[Hindi] उत्तर प्रदेश का साप्ताहिक मौसम पूर्वानुमान (3-9 सितंबर, 2020), किसानों के लिए फसल सलाह

September 3, 2020 12:54 PM | Skymet Weather Team

आइए जानते हैं उत्तर प्रदेश में 3 से 9 सितंबर के बीच कैसा रहेगा मौसम का हाल

भारत में साल 2020 का मॉनसून आंकड़ों के लिहाज़ से तो अच्छा रहा लेकिन उत्तर प्रदेश के कई जिले अभी भी सूखे की मार झेल रहे हैं। मॉनसून के तीन महीने बीत चुके हैं लेकिन उत्तर प्रदेश के अधिकांश पश्चिमी जिले अभी भी मॉनसून वर्षा की राह तक रहे हैं। 1 जून से 2 सितंबर के बीच पूर्वी उत्तर प्रदेश में सामान्य से 2% कम वर्षा हुई है जबकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सामान्य से 26% कम वर्षा प्राप्त हुई है।

हालांकि पिछले 24 घंटों के दौरान मध्य तथा पूर्वी जिलों में अच्छी वर्षा पर हुई है। लखनऊ, फुरसतगंज, वाराणसी और कानपुर तथा आसपास के जिलों में ज़्यादा बारिश हुई है। अगले 3 दिनों तक उत्तर प्रदेश के अधिकांश भागों में मौसम शुष्क रहने की संभावना है। हालांकि पश्चिमी जिलों में एक-दो स्थानों पर वर्षा हो सकती है।

6 सितंबर से 9 सितंबर के बीच राज्य के पूर्वी तथा मध्य जिलों में एक बार फिर वर्षा की गतिविधियां बढ़ सकती हैं उस दौरान कई जगहों पर हल्की से मध्यम वर्षा हो सकती है। पश्चिमी जिलों में छिटपुट वर्षा की ही संभावना दिखाई दे रही है। कह सकते हैं कि अगला सप्ताह भी उत्तर प्रदेश में वर्षा की कमी को पूरा करने में समर्थ नहीं होगा।

उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए फसल सलाह

फसलों की नियमित निगरानी करते रहें और किसी भी रोग या कीट का प्रकोप दिखे तो तुरंत उचित उपचार करें। खेतों खर-पतवारों निकालते रहें और मौसम अनुकूल रहने पर आवश्यतानुसार रसायनिक उपचार करते रहें।

अरहर में लीफ रोलर (पट्टी मोड़क) कीट की रोकथाम के लिए 1 लीटर मोनोक्रोटोफॉस 36 ई.सी. 800 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर छिड़कें।

धान में तना छेदक (स्टेम बोरर) और पत्र लपेट (लीफ-फोल्डर) आदि कीटों के प्रबंधन के लिए खेत में जगह-जगह बर्ड-पर्चर लगाएं। 8-10 फेरोमेन ट्रैप लगाकर कीटों का नियंत्रण किया जा सकता है।

ईख के पौध में गुरदासपुर बोरर के लार्वा पोर में प्रवेश कर अंदर के भाग को खोखला कर देते हैं, जिससे हवा के तेज झोंके से पौधे गिर जाते हैं इसके नियंत्रण लिए क्लोरोपायरीफॉस 20 ई.सी. 1.5 मि.ली. प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें।

मूंग तथा उड़द की फसल के पीले मोजैक से ग्रस्त पौधों को उखाड़कर नष्ट कर दें। मूँगफली की फसल में खर-पतवारों के नियंत्रण के लिए इमेजाथापार 10 एस.एल. 1 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से 500-800 लीटर पानी में घोलकर बुवाई के 2-3 हफ्ते के बाद साफ मौसम में छिड़काव करें।

मक्के की फसल जहां टेस्लिंग की अवस्था में पहुँच गई है वहाँ मक्के के खेतों में यूरिया की दूसरी टॉप-ड्रेस्सिंग साफ मौसम में। मात्रा 60-70 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर रखें।

प्याज़ की बुवाई के लिए खेतों को तैयार किया जा सकता है, इसके लिए 200 से 250 क्विंटल गोबर की खाद प्रति हेक्टेयर की दर से डालें और अंतिम जुताई से पहले 35 कि.ग्रा. नाइट्रोजन, 50 कि.ग्रा. फोस्फोरस तथा 40 कि.ग्रा. पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से मिलाएँ। अगेती आलू की बुवाई के लिए भी खेत की तैयारी करें।

Image credit: TOI

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