पहाड़ों पर पश्चिमी विक्षोभ पूर्वी हिमालय की ओर चला गया है। हालांकि, मौसम प्रणाली का बचा हुआ असर अभी भी श्रीनगर घाटी में हो रहा है। हल्के बादल छिटपुट बारिश दे रहे है, शाम तक मौसम साफ हो जाएगा। इससे पहले जम्मू और श्रीनगर दोनों संभागों में भारी बारिश हुई थी। वहीं, लगातार बारिश होने के कारण कुछ स्थानो पर भूस्खलन भी हुआ है।
भारी बारिश से बढ़ी परेशानियाँ: भूस्खलन के कारण राष्ट्रीय राजमार्ग जम्मू-श्रीनगर बंद कर दिया गया है। किश्तवारी पथेर में भूस्खलन के कारण एनएच-44 भी अवरुद्ध हो गया। बारिश के पानी से उफनती झेलम नदी में एक नाव पलट गई थी, जिसमें कई लोग हताहत हो गए। बता दें, क्षेत्र में पिछले कुछ दिनों में भारी बारिश के कारण झेलम नदी सहित जल निकायों का स्तर बढ़ गया है।
उत्तराखंड में सबसे कम बारिश: 18 अप्रैल 2024 को एक और पश्चिमी विक्षोभ आने की संभावना है। दरअसल, 21 अप्रैल को मौसम की गतिविधियों( बारिश, आँधी, ओलावृष्टि, बर्फबारी) में हल्का ब्रेक के साथ बैक-टू-बैक दो पश्चिम विक्षोभ आएंगे। पहाड़ों पर गतिविधि 18 अप्रैल की शाम से शुरू होगी और 22 अप्रैल तक जारी रहेगी। बचा हुआ असर 23 अप्रैल को भी रहेगा। वहीं, 24 अप्रैल को मौसम प्रणाली हटने और बादल छंटने की उम्मीद की जा सकती है। बता दें, 18 से 24 अप्रैल की अवधि के दौरान उत्तराखंड राज्य में सबसे कम मौसम गतिविधि होने की उम्मीद है।
कई मैदानी राज्यों में बारिश: वहीं, मैदानी इलाकों पर एक प्रेरित चक्रवाती परिसंचरण(induced cyclonic circulation) मुख्य प्रणाली के साथ होगा। 18 और 19 अप्रैल को पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तरी राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश होने की उम्मीद है। पंजाब और हरियाणा के तलहटी इलाकों में भी 20 अप्रैल को सिस्टम का बचा असर देखा जा सकता है। 21 अप्रैल को फिर से बारिश शुरू होगी जो 48 घंटों तक चलेगी। 23 अप्रैल को मौसम की गतिविधियां बहुत हल्की हो जाएंगी। ज्यादातर हिस्सों में बारिश शुरुआत वाले दिन ही कम हो जाएंगी।
पारा कम, नहीं चलेगी लू: उत्तरी मैदानी इलाकों और पहाड़ियों पर रुक-रुक कर होने वाली मौसम गतिविधि के कारण पारा तेजी से बढ़ने की संभावना नहीं है। दिन और रात दोनों में तापमान सामान्य से नीचे रहेगा। इस सप्ताह के दौरान उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में लू चलने की कोई संभावना नहीं है। वहीं, अगले सप्ताह भी इसकी न्यूनतम संभावना है।