धीमी होती हवाएं लाएंगी गर्मी, उत्तर और मध्य भारत में बढ़ेगा तापमान, फसलों पर होगा असर

Mar 7, 2025, 2:40 PM | Skymet Weather Team
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3 मार्च से इंडो-गंगेटिक मैदानों, मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात में हवाओं की गति अचानक बढ़ गई है। इस तेज़ रफ्तार हवा ने फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया है, जिससे किसान और कृषि विशेषज्ञ चिंतित हैं। हवाओं की गति में बदलाव का मुख्य कारण पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbance) का प्रभाव और उत्तर-पश्चिम पाकिस्तान पर उच्च दबाव क्षेत्र (High Pressure Area) का बनना है, जबकि उत्तर-पश्चिम बंगाल की खाड़ी में एक निम्न दबाव क्षेत्र (Low Pressure Area) विकसित हुआ।

हवा की तेजी का वैज्ञानिक कारण

आमतौर पर हवा उच्च दबाव से निम्न दबाव की ओर बहती है। जब उच्च और निम्न दबाव क्षेत्रों के बीच अंतर अधिक होता है, तो दबाव प्रवणता (Pressure Gradient) बढ़ जाती है, जिससे तेज़ हवाएँ चलती हैं। इस स्थिति में पश्चिम और उत्तर-पश्चिम से चलने वाली हवाओं की गति 20 से 30 नॉट तक पहुंच गई, जबकि झोंकों (Gusts) की गति 40 नॉट तक दर्ज की गई, जिससे कई क्षेत्रों में व्यापक प्रभाव पड़ा।

हवा में कमी और तापमान में बढ़ोत्तरी

अब पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र में एक नया पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbance) आने के कारण, उत्तर-पश्चिम पाकिस्तान और आसपास के क्षेत्रों में दबाव में कमी आई है, जिससे हवाओं की गति में भी कमी दर्ज की गई है। इस बदलाव के कारण उत्तर-पश्चिम और मध्य भारत में तापमान में वृद्धि होने की संभावना है।

दिन और रात के तापमान में बढ़ोतरी

हवा की गति में गिरावट के कारण न्यूनतम और अधिकतम तापमान बढ़ने की संभावना है। हरियाणा, राजस्थान और पंजाब के कुछ हिस्सों में न्यूनतम तापमान जो 10 डिग्री सेल्सियस से नीचे पहुंच गया था, वह 3 से 5 डिग्री तक बढ़ सकता है। इसी तरह अधिकतम तापमान बढ़ेगा और क्षेत्रों में गर्मी बढ़ेगी।

होली के दौरान मौसम का पूर्वानुमान

पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव से पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र में 15 या 16 मार्च तक बारिश और बर्फबारी हो सकती है। इसके अलावा, पंजाब और हरियाणा के उत्तरी हिस्सों में होली के दौरान हल्की से मध्यम बारिश होने की संभावना है। हालांकि बारिश होगी, फिर भी तापमान अधिक रहेगा, जिससे ठंड के प्रभाव में कमी आएगी।

मौसम परिवर्तन और कृषि पर प्रभाव

कुल मिलाकर हवाओं की गति में कमी और लगातार पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव से उत्तर-पश्चिम, पूर्व और मध्य भारत में तापमान बढ़ेगा। हालांकि यह ठंड से राहत दिलाएगा, लेकिन इससे कृषि और जल संसाधनों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

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