उत्तर भारत में मौसम बदलेगा करवट, बारिश और बर्फबारी से मिलेगी राहत
Feb 17, 2025, 4:34 PM | Skymet Weather Teamउत्तर-पश्चिम भारत, जिसमें पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश शामिल हैं, इन राज्यों के कुछ हिस्सों में असामान्य रूप से उच्च तापमान बना हुआ है। दिन और रात दोनों समय तापमान मौसमी औसत से काफी अधिक दर्ज हो रहा है, जिससे न केवल आम लोगों को असुविधा हो रही है बल्कि किसानों और पर्यावरणविदों की चिंता भी बढ़ गई है। तापमान बढ़ने का मुख्य कारण उत्तर-पश्चिम और मध्य भारत के मैदानी क्षेत्रों में वर्षा की कमी और पश्चिमी हिमालय में कम बर्फबारी को माना जा रहा है।
वर्षा की भारी कमी, आंकड़े और प्रभाव: 1 जनवरी से 16 फरवरी के बीच देश में 71% कम वर्षा दर्ज की गई है। जिसमें उत्तर-पश्चिम भारत सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है, जहाँ वर्षा में 80% की भारी कमी देखी गई है। इस क्षेत्र के लगभग सभी क्षेत्रों में भारी वर्षा की कमी दर्ज की गई है। बारिश की यह कमी कृषि, जल संसाधन और पर्यावरणीय संतुलन पर गहरा प्रभाव डाल रही है।
पश्चिमी विक्षोभ से राहत की उम्मीद: हालांकि, एक नया पश्चिमी विक्षोभ पश्चिमी हिमालय क्षेत्र में प्रवेश कर चुका है, जिससे कुछ राहत मिलने की उम्मीद है। इस मौसम प्रणाली के साथ हरियाणा के ऊपर बने चक्रवातीय परिसंचरण के प्रभाव से 17 फरवरी से दक्षिण-पश्चिम उत्तर प्रदेश, दक्षिण हरियाणा और राजस्थान के कुछ हिस्सों में हल्की वर्षा हो सकती है। पश्चिमी हिमालय के पहाड़ी इलाकों में 17 और 18 फरवरी को हल्की बारिश और कहीं-कहीं बर्फबारी देखने को मिलेगी।
बढ़ेगी बारिश और बर्फबारी: 19 और 20 फरवरी को वर्षा और बर्फबारी की तीव्रता बढ़ने की संभावना है। इस दौरान उत्तरी राजस्थान, पंजाब, हरियाणा और पूर्वोत्तर भारत के कुछ हिस्सों में हल्की से मध्यम वर्षा और गरज-चमक के साथ बौछारें पड़ सकती हैं। पश्चिम उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पश्चिम बंगाल और उत्तरी ओडिशा में भी हल्की से मध्यम वर्षा होने की संभावना है। हालांकि, यह बारिश इस सीजन में हुई भारी वर्षा की कमी को पूरी तरह खत्म नहीं कर पाएगी, लेकिन इससे उत्तरी मैदानी इलाकों में बढ़ते तापमान से कुछ राहत जरूर मिलेगी। साथ ही इससे मिट्टी में नमी बढ़ेगी, जो आगामी फसलों और किसानों के लिए लाभदायक साबित होगी।
उत्तर-पश्चिम भारत की असामान्य सर्दी: उत्तर-पश्चिम भारत में सर्दियों के मौसम में ठंडे दिन और सर्द रातें होती हैं, और पश्चिमी हिमालय के ऊंचे इलाकों में समय-समय पर वर्षा और बर्फबारी होती रहती है। लेकिन इस साल स्थिति अलग रही है। दिन और रात दोनों समय तापमान सामान्य से काफी अधिक बना हुआ है, जिससे मौसम असामान्य रूप से गर्म रहा है।
पश्चिमी हिमालय में कम बर्फबारी: पश्चिमी हिमालय जो आमतौर पर इस समय भारी बर्फबारी का गवाह बनता है, यहां इस साल बहुत कम बर्फबारी हो रही है। जिससे पूरे देश में तापमान बढ़ गया है। बर्फ की परत कम होने से 'अल्बेडो प्रभाव' भी कम हो गया है, जिसमें बर्फ सूर्य के प्रकाश को परावर्तित कर वातावरण को ठंडा बनाए रखती है। लेकिन इस साल बर्फ की कमी के कारण भूमि सूर्य के अधिक ताप को अवशोषित कर रही है, जिससे तापमान में वृद्धि हो रही है।
वर्षा की भारी कमी से नुकसान: उत्तर-पश्चिम भारत में वर्षा की भारी कमी चिंता का विषय बनी हुई है। 1 जनवरी से 16 फरवरी तक पूरे देश में 71% कम वर्षा हुई, जबकि उत्तर-पश्चिम भारत में यह कमी 80% तक रही। इस भारी कमी के कई नकारात्मक प्रभाव देखने को मिल रहे हैं। जिसमें सबसे ज्यादा असर कृषि पर हो रहा है। वर्षा की कमी ने मिट्टी की नमी को प्रभावित किया है, जो गेहूं, सरसों और जौ जैसी रबी फसलों की वृद्धि के लिए बहुत जरूरी होती है। किसानों को चिंता है कि मिट्टी में नमी की कमी से फसल की उ पज पर नकारात्मक असर पड़ सकता है, जिससे उत्पादन में गिरावट आ सकती है। वर्षा की कमी से जलाशयों, नदियों और भूजल स्तर में भी गिरावट आ रही है। जिन क्षेत्रों में सिंचाई और पीने के पानी की आपूर्ति वर्षा पर निर्भर है, वहां जल संकट बढ़ने की आशंका है।
किसानों के लिए बढ़ी परेशानियाँ: उत्तर-पश्चिम भारत में सामान्य से अधिक तापमान और वर्षा की भारी कमी ने किसानों और आम नागरिकों के सामने कई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। हालांकि, 17 से 20 फरवरी के बीच होने वाली संभावित वर्षा और बर्फबारी से कुछ राहत की उम्मीद है। लेकिन अगर आने वाले दिनों में मौसम में बदलाव नहीं आया, तो इस क्षेत्र में जल संकट और फसलों की उपज पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।