
समूची कश्मीर घाटी में इस सीजन की सबसे भारी बारिश दर्ज की गई। डोडा, रजौरी, पुंछ, बारामूला और श्रीनगर समेत कश्मीर घाटी के अधिकांश इलाकों पर बर्फ की सफ़ेद चादर अब बीच गई है। इन सभी भागों में लगातार 4 दिन बर्फबारी दर्ज की गई और 48 घंटों के दौरान भारी बर्फबारी दर्ज की गई। कश्मीर के लोकप्रिय पर्यटन स्थलों गुलमर्ग, पहलगाम, बनिहाल और काज़ीगुण्ड में भी सीजन की सबसे भारी बर्फबारी इसी दौरान देखने को मिली है। लद्दाख में दिन का तापमान भी शून्य से नीचे पहुँच गया था। लेह में -1°C, कारगिल में -2°C, स्कार्दू में -3°C, और नुबरा में -1°C अधिकतम तापमान दर्ज किया गया।
इस बीच एक नया पश्चिमी विक्षोभ फिर से उत्तर भारत की तरफ आ रहा है। इसके चलते 8 जनवरी को कश्मीर पर एक नया स्पेल बारिश और बर्फबारी का दौर देखने को मिलेगा। उसके बाद लंबे समय के लिए बारिश या बर्फबारी नहीं होगी और मौसम लंबे समय के लिए शुष्क बना रहेगा। आगामी 6-7 दिनों के दौरान श्रीनगर समेत राज्य के अधिकांश इलाकों में मौसम अच्छा होगा और धूप भी दिखेगी। इससे दिन के तापमान में जहां कुछ वृद्धि होगी वहीं रात के तापमान में और गिरावट से मुसीबत बढ़ सकती है। चिलई कलाँ की वापसी हो सकती है और संभवतः यह पिछले समय में आए चिलई कलाँ से ज़्यादा कठिन हो सकता है। जलाशयों में पानी फिर से जम सकता है।
मौसम साफ होने से जहां सड़कों पर जमा बर्फ हटेगी और यातायात सामान्य हो जाएगा वहीं कुछ ऊंचाई वाले क्षेत्रों में जमा बर्फ का अंबार धूप के कारण बढ़ते तापमान से नीचे की तरफ खिसकेगा, इससे रास्ते बंद हो सकते हैं। कुछ स्थानों पर यह घटनाएँ सामान्य जन-जीवन को शुष्क मौसम के बीच भी प्रभावित कर सकती हैं। बर्फ दरकने की इन घटनाओं को ही अवलांच कहा जाता है।
इन संभावनाओं को देखते हुए अगले एक सप्ताह के लिए जम्मू कश्मीर के अधिकांश इलाकों में चुनौतियाँ बनी रहेंगी इसलिए बाहर निकलते समय बेहद एहतियात बरतने की आवश्यकता है। सेना के जवानों के लिए भी मुश्किलें हो सकती हैं क्योंकि उत्तरी सीमाएं भी बर्फ से ढँकी हुई हैं। निचले इलाकों से ऊंचाई वाले क्षेत्रों में परिवहन में मुश्किलें काफी बढ़ सकती हैं।
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