मानसून की रफ्तार पर लगा ब्रेक, अगले हफ्ते से फिर पकड़ेगा रफ्तार, जानें पूरा मौसम अपडेट

Jun 3, 2025, 7:00 PM | Skymet Weather Team
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दक्षिण-पश्चिम मानसून इस बार सामान्य से काफी पहले पहुंच गया। 24 मई को मुख्य भूमि पर मानसून की दस्तक 2009 के बाद से सबसे जल्दी रही। इसके बाद अगले दो दिनों में मानसून की धाराएं तेजी से आगे बढ़ीं और देश के लगभग 40% हिस्से को कवर कर लिया। लेकिन इसके बाद मानसून की प्रगति लगभग थम सी गई।

पश्चिमी दिशा में मानसून की उत्तरवर्ती सीमा (NLM) 26 मई से मुंबई पर अटकी हुई है और पूर्वी शाखा 29 मई से पश्चिम बंगाल के बालूरघाट के पास ठहरी हुई है। अगले एक हफ्ते तक मानसून की कोई बड़ी प्रगति की संभावना नहीं है। अब मानसून की दोबारा सक्रियता की उम्मीद बंगाल की खाड़ी में किसी प्रणाली के बनने के बाद ही है।

मानसून शुरुआत में ही ठहराव है चौंकाने वाला

मानसून की चाल में उतार-चढ़ाव आना मौसम की सामान्य विशेषता है। चार महीने लंबे इस मौसम में कभी ज़ोरदार बारिश तो कभी सुस्ती का दौर चलता है। लेकिन इस बार चौंकाने वाली बात यह है कि सीजन की शुरुआत में ही यह ठहराव आ गया है, जो आमतौर पर देखने को नहीं मिलता।

देशभर में रोज़ाना की बारिश की मात्रा में भारी गिरावट आई है। हालांकि पूर्वोत्तर भारत में हो रही भारी बारिश के कारण देशभर की औसत वर्षा अभी तक सामान्य बनी हुई है। लेकिन दक्षिण और मध्य भारत, जहां से मानसून आमतौर पर रफ्तार पकड़ता है, वहां पिछले तीन दिनों में बहुत कम बारिश हुई है।

देशभर की रोज़ाना वर्षा की स्थिति (पैन-इंडिया डेली रेनफॉल)

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अगले कुछ दिन रहेगा कमजोर मानसून

कमजोर मानसूनी दौर अगले सप्ताह के मध्य तक जारी रह सकता है। इस दौरान उत्तर भारत के पहाड़ी और मैदानी इलाकों में प्री-मानसूनी गतिविधियां और पूर्वोत्तर भारत में बची हुई नमी से कुछ वर्षा होती रहेगी, जिससे देशभर की दैनिक वर्षा में बहुत ज्यादा गिरावट नहीं आएगी।

हालांकि पश्चिमी घाट और दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत जहां मानसून की सबसे पहली बारिश होती है, वहां वर्षा की मात्रा बेहद कम रहने वाली है।

बंगाल की खाड़ी में प्रणाली बनेगी, मानसून होगा फिर सक्रिय

बंगाल की खाड़ी में अगले सप्ताह एक मानसूनी प्रणाली बनने की संभावना है। इसका शुरुआती रूप एक चक्रवाती परिसंचरण के रूप में 10 जून के आसपास दिखाई देगा। इसके बाद इसे मजबूत और संगठित होने में लगभग 48 घंटे का समय लगेगा।

मानसून की दोबारा सक्रियता ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना से शुरू होकर महाराष्ट्र तक 12 से 14 जून के बीच पहुंचेगी। मानसून की धाराएं धीरे-धीरे पश्चिमी तट के साथ फिर से सक्रिय होंगी, जिसमें केरल, तटीय कर्नाटक, गोवा और कोंकण क्षेत्र शामिल हैं। यह वापसी क्रमिक रूप से होगी, लेकिन मजबूत होगी।

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