मानसून को मिलेगी नई रफ्तार, बंगाल की खाड़ी में फिर बन रहा सिस्टम, जानें पूरा मौसम अपडेट
Jun 23, 2025, 3:45 PM | Skymet Weather Teamबंगाल की खाड़ी (BoB) में बनने वाले चक्रवातीय परिसंचरण और निम्न दबाव के क्षेत्र (Low Pressure Area) ही मानसून को गति देने वाले मुख्य सिस्टम होते हैं। हाल ही में जो सिस्टम बना था, वह गंगा-पश्चिम बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़ होते हुए पूर्व और मध्य उत्तर प्रदेश में जाकर कमजोर पड़ा। इस सिस्टम से जुड़ा चक्रवातीय घेरा अभी भी मध्यम स्तर तक सक्रिय है और यही कारण है कि इन क्षेत्रों में मानसून फिलहाल सक्रिय बना हुआ है।
25 जून को फिर बनेगा नया सिस्टम
25 जून को गंगा-पश्चिम बंगाल और उससे सटे बंगाल की खाड़ी पर एक नया चक्रवातीय परिसंचरण बनने की संभावना है। इस क्षेत्र में एक गहरी ट्रफ रेखा बनी हुई है, जो अगले 48 घंटों तक बनी रह सकती है। इसके प्रभाव से एक संगठित परिसंचरण तंत्र विकसित होगा, जो बाद में एक नया निम्न दबाव क्षेत्र बन सकता है। मौसम मॉडल्स के अनुसार, यह सिस्टम करीब तीन दिन तक उसी क्षेत्र में स्थिर बना रह सकता है। इसके बाद यह सिस्टम पुनर्गठन के साथ उत्तर की ओर स्थल भागों पर आगे बढ़ेगा। हालांकि, पांच दिनों से आगे की भविष्यवाणी की सटीकता कम होती है, इसलिए आगे की स्थिति के बारे में सटीक अनुमान देना मुश्किल है।
मानसून को मिलेगा बल, लेकिन दक्षिण भारत में कमी की आशंका
इस नए सिस्टम के बनने से मानसून को एक नई गति मिलेगी। हालांकि, चिंता का विषय यह है कि यह सिस्टम भी अपने पिछले सिस्टम की तरह ही गंगा के मैदानों वाले रास्ते पर चल सकता है। अगर ऐसा हुआ, तो वर्षा का फोकस पूर्वी और उत्तरी राज्यों तक सीमित रह जाएगा जैसे—पश्चिम बंगाल, ओडिशा, झारखंड, बिहार, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और अन्य उत्तरी क्षेत्र। दूसरी ओर, दक्षिणी प्रायद्वीपीय भारत (Coastal Andhra Pradesh, तेलंगाना, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल, विदर्भ और मराठवाड़ा) में बारिश की कमी बनी रह सकती है, जिससे वर्षा की कमी और बढ़ने की आशंका है।
देशभर में मानसून की पूरी पहुंच संभव
इस सिस्टम के प्रभाव से मानसून को उत्तर भारत में बचे हुए क्षेत्रों तक पहुंचने में सहायता मिलेगी। अगले दो दिनों में उत्तर प्रदेश के शेष हिस्सों, दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा और पंजाब में मानसून के आगमन की संभावना है। अगर परिस्थितियाँ अनुकूल रहीं, तो मानसून 8 जुलाई से पहले ही पूरे भारत को कवर कर लेगा, जिसमें पश्चिम राजस्थान के आखिरी हिस्से भी शामिल होंगे।