जल्द पहुंचेगा पश्चिमी विक्षोभ, पहाड़ों पर बर्फबारी और बारिश के आसार

Mar 24, 2025, 3:45 PM | Skymet Weather Team
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एक पश्चिमी विक्षोभ आज रात उत्तर भारत के पहाड़ी इलाकों में ऊपरी वायुमंडलीय प्रणाली के रूप में पहुंचने वाला है। यह 24 से 27 मार्च के बीच मौसम पर असर करेगा, जबकि इसके बचा हुआ असर अगले 24 घंटे तक महसूस किए जा सकते हैं। इस पश्चिमी विक्षोभ का सबसे ज्यादा असर जम्मू-कश्मीर और लद्दाख पर पड़ेगा, जहां भारी बारिश और बर्फबारी देखने को मिलेगी। इसके बाद हिमाचल प्रदेश में छिटपुट बारिश और बर्फबारी होगी, जबकि उत्तराखंड में इसका सबसे कम प्रभाव रहेगा।

जम्मू-कश्मीर में भारी बर्फबारी और बारिश की संभावना

जम्मू-कश्मीर के 10,000 फीट से अधिक ऊंचाई वाले पर्वतीय क्षेत्रों में भारी बर्फबारी होने की संभावना है। इस क्षेत्र में लगातार चार दिनों तक बारिश और बर्फबारी होती रहेगी। जिसमें 26 मार्च को पश्चिमी विक्षोभ का तेज असर देखने को मिलेगा। श्रीनगर, गुलमर्ग और पहलगाम में बारिश और गरज के साथ बौछारें पड़ सकती हैं, जबकि सोनमर्ग में बर्फबारी देखने को मिलेगी।

हिमाचल में हल्की बर्फबारी, उत्तराखंड में मामूली असर

हिमाचल प्रदेश के डलहौजी, धर्मशाला और शिमला में बारिश और गरज के साथ बौछारें पड़ने की संभावना है, जबकि मनाली में हल्की बर्फबारी हो सकती है। उत्तराखंड में मौसम गतिविधि बहुत हल्की रहेगी, जो सिर्फ ऊपरी पहाड़ी इलाकों तक ही सीमित रहेगी, वह भी सिर्फ एक या दो दिनों के लिए। जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में 24 से 27 मार्च तक बारिश और बर्फबारी होगी, जबकि 28 मार्च को इसके बचे हुए प्रभाव महसूस किए जा सकते हैं। कुछ स्थानों पर ओलावृष्टि की भी संभावना जताई गई है।

मार्च में पश्चिमी विक्षोभ की प्रवृत्ति और वर्षा की स्थिति

मार्च के महीने में पश्चिमी विक्षोभ उत्तरी दिशा में खिसकने लगता है, लेकिन इस दौरान इनकी आवृत्ति(बार-बार आना) बढ़ जाती है। मार्च पहाड़ों के लिए सबसे ज्यादा बारिश वाला महीना भी होता है। इस साल जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में औसत से कम बारिश और बर्फबारी दर्ज की गई है, जहां मासिक घटाव क्रमशः 32% और 16% दर्ज किया गया है। इसके विपरीत उत्तराखंड में स्थिति थोड़ी बेहतर है, यहां 1 से 23 मार्च के बीच 33% अधिक बारिश दर्ज की गई है।

उत्तर भारत के मैदानी इलाकों पर कोई असर नहीं

यह पश्चिमी विक्षोभ उत्तर भारत के मैदानी इलाकों तक नहीं पहुंचेगा। हालांकि, 24 से 27 मार्च के बीच सिस्टम के प्रभाव से तापमान बढ़ेगा और 28 मार्च के बाद जैसे ही यह सिस्टम साफ होगा, तापमान में गिरावट होने जाएगी। पहाड़ी राज्यों में संचार और कनेक्टिविटी पर कोई बड़ा प्रभाव नहीं पड़ेगा, लेकिन 26 और 27 मार्च के दौरान मौसम की गतिविधियाँ अचानक बढ़ सकती हैं। इस कारण स्थानीय लोगों और पर्यटकों को सावधानी बरतने की जरूरत होगी।

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