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[Hindi] मॉनसून 2019: धीमी हुई मॉनसून की रफ़्तार, 7 जून के आसपास आगमन का अनुमान

May 31, 2019 6:21 PM |

monsoon 2019 latest news

स्काइमेट ने अपने पहले मॉनसून 2019 पूर्वानुमान में बताया था कि 4 जून (+/- 2 दिन ) तक मॉनसून केरल में दस्तक दे देगी। हालांकि, मॉनसून की सुस्त गति के कारण स्काइमेट का मानना है कि इस साल मॉनसून के लिए लोगों को और इंतज़ार करना पड़ सकता है।

इस समय चल रही मौसमी गतिविधियों को देखते हुए मौसम विशेषज्ञों का मानना है कि मॉनसून 2019 का आगमन इस साल 7 जून (+/- 2 दिन ) के आसपास होगा। स्काइमेट के मौसम विज्ञान और जलवायु परिवर्तन अध्यक्ष जी पी शर्मा ने बताया कि “मानसून की गतिशीलता बदल रही है। मॉनसून की शुरुआत की घोषणा के लिए आवश्यक कारकों में से अब तक एक भी कारक पूरा होता नहीं दिख रहा है। मॉनसून की धीमी गति के कारण परिस्थितियों को इसके अनुकूल बनने में कुछ और दिन लगेंगे।

आमतौर पर खाड़ी द्वीप समूह पर मॉनसून का आगमन 20 मई तक होता है। लेकिन, इस बार मॉनसून 2019 ने थोड़ा पहले यानि 18 मई को ही खाड़ी द्वीप समूह पर दस्तक दे चुका है। इसके अलावा 27 मई तक, मॉनसून ने अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के कुछ और हिस्सों को कवर किया और 30 मई तक, यह पोर्ट ब्लेयर सहित बंगाल की खाड़ी के कुछ हिस्सों को कवर किया।

आमतौर पर, 25 मई तक मॉनसून की उत्तरी सीमा (एनएलएम) पोर्ट ब्लेयर के साथ-साथ श्रीलंका को भी कवर कर लेती है।हालांकि, इस समय मॉनसून की प्रगति बेहद सुस्त बनी हुई है या कह सकते हैं कि लगभग एक सप्ताह से मॉनसून पूरी तरह से स्थिर है।

मॉनसून 2019 के आगमन में हो रहे देरी के कारण :

सोमालिया के ऊपर बने निम्न दाब वाले क्षेत्र: सोमालिया तट पर कम दबाव का क्षेत्र बन गया है, जो हवा के गति को नियंत्रित कर रहा है। इस मौसमी सिस्टम ने हवा से नमी को छीन लिया है और अरब सागर के पश्चिमी भागों पर लगातार चल रहे तेज़ हवाओं की गति को रोक दिया है, जो कि अंततः केरल तक पहुंचता है।

मध्य अरब सागर के ऊपर बने विपरीत चक्रवाती क्षेत्र: स्काइमेट पहले ही संकेत दे चुका है कि यह सिस्टम पश्चिमी तटीय भागों पर चल रही उत्तरी हवाओं को आगे बढ़ा रहा है। यह हवाएँ तटीय इलाकों के ऊपर बारिश के लिए मददगार नहीं है।

सोमाली जेट: यह मॉनसून की शुरुआत और इसकी वृद्धि के लिए जरुरी घटना है। सोमाली जेट तेज हवाओं का केंद्र है। यह हवाएँ केन्या से निकलती हैं और जब सोमाली तट के साथ बहती है तब पार-भूमध्यरेखीय बहाव के हिस्से के रूप में भूमध्य रेखा को पार करती है और अंत में हिंद महासागर में प्रवेश करती है और केरल की ओर बढ़ती है। यह पैटर्न अब तक स्थापित ही नहीं हुआ है।

Tropical-Easterly-Jet-or-African-Easterly-Jet

कैसी रहेगी मॉनसून 2019 की आगे की राह

स्काईमेट के मौसम विशेषज्ञों का मानना है कि धीरे-धीरे मौसम की स्थिति बदलेगी। अगले 48 घंटों में दक्षिण-पश्चिमी मॉनसून 2019 की यात्रा में आने वाली सभी रुकावट खत्म होने की संभावना है। हालांकि, मॉनसून का आगमन अचानक से नहीं होगा क्योंकि अनुकूल मौसम की स्थिति बनने में कुछ और दिन लगेंगे।

6 जून के आसपास दक्षिण-पूर्वी अरब सागर और इससे सटे लक्षद्वीप समूह के भागों पर एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र का क्षेत्र विकसित हो सकता है। यह मौसमी सिस्टम केरल में मॉनसून की शुरुआत के लिए जिम्मेदार हो सकता है।

जैसा कि दोहराया गया है, स्काईमेट मॉनसून 2019 की उम्दा शुरुआत की उम्मीद नहीं करता है। यह एक कमजोर शुरुआत होगी क्योंकि मौसम प्रणाली पर्याप्त बारिश का संकेत नहीं दे रही है। मॉनसून 2019 शुरुआत के तुरंत बाद इसकी गति धीमी हो सकती है।

जी पी शर्मा के अनुसार, संभावित मौसम प्रणाली तटीय भागों से दूर पश्चिमी दिशा में आगे बढ़ रही है। यह धीरे-धीरे ताकत हासिल कर लेगा। नतीजतन, जब नम हवाएँ मौसम प्रणाली के आसपास केंद्रित हो जाती है, जिससे भारतीय भूस्खलन में कम वर्षा होती है। शर्मा ने बताया कि बारिश तभी लौटेगी, जब सिस्टम दूर हो जाएगा।

मॉनसून 2019 के शुरुआत के लिए जरुरी कारक:

बारिश: पहला और सबसे महत्वपूर्ण मापदंड है मॉनसून के आने से पहले बारिश का बढ़ना और इसके लिए निर्धारित नियमों के अनुसार 10 मई के बाद केरल, कर्नाटक और लक्ष्यद्वीप के पूर्व निर्धारित 14 स्थानों मिनिकॉय, अमीनी दिवी, तिरुअनंतपुरम, पुनल्लूर, कोल्लम, अलप्पुझा, कोट्टायम, कोची, त्रिशूल, कोझिकोड, थालसरी, कन्नूर, कुडलू और बेंगलुरु में 60% से अधिक स्थानों पर लगातार दो दिन या दो से अधिक दिन 2.5 मिलीमीटर बारिश होने पर दूसरे दिन केरल में मॉनसून के आगमन की घोषणा कर दी जाती है।

हवा: इसके अलावा हवाओं की दिशा में बदलाव दूसरा और महत्वपूर्ण मापदंड है। जब पश्चिमी हवा भूमध्य रेखा के पास से 600 hPa पर चलने लगती है और 5 डिग्री से 10 डिग्री उत्तरी अक्षांश तथा 70 डिग्री से 80 डिग्री पूर्वी देशांतर क्षेत्र में हवाओं की रफ्तार 30 से 40 किलोमीटर प्रति घंटे की होती है। तब माना जाता है कि मॉनसून आ गया है।

ओएलआर: इसके अलावा तीसरा कारण है आउटगोइंग लॉन्गवेब रेडिएशन यानी ओ एल आर। ओएलआर 5 डिग्री से 10 डिग्री उत्तरी अक्षांश और 70 से 75 डिग्री पूर्वी देशांतर के पास 200 mw2 के आस-पास होना जरूरी है।

Also Read In English: Wait for Monsoon 2019 gets longer, onset likely on June 7

Image Credit: The Hindu

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