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[Hindi] बिहार का साप्ताहिक मौसम पूर्वानुमान (11 से 17 अप्रैल, 2020) और फसल सलाह

April 11, 2020 1:36 PM |

बिहार में इस सप्ताह यानि 11 से 17 अप्रैल के बीच कई इलाकों में बारिश के आसार हैं। इस समय जो संकेत मिल रहे हैं उनके अनुसार बिहार के उत्तरी और उत्तर-पूर्वी जिलों में कई दिनों तक बारिश की गतिविधियां देखने को मिल सकती हैं।

पहले 12 अप्रैल को उत्तर-पूर्वी हिस्सों में हल्की वर्षा की संभावना है। उसके बाद 13 और 14 अप्रैल को समूचे बिहार में मौसम मुख्यतः शुष्क और साफ बना रहेगा।

15 अप्रैल से बिहार में आर्द्र काफी पहुंचनी शुरू होगी जिसके चलते 15 से 17 अप्रैल के बीच राज्य के कई इलाकों में बादल छाए रहेंगे।

इस दौरान गया, भागलपुर, दरभंगा, कटिहार, सहरसा, समस्तीपुर, किशनगंज, अररिया, पुर्णिया, मधुबनी, सीतामढ़ी, समस्तीपुर, चंपारण जैसे इलाके प्रभावित हो सकते हैं। पटना में धूलभरी आँधी के साथ गर्जना और हल्की वर्षा की गतिविधियां इस सप्ताह देखने को मिल सकती हैं।

बिहार के किसानों के लिए फसल सलाह

गरमा मूंग के लिए सलाह

मौसम की वर्तमान परिस्थितियों में गरमा मूंग की बिजाई की जा सकती है। बीजों का राइजोबियम और पी.एस.बी. कल्चर अवश्य करें। ध्यान रखें कि बीज 4 से 5 सेमी गहराई में जाएं। पुष्पण एवं फलन के समय खेत में उचित नमी रहनी चाहिए लेकिन खेत या इसके थाले मे पानी जमा न होने दें अन्यथा फूल झड़ने लगता है और विकसित हो रहे फल पीले होकर गिर जाते हैं।

रबी फसलों के लिए सलाह

तैयार गेहूं, चना, अरहर इत्यादि फसलों की कटाई करें। रबी फसल के रूप में देर से बोई गई दलहनी फसल राजमा (किडनी बीन) की कटाई करें। थ्रेशिंग के बाद 3-4 दिनों तक धूप में सुखाकर ही भंडारण करें। खेती के काम निपटाते समय कोरोना वायरस से बचाव के लिए सोशल डिस्टेंसिंग का अवश्य पालन करें। 

सिंचाई के लिए सुझाव

गरमा फसलों के लिए सिंचाई की अधिक ज़रूरत होती है। सामान्य सिंचाई पद्धति से सिंचाई करने से अधिक खर्च के साथ-साथ जल की बर्बादी भी होती है। इसलिए लोबिया सहित अन्य गरमा फसलों में ड्रिप सिंचाई तकनीक का अधिक से अधिक प्रयोग करें। इस उन्नत तकनीक द्वारा पौधों के जड़ों के पास जल व उर्वरक द्रव के रूप में बूँद- बूँद करके उतना ही मात्रा में पहुँचता है जिसे पौधे उसे ग्रहण कर सके और वाष्पोत्सर्जन कर सकें।

अरहर के लिए सुझाव

अरहर की फसल पकने के बाद इसमें ढोरा भृंग कीट का प्रकोप होने भी लगता है। प्रभावित दाने खाने एवम् बीज योग्य नहीं रह जाते हैं। इसके प्रकोप को खत्म करने के लिए थ्रेशिंग के बाद अरहर के दानों को धूप में तब तक सुखाएँ जब तक कि 90% नमी खत्म ना हो जाए।

Image credit: Uday India

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