बंगाल की खाड़ी से आई नमी, चेन्नई में बरसेंगे बादल, झमाझम बारिश के आसार

Jun 10, 2025, 1:00 PM | Skymet Weather Team
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तटीय तमिलनाडु खासकर दक्षिण-पश्चिम मानसून के दौरान भारी बारिश नहीं पाता। यह क्षेत्र वर्षा-छाया (Rain Shadow) क्षेत्र में आता है, जिससे मानसून की बारिश रुक-रुक कर और थोड़े समय के लिए होती है। इन बारिशों का स्वरूप बिखरा हुआ और क्षणिक होता है, खासकर मानसून के पहले हिस्से यानी जून-जुलाई में। हालांकि, बारिश अगस्त-सितंबर में थोड़ी तेज होती है और फिर अक्टूबर-नवंबर में पूर्वोत्तर मानसून के दौरान अपने चरम पर पहुंचती है।

जून में चेन्नई की बारिश कम, लेकिन समय से पहले शुरुआत

चेन्नई में जून महीने की औसत बारिश सिर्फ 75.4 मिमी होती है। इस बार मानसून के समय से पहले पहुंचने के कारण मई के आखिरी सप्ताह में ही मध्यम बारिश शुरू हो गई थी। हालांकि जून में अब तक बारिश असमान रही है। मीनंबक्कम स्थित एयरपोर्ट वेधशाला ने 01 से 10 जून के बीच सिर्फ 2 मिमी बारिश दर्ज की है, जबकि नुंगमबक्कम वेधशाला ने 51.6 मिमी बारिश दर्ज की है। पिछले 24 घंटों में नुंगमबक्कम में 20 मिमी बारिश हुई, जबकि एयरपोर्ट स्टेशन पर एक भी बूंद नहीं पड़ी।

अब मानसून होगा तेज

पिछले एक सप्ताह से मानसून करंट काफी कमजोर बना हुआ है, जिससे देशभर में बारिश कम हुई है। अब मानसून में फिर से जान आने वाली है और यह तटीय क्षेत्रों के दोनों ओर प्रगति करेगा। चेन्नई में अगले दो दिनों में एक तेज लेकिन अल्पकालिक बारिश का दौर देखने को मिल सकता है।

चेन्नई में भारी बारिश की संभावना

दक्षिण ओडिशा और उत्तर आंध्र प्रदेश तट के पास पश्चिम-मध्य बंगाल की खाड़ी में एक चक्रवाती परिसंचरण (Cyclonic Circulation) बन गया है। यह प्रणाली धीरे-धीरे तट के करीब आएगी और दक्षिण तटीय आंध्र प्रदेश व उत्तर तटीय तमिलनाडु के आसपास केंद्रित हो जाएगी। इसके चलते चेन्नई और आसपास के इलाकों में एक कन्वर्जेंस ज़ोन बनेगा, जिससे कल और परसों भारी बारिश होने की संभावना है।

चेन्नई में कल शाम से बारिश का दौर

बारिश की मुख्य गतिविधि कल शाम से शुरू होगी और मध्यरात्रि के बाद अपने चरम पर होगी। तेज बारिश की संभावना देर रात और अगली सुबह तक बनी रहेगी। इसके बाद दिन के पहले हिस्से (forenoon) और दोपहर में मौसम में सुधार देखने को मिलेगा।

12 जून से कई राज्यों में बारिश

12 जून को भारी बारिश की यह पट्टी रायलसीमा, उत्तर आंतरिक कर्नाटक और तटीय कर्नाटक की ओर बढ़ेगी। इसके बाद यह आगे बढ़कर केरल, तटीय कर्नाटक, गोवा और कोंकण क्षेत्र को कवर करेगी।

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