आइए जानते हैं राजस्थान में इस सप्ताह यानि 31 मई से 6 जून के बीच कैसा रहेगा मौसम।
राजस्थान में 29-30 मई को अनुमान के मुताबिक कई जगहों पर बारिश रिकॉर्ड की गई। 30 मई को कई जगहों पर मध्यम से भारी वर्षा दर्ज की गई। इस सप्ताह भी 31 मई से 6 जून के बीच रुक-रुक कर बारिश होती रहेगी। 3 जून तक राजस्थान के कई जिलों में हल्की से मध्यम बारिश होने की संभावना है। कुछ स्थानों पर बारिश के साथ तेज़ हवाएँ भी चल सकती हैं।
राजस्थान में 4 जून से 6 जून के बीच बारिश की गतिविधियां बढ़ेंगी तथा दक्षिणी और पूर्वी जिलों में भारी वर्षा की संभावना है। इस दौरान तेज हवाओं के साथ कहीं-कहीं ओलावृष्टि भी हो सकती है। राजस्थान में उत्तर से लेकर दक्षिण तक यानि लाभग सभी जिलों में इस सप्ताह बारिश के कारण दिन और रात के तापमान में भारी गिरावट होने की भी संभावना है।
राज्य में 7 जून से शुरू होने वाला अगला सप्ताह शुष्क मौसम वाला होगा। वर्षा में व्यापक कमी आ सकती है, जिससे 7 जून के बाद फिर से तापमान में वृद्धि होगी।
राजस्थान के लिए फसलों से जुड़ी सलाह
राजस्थान के अनेक भागों में टिड्डियों का प्रकोप हो रहा है। किसान बंधु सचेत रहें। टिड्डी दल आसमान से नीचे आते दिखें तो परंपरागत ध्वनि विस्तारक/वाध्य यंत्रो का प्रयोग कर सकते। तेज़ ध्वनि से टिड्डी दल को आगे भगाया जा सकता है। अगर टिड्डी दल फसल पर रुक गया हो तो प्रभावित क्षेत्र में 500 मि.ली. क्लोरपाइरीफॉस 50% ई.सी. या 1850 मि.ली. मेलाथिऑन 50% ई.सी. प्रति हेक्टर पावर स्प्रेयर से छिड़काव करें।
देशी कपास में पहली सिंचाई बिजाई के 35-40 दिन बाद करें। यदि बिजाई से पूर्व नत्रजन उर्वरक न दिया हो, तो 45 कि.ग्रा. नत्रजन प्रति हेक्टेयर की दर से पहली सिंचाई के बाद दें। पहली सिंचाई के बाद आवश्यकता से अधिक पौधों की छंटाई कर पौधे से पौधे की दूरी 25-30 से.मी. कर दें। पहली सिंचाई के बाद निराई गुड़ाई करें।
मूंगफली की बिजाई का उचित समय जून के प्रथम सप्ताह से जून के दूसरे सप्ताह तक होता है। मूंगफली की फसल में सफेद लट कीट का प्रकोप बहुत अधिक होता है। इसके नियंत्रण के लिए खेत की तैयारी के साथ ही उपाय कर लेना चाहिए। बुवाई से पहले क्यूनालफॉस (5%) 30 कि.ग्रा. कण अथवा कारबोफ्यूरॉन (3%) 25 कि.ग्रा. कण से प्रति हेक्टेयर की दर से भूमि को उपचारित करें।
चारे के लिए बोई गई ज्वार में तना छेदक कीट का प्रकोप हो सकता है। इससे चारे की ज्वार की बीच वाली पत्तियां सूख जाती हैं और खींचने से आसानी से निकल आती हैं। इसके नियंत्रण के लिए एक मि.ली. फेनवेलरेट (20 ई.सी.) का प्रति लीटर पानी की दर से घोल का छिड़काव करें। छिड़काव के 15 दिन तक चारे की कटाई न करें।
Image credit: Neelima-Vallangi
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