पूर्वोत्तर में बारिश का सिलसिला जारी, असम से अरुणाचल तक बरसेंगे प्री-मानसूनी बादल
Apr 23, 2025, 8:00 PM | Skymet Weather Teamभारत में प्री-मानसून सीज़न धीरे-धीरे तेज हो रहा है और देश के कुछ हिस्सों में बारिश की गतिविधियाँ बढ़ने लगी हैं। लेकिन पूर्वोत्तर भारत अब भी भारी बारिश की कमी से जूझ रहा है। 1 मार्च से 22 अप्रैल के बीच पूरे देश में औसत से 16% कम बारिश हुई है, जबकि पूर्व और पूर्वोत्तर राज्यों में यह कमी 36% तक पहुंच गई है।
सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य
पूर्वोत्तर भारत के कई राज्यों में बारिश की स्थिति काफी गंभीर है। अरुणाचल प्रदेश में सबसे ज्यादा 57% की कमी दर्ज की गई है। नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा में भी बारिश सामान्य से 56% कम हुई है। असम और मेघालय में भी स्थिति चिंताजनक है, जहां 44% की कमी दर्ज की गई है।
कुछ जिलों में हुई अच्छी बारिश
हालांकि बारिश पूरी तरह से गायब नहीं है। पिछले 24 घंटों में असम के कई जिलों में अच्छी वर्षा हुई। जैसे धुबरी में 38 मिमी, रंगिया में 53 मिमी, नॉर्थ लखीमपुर में 40 मिमी, डिब्रूगढ़ में 43 मिमी, तेजपुर में 16 मिमी और सिलचर में 27 मिमी बारिश हुई। अरुणाचल प्रदेश के पासीघाट में 65 मिमी वर्षा रिकॉर्ड की गई। इससे पता चलता है कि मौसम सक्रिय है, लेकिन अभी भी औसत दैनिक बारिश की मात्रा कम है, जिससे घाटा भर पाना मुश्किल है।
पूर्वी असम में चक्रवातीय परिसंचरण का असर
मौसम विभाग के अनुसार, पूर्वी असम में एक चक्रवातीय परिसंचरण (Cyclonic Circulation) बना हुआ है, जिसकी वजह से यह बारिश हो रही है। अगले 3-4 दिनों तक पूर्वोत्तर भारत के कई हिस्सों में मध्यम से भारी बारिश जारी रहने की संभावना है। इस वजह से तापमान थोड़ा नीचे रहेगा और मौसम कुछ हद तक सुहाना बना रहेगा।
भूस्खलन का खतरा बना हुआ है
बारिश राहत तो दे रही है, लेकिन इससे कुछ खतरे भी पैदा हो सकते हैं। खासकर पहाड़ी इलाकों में बार-बार होने वाली बारिश की वजह से स्थानीय भूस्खलन (landslide) और मिट्टी खिसकने (mudslide) की आशंका बढ़ जाती है। हालांकि अभी भारी नुकसान की संभावना कम है, लेकिन छोटे-मोटे व्यवधान, खासकर उन जगहों पर जहां ढलान अस्थिर है या जल निकासी की व्यवस्था खराब है, संभव हैं।
बारिश राहत तो दे रही है, लेकिन घाटा बरकरार
प्री-मानसून की यह बारिश स्थानीय मौसम को जरूर राहत दे रही है, लेकिन यह फिलहाल वर्षा के बड़े घाटे को पूरी तक खत्म नहीं कर पाएगी। मानसून आने से पहले मौसम पर नजर बनाए रखना और ज़रूरी तैयारी करना बहुत ज़रूरी होगा, क्योंकि यह इलाका मौसम से जुड़ी आपदाओं के लिए संवेदनशील है।