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[Hindi] विश्व जल दिवस 2019: अनोखे तरीके से जल दिवस मनाने पर सुर्ख़ियों में आया लद्दाख

March 22, 2019 4:19 PM |

लद्दाख, जिसे 'भारत का ठंडा रेगिस्तान' कहा जाता है। यह जगह पृथ्वी पर सबसे शुष्क स्थानों में से एक है। पूरे साल में यहां शायद ही कभी बारिश होती है।लेकिन, इस साल इन क्षेत्र में सर्दियों के मौसम के खत्म हो जाने के बाद भी लम्बे समय तक बर्फ़बारी के साथ बर्फ की चादरें बनी हुई दिखी।

पूरा विश्व, आज जल दिवस मना रहा है। इस कड़ी में सोनम वांगचुक द्वारा लद्दाख में बर्फ के स्तूप के माध्यम से जल संरक्षण पर जागरूकता पैदा की जा रही है। इस साल लद्दाख क्षेत्र के एक दर्जन से अधिक गांवों में बर्फ के स्तूपों का निर्माण किया गया। आज मनाए जा रहे विश्व जल दिवस के अवसर पर लेह जिले के 12 गांवों के बीच बेस्टआइस स्तूप को लेह में आयोजित किया जाएगा।

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प्रतियोगिता के पीछे की वजह

 

सोनम वांगचुक ने लेह में पानी की कमी को कम करने के उद्देश्य के साथ यह प्रतियोगिता शुरू की थी। ताकि, ग्लेशियरों की कमी के कारण लद्दाखी किसानों को होने वाली पानी की समस्या को कुछ हद तक कम किया जा सके। अगले साल से, टीम ने इस क्षेत्र में और अधिक कृत्रिम ग्लेशियर (बर्फ स्तूपों) बनाने की योजना बनाई है। साथ हीं, यह प्रयास बड़े पैमाने पर करने का भी फैसला किया है।

जल संरक्षण के लिए जागरूकता

बता दें कि, 'विश्व जल दिवस', जहां सबसे बड़े बर्फ स्तूपों के साथ एक विजेता की घोषणा की जाती है। यह प्रतियोगिता दिसंबर में शुरू हुई थी और अब इस अवसर पर आज यानि 22 मार्च को समाप्त होगी। इस प्रतियोगिता में, उच्चतम बर्फ स्तूप के निर्माण के लिए कम से कम 12 गांव हिस्सा ले रहे हैं।

सेना और डाक विभाग के लोगों ने भी दिया साथ

इतना ही नहीं, सेना और डाक विभाग ने भी इस प्रतियोगिता को एक कदम आगे बढ़ाया है। जहां एक तरफ सेना के जवान ने इस प्रतियोगिता में अपनी उपस्थिति दिखाई। वहीं, डाक विभाग ने भी बीते सोमवार को लेह में बर्फ स्तूप स्थल पर आयोजित एक समारोह के दौरान 'बर्फ स्तूप पर एक विशेष स्टाम्प कवर' जारी किया है।इस अवसर पर सेना के गणमान्य व्यक्ति के साथ कई अधिकारी और वहां के लोकल प्रशासन भी मौज़ूद रही।

पिछले 4 वर्षों से इस क्षेत्र में पर्याप्त बर्फ नहीं गिरी थी। ग्लोबल वार्मिंग के साथ ग्लेशियर पतले हो गए हैं कुछ ग्लेशियर गायब हो गए हैं। हालांकि बीते कुछ सालों के बाद इस वर्ष लेह लद्दाख में अच्छी बर्फ गिरी है। सोनम वांगचुक ने आश्वासन दिया कि गंगलास गांव में इस मौसम में किसान की मदद करने के लिए पर्याप्त पानी का भंडारण है। उन्होंने कहा कि इससे गंगला गांव के कई घरों को फायदा होगा।

भारत के बेहतर भविष्य और’ जल-पर्याप्त विश्व ’के लिए एकजुट होने का यह एक अलग और बहुत हीं अच्छा तरीका है। स्काईमेट ऐसे प्रयासों को सलाम करता है और 'विश्व जल दिवस' के अवसर पर सभी को बधाई देता है।

Image credit: The Tribune

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