1901 के बाद की सबसे गर्म फरवरी, अब मार्च में भी बढ़ेगी तपिश
Mar 1, 2025, 8:15 PM | Skymet Weather Teamसर्दी 2025 का मौसम समाप्त हो चुका है, लेकिन इस बार की सर्दी कई रिकॉर्ड तोड़ने वाली रही। फरवरी 2025 को भारत में 1901 के बाद की सबसे गर्म फरवरी के रूप में दर्ज किया गया है। इस महीने का औसत तापमान 22.04 डिग्री सेल्सियस रहा, जो सामान्य से 1.34 डिग्री अधिक था। वहीं, अधिकतम तापमान 29.7 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो 1.49 डिग्री ज्यादा था और पिछले 100 वर्षों में सबसे अधिक था। इसके अलावा, न्यूनतम तापमान भी रिकॉर्ड स्तर पर रहा और 15.02 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो सामान्य से 1.20 डिग्री अधिक था। ये आंकड़े इस बात का संकेत देते हैं कि भारत के सर्दी के मौसम में बड़ा बदलाव आ रहा है।
बारिश की भारी कमी ने बढ़ाई गर्मी: जनवरी से फरवरी के बीच भारत में सर्दी के मौसम में 59% की भारी बारिश की कमी दर्ज की गई। बारिश की इस भारी कमी ने शुष्क और गर्म परिस्थितियों को और बढ़ावा दिया। खासकर फरवरी के महीने में बारिश की कमी के कारण दिन और रात के तापमान में बड़ा इजाफा हुआ। इससे वातावरण में नमी कम हो गई और लगातार शुष्कता बनी रही, जिससे तापमान सामान्य से अधिक बना रहा।
दिल्ली में 74 वर्षों की सबसे गर्म रात: 27 फरवरी को दिल्ली के सफदरजंग वेधशाला में न्यूनतम तापमान 19.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो 1951 के बाद का सबसे अधिक था। इसकी मुख्य वजह 26 फरवरी को अधिकतम तापमान का 32.4 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचना था। इसके साथ ही, बादलों की मौजूदगी ने भी तापमान को अधिक बनाए रखा। रात में बादलों के कारण धरती की सतह से निकलने वाली ऊष्मा वायुमंडल में ही फंस गई, जिससे तापमान गिरने की बजाय बढ़ता रहा। इस प्रभाव को 'ग्रीनहाउस प्रभाव' कहा जाता है, जिसने 27 फरवरी की सुबह को असामान्य रूप से गर्म बना दिया।
मार्च में भी तापमान सामान्य से अधिक: हालांकि, पश्चिमी हिमालय में हो रही बर्फबारी और उत्तर-पश्चिम भारत में छिटपुट बारिश के कारण तापमान में फिलहाल कुछ गिरावट आई है, लेकिन यह राहत अधिक समय तक टिकने वाली नहीं है। 4 मार्च के बाद एक बार फिर तापमान में बढ़ोतरी की संभावना जताई जा रही है। फरवरी के बाद मार्च भी सामान्य से अधिक गर्म रहने का अनुमान है। इससे उत्तर और मध्य भारत में गर्मी समय से पहले बढ़ सकती है, जिससे वातावरण पर व्यापक असर पड़ सकता है।
रबी फसलों पर गंभीर खतरा: फरवरी और मार्च में तापमान के असामान्य रूप से अधिक रहने से रबी फसलों पर गंभीर असर पड़ सकता है, विशेष रूप से गेहूं की फसल के लिए यह चिंता का विषय बन रहा है। गेहूं की फसल पकने की प्रक्रिया में यदि तापमान अधिक हो जाता है, तो इसका असर उसकी गुणवत्ता और उत्पादन पर पड़ सकता है। अधिक गर्मी से गेहूं का दाना सिकुड़ सकता है, जिससे किसानों को नुकसान हो सकता है। यह स्थिति कृषि विशेषज्ञों और किसानों के लिए एक बड़ी चुनौती बन रही है।
बदलते मौसम के दीर्घकालिक प्रभाव: ऐसे रिकॉर्ड-तोड़ तापमान सिर्फ अस्थायी गर्मी नहीं हैं, बल्कि ये जलवायु परिवर्तन का स्पष्ट संकेत देते हैं। गर्म सर्दियां भले ही सहज महसूस हों, लेकिन वे पारिस्थितिकी तंत्र, कृषि और जल संसाधनों को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती हैं। फरवरी 2025 के ये रिकॉर्ड तापमान इस बात का संकेत देते हैं कि जलवायु परिवर्तन अब तेजी से असर दिखाने लगा है।
जलवायु परिवर्तन से निपटने की जरूरत: मार्च के आते ही भारत को एक और गर्म महीने के लिए तैयार रहना होगा। इस बढ़ती गर्मी से कृषि और आजीविका पर खतरा मंडरा रहा है। ऐसे में अब जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए अनुकूलन उपायों को अपनाने की जरूरत है। किसानों को गर्मी सहन करने वाली फसलें उगाने, सिंचाई के आधुनिक तरीकों को अपनाने और जल संरक्षण की दिशा में कदम बढ़ाने की जरूरत होगी। इसके अलावा, सरकार और समाज को मिलकर जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए दीर्घकालिक रणनीति अपनानी होगी। यह बदलता मौसम हमें एक स्पष्ट संदेश दे रहा है कि अब समय आ गया है कि हम टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल जीवनशैली को अपनाएं।