जैसा कि उम्मीद थी उत्तर बंगाल की खाड़ी (North Bay of Bengal – BoB) में एक चक्रवातीय परिसंचरण (Cyclonic Circulation) विकसित हुआ है। यह सिस्टम नीचे और मध्यम स्तरों पर दिखाई दे रहा है और ऊँचाई के साथ दक्षिण की ओर झुका हुआ है। हालांकि, यह बहुत शक्तिशाली प्रणाली नहीं लगती, इसलिए यह समुद्र की सतह पर लो प्रेशर एरिया नहीं बनने वाली। फिर भी, यह सिस्टम मौसम के पैटर्न में बदलाव ला सकता है और दक्षिण-पश्चिम मानसून से पूर्वोत्तर मानसून की ओर संक्रमण को गति दे सकता है।
अगले 3 दिनों में अधिकांश समय समुद्र में रहेगा
यह चक्रवातीय परिसंचरण अगले तीन दिनों तक मुख्य रूप से समुद्र में ही रहेगा। हालांकि, इसके ओडिशा और आंध्र प्रदेश की तटरेखा के साथ दक्षिण की ओर स्थानांतरित होने की संभावना है। मौसम गतिविधि जमीन पर गहराई तक नहीं पहुँचेगी, लेकिन गंगीय पश्चिम बंगाल के दक्षिणी हिस्सों और ओडिशा व आंध्र के तटीय भागों में बिखरी हुई बारिश और गरज के साथ बारिश होने की संभावना है। यह गतिविधि तमिलनाडु के तटीय और भीतरी हिस्सों तक भी फैल सकती है।
पूर्वोत्तर मानसून की शुरुआत में सहायक हो सकता है
अभी यह कहना थोड़ा जल्दी है, लेकिन यह सिस्टम दक्षिणी प्रायद्वीपीय क्षेत्र में पूर्वोत्तर मानसून (Northeast Monsoon) के आगमन में सहायक हो सकता है। पूर्वोत्तर मानसून की घोषणा आमतौर पर 10 अक्टूबर से पहले नहीं की जाती, भले ही स्थिति अनुकूल हो। सबसे मुख्य शर्त होती है तमिलनाडु तट पर पूर्वी हवाओं का पहुँच जाना। मानसून की दृश्य पहचान तब होती है जब तमिलनाडु तट, दक्षिणी तटीय आंध्र प्रदेश और आसपास के क्षेत्रों में बारिश बढ़ती है। घोषणा से पहले, दक्षिणी प्रायद्वीपीय क्षेत्र में दक्षिण-पश्चिम मानसून का वापसी 15°N तक होना जरूरी है।
हवा का पैटर्न और पूर्वोत्तर मानसून की संभावित तारीख
बंगाल की खाड़ी में परिसंचरण आने से निचले स्तर की हवाओं (Low Level Winds) में पूर्वी रुख (Easterly) का झुकाव दिखाई दे रहा है। फिर भी, कुछ दिनों तक पैटर्न की निगरानी जरूरी है। पूर्वी/दक्षिण-पूर्वी हवाओं के सामान्य आगमन की तारीख 14 अक्टूबर होती है। अन्य शर्तें पूरी होने पर, पूर्वोत्तर मानसून का सामान्य आगमन 20 अक्टूबर माना जाता है। इस सीजन में मानसून सामान्य से पहले आ सकता है।
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