तर-पश्चिम भारत में वर्षा और हिमपात के रूप में राहत मिलेगी। यह न केवल सूखे जैसी स्थिति को दूर करेगा बल्कि कृषि के लिए भी लाभदायक होगा। हालांकि, पश्चिमी विक्षोभ के गुजरने के बाद ठंडी हवाएं पूरे क्षेत्र में ठंड बढ़ा सकती हैं, जिससे आगे मौसम की कठिन परिस्थितियां देखने को मिल सकती हैं।