
पश्चिमी विक्षोभ और मैदानी क्षेत्रों में इसकी सहायक मौसम प्रणाली अब समाप्त हो गई है। इसके चलते मौसम में बीते दिन से सुधार हुआ है। पहले, पश्चिमी विक्षोभ का असर कश्मीर घाटी और लद्दाख पर सीमित रहा। इसने मुख्य रूप से उत्तराखंड को प्रभावित किया और आंशिक रूप से हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में बारिश हुई। उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में बीते दो दिनों में अच्छी बारिश हुई। मौसम का यह पैटर्न पूर्वानुमान और अपेक्षाओं के अनुरूप ही रहा।
एक और पश्चिमी विक्षोभ का आगमन: एक नया पश्चिमी विक्षोभ कल देर रात पश्चिमी हिमालय की ओर बढ़ रहा है। इसका प्रभाव 15 जनवरी से आंशिक रूप से शुरू होगा और 16 जनवरी से अधिक प्रभावी हो जाएगा। यह गतिविधि 15 से 20 जनवरी के बीच एक सप्ताह तक चलेगी और अगले सप्ताह के मध्य तक भी जारी रह सकती है। 18 और 19 जनवरी के बीच मौसम गतिविधि(बारिश, बर्फबारी और ठंडी हवाएं) अपने चरम पर रहेगी।
पर्यटन स्थलों पर बर्फबारी: सोनमर्ग, पहलगाम, गुलमर्ग, डलहौज़ी, शिमला, मनाली, उत्तरकाशी और मुक्तेश्वर जैसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों पर इस दौरान बर्फबारी की संभावना है। निचले पहाड़ी क्षेत्र और तलहटी में बारिश और गरज के साथ बौछारें पड़ सकती हैं, जबकि कुछ स्थानों पर ओलावृष्टि भी संभव है।
ठंड का प्रकोप और अधिक बढ़ेगा: ठंड के हालात और गंभीर हो सकते हैं और दिन के समय तापमान में गिरावट की संभावना है। कश्मीर घाटी में चिल्लई-कलां (भयंकर ठंड के 40 दिन) के दौरान ठंड और भी कठोर हो सकती है। लगातार और स्थायी मौसम गतिविधि(बारिश और बर्फबारी) के कारण सड़क मार्ग बाधित हो सकते हैं, जिससे संपर्क और संचार में समस्या हो सकती है। अत्यधिक बर्फबारी के कारण जहां भी हवाई सेवाएं उपलब्ध हैं, वे प्रभावित हो सकती हैं। झीलों और जलधाराओं जैसे जल स्रोतों के फिर से जमने की संभावना है।
इस दिन से मौसम में सुधार: मौसम की यह स्थिति अगले सप्ताह के मध्य तक साफ होने की संभावना है। हालांकि, इस दौरान बर्फबारी और ठंड के चलते सामान्य जीवन पर इसका असर पड़ेगा।