गहरा दबाव हुआ कमजोर, कई राज्यों में होगी मूसलाधार बारिश, जानें कब मौसम होगा शांत
May 30, 2025, 4:45 PM | Skymet Weather Teamबांग्लादेश और गंगीय पश्चिम बंगाल के ऊपर बना गहरा दबाव उत्तर-पूर्व की ओर बढ़ते हुए अब डिप्रेशन में बदल गया है। यह सिस्टम वर्तमान में 25°N और 90°E के आसपास स्थित है, जो शिलॉग से लगभग 250 किमी दक्षिण-पश्चिम में है। अगले 12 घंटों में इसके और कमजोर होकर निम्न दबाव क्षेत्र में बदलने की संभावना है। अगले 24 घंटों तक पूर्वोत्तर भारत में तेज बारिश की गतिविधियाँ जारी रहेंगी, इसके बाद यह धीरे-धीरे कम होंगी।
मेघालय और असम के कुछ हिस्सों में भारी बारिश
पिछले 24 घंटों के दौरान बांग्लादेश के अधिकांश हिस्सों में भारी से अति भारी बारिश दर्ज की गई। हालांकि, असम घाटी और मेघालय जो इस सिस्टम के बाईं ओर स्थित हैं, वे इसके प्रचंड प्रभाव से काफी हद तक बच गए। फिर भी, कुछ इलाकों में भारी से अति भारी वर्षा हुई। मेघालय के सोहरा (चेरापूंजी के पास) में 217 मिमी और शिलांग में 135 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गई। पूर्वोत्तर के सभी राज्यों में मध्यम से भारी वर्षा हुई। आज भारी वर्षा की पट्टी ऊपरी असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय और नागालैंड व मणिपुर के कुछ हिस्सों की ओर खिसक जाएगी। बाकी क्षेत्रों में मध्यम बारिश होगी, जिसमें कहीं-कहीं भारी बारिश भी शामिल हो सकती है।
पहाड़ी इलाकों के कारण जल्दी नहीं खत्म होगी बारिश
यह सिस्टम जल्द ही निम्न दबाव क्षेत्र में तब्दील हो जाएगा। हालांकि, पूर्वोत्तर के जटिल भौगोलिक स्वरूप के कारण बारिश की गतिविधियाँ एकदम से समाप्त नहीं होंगी। मानसूनी बारिश सिस्टम के कमजोर पड़ने के बाद भी जारी रहेगी, खासकर पहाड़ी इलाकों में। अब से अधिकांश बारिश की गतिविधियाँ देर शाम और रात में होंगी, जबकि दिन में विशेषकर दोपहर तक कुछ राहत मिल सकती है।
मानसून के अब बंगाल-बिहार की ओर बढ़ने के संकेत
दक्षिण-पश्चिम मानसून पहले ही पूर्वोत्तर भारत के सभी राज्यों तक समय से पहले पहुंच चुका है। यह सिस्टम मानसूनी धाराओं को और आगे बढ़ाकर गंगीय पश्चिम बंगाल तक पहुंचा सकता है, जिसमें कोलकाता भी शामिल है। मानसून की सीमा अब उत्तर बंगाल और उससे लगे उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल तक पहुंच सकती है। बिहार के सीमावर्ती इलाकों किशनगंज, अररिया, सुपौल, मधुबनी और अन्य तराई क्षेत्रों तक भी मानसून पहुंच सकता है।
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हालांकि, इसके बाद मानसून का आगे बढ़ना धीमा हो जाएगा और साहर्सा, दरभंगा, पटना, गया, औरंगाबाद, भभुआ जैसे आंतरिक और पश्चिमी बिहार के हिस्सों तक मानसून का आगे बढ़ना कठिन होगा। इसी तरह झारखंड, पश्चिम बंगाल की सीमा से लगे छत्तीसगढ़, पूर्वी उत्तर प्रदेश और पूर्वी मध्य प्रदेश में भी मानसून की गति धीमी रहेगी। इन क्षेत्रों में मानसून को आगे ले जाने के लिए बंगाल की खाड़ी में एक नया सिस्टम बनना जरूरी होगा।