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[Hindi] बिहार का साप्ताहिक मौसम पूर्वानुमान (25 अप्रैल से 1 मई, 2020) और फसल सलाह

April 25, 2020 2:28 PM |

आइए जानते हैं बिहार में इस सप्ताह यानि 25 अप्रैल से 1 मई के बीच कैसा रहेगा मौसम। साथ ही जानेंगे फसलों से जुड़ी सलाह भी।

इस साल प्री-मॉनसून सीजन में बिहार में सामान्य से अधिक वर्षा हो रही है। 1 मार्च से 24 अप्रैल के बीच बिहार में सामान्य से 354 प्रतिशत बारिश अधिक हुई है। इस सप्ताह भी बंगाल की खाड़ी से नमी लेकर हवाएं बिहार की तरफ आती रहेंगी जिनके परिणाम स्वरूप 29 अप्रैल तक बिहार के कई जिलों में प्री-मॉनसून वर्षा जारी रहने की संभावना है।

पूर्वी तथा दक्षिण-पूर्वी जिलों में मध्यम वर्षा होने की भी आशंका है। 30 अप्रैल बिहार का मौसम में एक बार फिर से मौसम शुष्क और साफ हो जाएगा जिससे दिन के तापमान में वृद्धि देखने को मिलेगी। उससे पहले तापमान सामान्य से नीचे ही बना रह सकता है।

बिहार के किसानों के लिए फसल सलाह

वर्षा के अनुमान को देखते हुए किसान बंधुओं को सलाह है कि काटी जा चुकी फसलों को सुनिशित करें। वर्तमान तथा अपेक्षित मौसम में रेड पंपकिन बीट्ल कीट कद्दू, नेनुआ, करैला, परवल, खीरा-ककड़ी आदि की पतियों को खुरच कर खाते हैं पौधों के जोड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं। इसके नियंत्रण के लिए मौसम साफ होने पर मैलाथियान 5% पाउडर का 25 किग्रा प्रति हेक्टेयर की दर से सुबह में भुरकाव करें। 

प्याज में थ्रिप्स कीट के प्रकोप से पत्तियों पर सफेद दाग बनते हैं जिससे पत्तियां सूखकर नीचे की तरफ ऐंठ जाती हैं तथा फसल झूलस जाती है। इससे व्याज के कन्द छोटे बनते हैं। इसके उपचार हेतु साफ मौसम में इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एस.एल 1 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

गरमा फसलों में निराई-गुड़ाई करें, इससे जड़ों को फैलने, लाभदायक जीवाणुओं की संख्या बढ़ाने और जड़ों के पास हवा पहुँचने में मदद मिलती है।

गर्मी में फसलों में अधिक सिंचाई की आवश्यकता होती है। ध्यान रहे कि कम गहरी तथा हल्की मिट्टी वाले खेतों में अगर फसल है तो कम अंतराल पर हल्की सिंचाई करें जबकि भारी मिट्टी वाली जमीन में उगाई जाने वाली फसल में थोड़े अधिक अंतराल पर सिंचाई करें।

उथली जड़ वाले पौधों में दो सिंचाई के बीच कम अंतराल रखें। क्योंकि उनके जड़ के पास अधिक दिन तक पानी नहीं टिकता, लेकिन गहरी जड़ वाली फसलों में कुछ अधिक अन्तराल पर सिचाई कर सकते हैं।

मूंग और लोबिया में अधिक अंतराल पर सिंचाई दे अन्यथा इनकी वानस्पतिक वृद्धि अधिक हो जाएगी जिससे फलन कम होगा। इसके कारण उपज प्रभावित होगा।

Image Credit: WSJ

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