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[Hindi] मॉनसून 2018 की प्रमुख गतिविधियां; कहीं पड़ा सूखा तो कुछ राज्य बाढ़ में तड़पे

October 2, 2018 2:01 PM |

Flood in Uttar Pradesh_Down To Earth 600

दक्षिण-पश्चिम मॉनसून का प्रदर्शन 2018 में भी कमजोर रहा। बीते 5 वर्षों में कुछ इसी तरह की स्थिति देखने को मिली है। 2014 और 2015 में सूखे जैसे हालात बने। जबकि2016 में 97% बारिश रिकॉर्ड की गई। 2017 में 95% वर्षा दर्ज की गई। लेकिन 2018 में बारिश में और कमी आई और मॉनसून 91% बारिश देकर संपन्न हुआ। स्थितियाँ लगभग सूखे जैसी बन गई थीं लेकिन आखिर में हुई बारिश ने संभाल लिया। अब तक के मॉनसून के इतिहास पर नज़र डालें तो मॉनसून लगातार दो वर्षों में एक जैसा नहीं रहता है।

देखते हैं 2018 में मॉनसून के प्रदर्शन की मुख्य हाइलाइट्स

मॉनसून 2018 इस बार अपने तय समय पर आ गया और शुरुआती दिनों में अच्छी बारिश देखने को मिली। हालांकि 10 जून तक तेज़ी से आगे बढ़ने के बाद मॉनसून ठहर सा गया। इसके चलते पूर्वी भारत और उत्तर प्रदेश में इसके आगमन में काफी देरी हुई। लेकिन पूर्वी भारत से आगे बढ़ते हुए इसने आगे की प्रगति बहुत कम समय में की और उत्तर प्रदेश को पार करते हुए उत्तर भारत के भागों में यह तय समय से लगभग 15 दिनों पहले पहुंच गया।

ला नीना के साथ शुरू हुआ था मॉनसून 2018

दक्षिण पश्चिम मॉनसून 2018 की शुरुआत ला-नीना कंडीशन के साथ हुई थी। लेकिन जल्द ही समुद्र में परिस्थितियां बदलीं और उभरते हुए अल-नीनो का परिदृश्य दिखाई देने लगा। उभरते अल-नीनो के कारण जून से लेकर सितंबर तक के 4 महीनों के मॉनसून सीजन में लगातार बारिश में कमी आती गई। सितंबर में मॉनसून बेहद सुस्त रहा और बारिश में व्यापक कमी आई। सितंबर महीने में सामान्य से लगभग 22% कम वर्षा रिकॉर्ड की गई।

इसके चलते परिस्थितियां सूखे जैसी बनने वाली थी लेकिन चक्रवाती तूफान 'डे'के कारण हालात बदले और कह सकते हैं कि चक्रवाती तूफान 'डे' ने मॉनसून 2018 को सूखा घोषित होने से बचा लिया।

उत्तर भारत में अच्छा रहा मॉनसून

इस बार मॉनसून का प्रदर्शन पूर्वोत्तर भारत में सबसे ज्यादा कमजोर रहा। जबकि उत्तर भारत में इसका अच्छा प्रदर्शन देखने को मिला, जहां पंजाब में सामान्य से 7% अधिक वर्षा रिकॉर्ड की गई। इसी तरह जम्मू कश्मीर में 12% अधिक और हिमाचल प्रदेश में 11% अधिक मॉनसून वर्षा हुई। वर्षा पर आश्रित मध्य भारत के राज्यों मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में मॉनसून का प्रदर्शन संतुलित रहा। इन राज्यों में ठीक-ठाक बारिश हुई। हालांकि महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र में सामान्य से 22% कम बारिश हुई जो आमतौर पर सूखे जैसे हालात का सामना करता है।

दूसरी तरफ ओड़ीशा में पिछले एक दशक से सामान्य से अधिक बारिश हर बार मॉनसून सीजन में होती आ रही है। इस बार भी इस स्थिति में बदलाव नहीं हुआ।

दक्षिण भारत में महज़ केरल में सामान्य से अधिक बारिश हुई है। इस बार 23 फीसदी अधिक बारिश रिकॉर्ड की गई। जबकि रायलसीमा में सामान्य से 37 फीसदी कम बारिश देखने को मिली। इसी तरह लक्षद्वीप में भी मॉनसून का प्रदर्शन काफी कमजोर रहा और सामान्य से 45 प्रतिशत कम वर्षा हुई।

मॉनसून 2018 की विदाई चक्रवाती तूफान  के साथ हुई

मॉनसून 2018 सीजन की शुरुआत अरब सागर में उठे एक चक्रवाती तूफान के साथ हुई थी और इसकी विदाई भी बंगाल की खाड़ी में बने चक्रवाती तूफान 'डे'के साथ हुई। चार महीनों के मॉनसून सीजन में सबसे अधिक बारिश जुलाई और अगस्त में होती है। इन दोनों महीनों को एक दूसरे का पूरक महीना भी माना जाता है। यानी अगर जुलाई में बारिश कम होती है तो अगस्त उसकी भरपाई करता है और अगर अगस्त में मॉनसून कमजोर रहने वाला होता है तो जुलाई पहले ही व्यापक बारिश देकर विदा होता है।

आखिर में कहें कि अगर बारिश में थोड़ी सी कमी और रह जाती तो वर्ष 2018 के मॉनसून को सूखे मॉनसून के तौर पर याद किया जाता। इस बीच भी कुछ राज्य ऐसे रहे जहां बाढ़ जैसी स्थितियां देखने को मिली। मध्य प्रदेश, केरल, गुजरात, उत्तर प्रदेश, बिहार और पूर्वोत्तर राज्यों को कुछ समय के लिए बाढ़ का सामना भी करना पड़ा।

Image credit: DownTo Earth

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