दक्षिण प्रायद्वीप में मानसून कमजोर, बारिश की भरपाई अब मुश्किल, विदर्भ, मराठवाड़ा और तेलंगाना सबसे अधिक प्रभावित

Jun 24, 2025, 3:00 PM | Skymet Weather Team
thumbnail image

दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत में जून महीने के दौरान बारिश में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिला है। देश में मानसून की जल्दी दस्तक भले ही हुई, लेकिन इसका लाभ दक्षिणी राज्यों को पर्याप्त रूप से नहीं मिल पाया। 26 मई से 15 जून के बीच मानसून ठहर गया, जिससे दक्षिण भारत में बहुत कम वर्षा हुई और जून के पहले पखवाड़े में बारिश में 10% से अधिक की कमी दर्ज की गई। हालांकि 18 जून तक कुछ अच्छी वर्षा के बाद स्थिति कुछ संतुलित हो गई, लेकिन इसके बाद फिर से कमजोर मानसून की स्थिति बनी रही। अब अधिकांश दक्षिणी उप-विभागों में 30% से 40% तक बारिश की कमी हो गई है। आने वाला सप्ताह भी निराशाजनक दिख रहा है और यह कमी और अधिक बढ़ सकती है।

1200630.png delhi june 24

देश के उत्तरी, पूर्वी और मध्य भागों में सक्रिय रहेगा मानसून

आगामी सप्ताह में दक्षिण-पश्चिम मानसून देश के पूर्वी, मध्य और उत्तरी हिस्सों में सक्रिय रहेगा। पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ और दिल्ली में अच्छी और व्यापक बारिश की संभावना है। मध्य प्रदेश और राजस्थान के कुछ हिस्सों में भारी से बहुत भारी वर्षा हो सकती है। विदर्भ क्षेत्र में 24 और 25 जून को कुछ राहतभरी वर्षा संभव है, लेकिन इसके बाद मौसम फिर से शुष्क हो जाएगा।

दक्षिण भारत में बरसात में कमी, तमिलनाडु भी होगा प्रभावित

जहां उत्तर भारत में मानसून सक्रिय रहेगा, वहीं दक्षिण भारत में यह बहुत कमजोर रहेगा। जिन उप-विभागों में बहुत कम बारिश की आशंका है, उनमें विदर्भ, मराठवाड़ा, तेलंगाना, तटीय आंध्र प्रदेश, रायलसीमा, उत्तर व दक्षिण आंतरिक कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु शामिल हैं। तमिलनाडु जहां पहले से वर्षा में अधिशेष था, वह अब उस अधिशेष को खो सकता है। वहीं अन्य सभी क्षेत्रों में बारिश की कमी और बढ़ेगी।

मानसूनी प्रणाली का ट्रैक और वर्षा वितरण

मानसून से जुड़ी हवाएं और सिस्टम बंगाल की खाड़ी से निकलकर सीधे इंडो-गंगा के मैदानों की ओर जा रहे हैं। इस कारण बारिश ज्यादातर उत्तरी भारत तक ही सीमित रह गई है, जबकि दक्षिण भारत के हिस्सों में वर्षा का विस्तार नहीं हो पा रहा है। यह स्थिति विशेष रूप से उन क्षेत्रों के लिए चिंताजनक है जो वर्षा पर आधारित खेती करते हैं जैसे विदर्भ, मराठवाड़ा और तेलंगाना।

वर्षा आधारित कृषि क्षेत्रों के लिए चेतावनी

विदर्भ, मराठवाड़ा और तेलंगाना जैसे क्षेत्रों में 1 जून से 23 जून के बीच वर्षा में 45% से 60% की भारी कमी देखी गई है। किसानों को अगले 10 दिनों के दौरान वर्षा की अपर्याप्तता को ध्यान में रखते हुए बुआई की योजना बनानी चाहिए। वर्षा आधारित खेती वाले क्षेत्रों में बुआई की प्रक्रिया को अभी स्थगित करना बेहतर रहेगा जब तक कि मौसम की स्थिति अनुकूल न हो जाए।

Similar Articles