उत्तराखंड में कई जगहें फटा बादल, भूस्खलन और ओलावृष्टि, पहाड़ों में अगले 48 घंटे अलर्ट, इस दिन से होगा मौसम में सुधार
Apr 11, 2025, 3:15 PM | Skymet Weather Team8 अप्रैल 2025 को एक सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ जम्मू-कश्मीर क्षेत्र में पहुंचा था। इसके 24 घंटे के भीतर मैदानों में एक प्रेरित चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र (इंड्यूस्ड सर्कुलेशन) बन गया। इन दोनों मौसम प्रणालियों के संयुक्त असर से पहाड़ी राज्यों में बीते दो दिन से लगातार गरज-चमक के साथ मध्यम से भारी बारिश हुई है। वहीं, कुछ इलाकों में ओलावृष्टि और बादल फटने (क्लाउडबर्स्ट) की घटनाओं भी हुई। जिससे जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है और संचार और यातायात सेवाएं भी बाधित हो गईं है।

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उत्तराखंड में सबसे अधिक असर
हिमालयी राज्यों में से उत्तराखंड की भौगोलिक स्थिति ज्यादा संवेदनशील और नाज़ुक है, इसलिए यहां खराब मौसम का प्रभाव और ज्यादा गंभीर रहता है। उत्तराखंड के चमोली जिले में भारी बारिश के कारण फ्लैश फ्लड (अचानक बाढ़) और भूस्खलन (लैंडस्लाइड) की घटनाएं हुईं। सड़कों पर मलबा आने से वाहन दब गए और राजमार्ग अवरुद्ध हो गए। नंदप्रयाग के पास बादल फटने की घटना ने हालात और बिगाड़ दिए। बद्रीनाथ नेशनल हाईवे भी मलबे के कारण बंद कर दिया गया। राहत एवं बचाव कार्य जारी हैं और बीआरओ (सीमा सड़क संगठन) की टीमें लगातार काम कर रही हैं ताकि सड़कों को फिर से खोला जा सके और संपर्क बहाल किया जा सके।
अगले 48 घंटे और अधिक संवेदनशील
यह पश्चिमी विक्षोभ अभी अगले 48 घंटों तक सक्रिय रहेगा और विशेष रूप से उत्तराखंड को प्रभावित करता रहेगा। गढ़वाल क्षेत्र में कुमाऊं की तुलना में ज्यादा गंभीर असर देखने को मिल सकता है। गढ़वाल मंडल के चमोली, पौड़ी गढ़वाल, टिहरी गढ़वाल, रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी में आज और कल शाम व रात के दौरान मौसम की गतिविधियाँ तेज और व्यापक रहेंगी। बादल फटना, बिजली गिरना और ओलावृष्टि जैसी घटनाएं दोबारा होने की संभावना बनी हुई है। यह जरूरी है कि मौसम बेहतर होने के बाद भी सतर्कता बरती जाए क्योंकि पानी के स्रोतों और कमजोर ढलानों का असर देर से नजर आता है, जिससे अचानक आपदा की संभावना बनी रहती है।
13 अप्रैल से राहत, फिर नया सिस्टम 17 अप्रैल से
13 अप्रैल से मौसम में सुधार शुरू होगा और अगले तीन दिनों तक, यानी 16 अप्रैल तक स्थिति बेहतर होती जाएगी। हालांकि, 17 अप्रैल 2025 को एक नया पश्चिमी विक्षोभ फिर से आने की संभावना है।
इसका असर 18 अप्रैल से दोबारा शुरू हो जाएगा और 20 व 21 अप्रैल को मौसम फिर से बहुत अधिक खराब हो सकता है। इसलिए पहले से ही राहत और बचाव दलों को सतर्क और तैयार रखना जरूरी है, ताकि जरूरत पड़ने पर तुरंत एक्शन लिया जा सके।