सोने की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर: आखिर कहां से आ रहा है ये सोना?

Apr 22, 2025, 7:30 PM | Skymet Weather Team
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सोने की बढ़ती कीमत

दुनिया भर में सोने की कीमतें नए रिकॉर्ड तोड़ रही हैं। ऐसे में ये सवाल उठना लाजिमी है कि ये सोना आखिर आ कहां से रहा है और क्या यह रुझान भविष्य के लिए अच्छा संकेत है? सोने की बढ़ती कीमतों ने एक बार फिर से इस कीमती धातु की आपूर्ति, मांग और इसके पर्यावरणीय प्रभावों पर ध्यान खींचा है।

गोल्ड बुलियन और बार: वैश्विक स्तर पर हो रहा कारोबार

आज की तारीख में सोने का बड़ा हिस्सा अंतरराष्ट्रीय लेन-देन का हिस्सा है। बुलियन (सोने की ईंटें) और बार का आदान-प्रदान देशों के बीच बड़ी मात्रा में हो रहा है। इसके अलावा, केंद्रीय बैंक और सॉवरेन वेल्थ फंड जैसे बड़े संस्थागत निवेशक भी लगातार सोना खरीद रहे हैं, जिससे कीमतों में और तेजी आ रही है।

सोने की माइनिंग: फायदे के साथ भारी नुकसान भी

हालांकि सोने की खनन उद्योग बहुत लाभकारी है, लेकिन इसके गंभीर पर्यावरणीय और नैतिक प्रभाव भी हैं। सोने को धरती से निकालने की प्रक्रिया में सायनाइड जैसे जहरीले रसायनों का इस्तेमाल होता है, जो पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य दोनों के लिए नुकसानदायक हैं। इसके अलावा इस उद्योग से वनों की कटाई, जल प्रदूषण और भूमि की गुणवत्ता में गिरावट जैसी समस्याएं भी जुड़ी हैं।

सोना उत्पादन: कुछ क्षेत्रों में उछाल, कुछ में गिरावट

दुनियाभर में सोने का उत्पादन दोराहे पर खड़ा है। कुछ जगहों पर रिकॉर्ड उत्पादन हो रहा है, लेकिन समग्र रूप से देखें तो उत्पादन में गिरावट देखी जा रही है। इसका कारण है- कठिन खनिज क्षेत्रों तक पहुंच, पर्यावरणीय नियमों की सख्ती, और खनन की बढ़ती लागत। नई माइनिंग परियोजनाएं पहले की तुलना में बहुत कम शुरू हो रही हैं।

भारत में कहां से आता है सोना?

भारत का सोना सिर्फ आयात से नहीं आता, बल्कि देश की मिट्टी में भी इसकी चमक छिपी है। कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, झारखंड और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में सोने की खदानें हैं, जो घरेलू आपूर्ति को बढ़ावा देती हैं।

भारत की प्रमुख सोने की खदानें:

कर्नाटक(मौसम पूर्वानुमान) – कोलार गोल्ड फील्ड्स, हुट्टी गोल्ड माइंस

आंध्र प्रदेश (मौसम पूर्वानुमान) – रामागिरी गोल्ड फील्ड

झारखंड (मौसम पूर्वानुमान)– लावा और परासी गोल्ड माइंस

उत्तर प्रदेश(मौसम पूर्वानुमान) – सोनभद्र (सोन पहाड़ी, हारदी)

राजस्थान (मौसम पूर्वानुमान)– भूकिया-जगपुरा गोल्ड ब्लॉक

छत्तीसगढ़(मौसम पूर्वानुमान) – सीमित क्षेत्रों में

महाराष्ट्र (मौसम पूर्वानुमान)– प्रारंभिक खोजें

इन स्थानों से न सिर्फ भारत की सोने की संभावनाएं झलकती हैं, बल्कि टिकाऊ और जिम्मेदार माइनिंग को लेकर बढ़ती जागरूकता भी नजर आती है।

सोना बनाम अन्य संसाधन: तेल और लिथियम से तुलना

सोने की माइनिंग और अन्य संसाधनों जैसे तेल और लिथियम की खुदाई में कुछ समानताएं हैं-जैसे उच्च ऊर्जा खपत और पर्यावरणीय प्रभाव। तेल से ग्रीनहाउस गैसें निकलती हैं, जबकि सोने की खुदाई से जहरीला अपशिष्ट और पारिस्थितिक नुकसान होता है। लिथियम, जो इलेक्ट्रिक वाहनों के बैटरियों में इस्तेमाल होता है, उसका खनन जल संकट पैदा कर सकता है।

सोने के वैज्ञानिक उपयोग: सिर्फ गहनों तक सीमित नहीं

सोना सिर्फ आभूषण और मुद्रा तक सीमित नहीं है, बल्कि विज्ञान और तकनीक में इसका खास महत्व है। यह उत्कृष्ट विद्युत चालक है और इसका इस्तेमाल इलेक्ट्रॉनिक चिप्स, सर्किट्स और माइक्रोचिप्स में किया जाता है। इसके अलावा, चिकित्सा में भी सोने के नैनोपार्टिकल्स का उपयोग कैंसर जैसी बीमारियों के इलाज में होता है, क्योंकि ये सिर्फ बीमार कोशिकाओं को निशाना बनाते हैं।

कीमतें तो बढ़ रहीं, लेकिन पर्यावरण को हो रहा नुकसान

सोने की कीमतें वैश्विक वित्तीय अस्थिरता, मांग में वृद्धि और निवेशकों की रणनीतियों से प्रभावित हो रही हैं। लेकिन सोने की माइनिंग से जुड़े पर्यावरणीय और नैतिक पहलुओं की अनदेखी नहीं की जा सकती। आगे बढ़ते हुए, टिकाऊ और पर्यावरण-संवेदनशील खनन ही भविष्य का रास्ता होगा, ताकि सोने की चमक हमारे ग्रह की सेहत को फीका न करे।

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