तीन दशकों में सबसे बरसाती प्री-मानसून, मई 2025 ने तोड़ा रिकॉर्ड, अब तक की सबसे ज्यादा बारिश हुई
Jun 2, 2025, 3:00 PM | Skymet Weather Teamप्री-मानसून सीजन 2025 की शुरुआत धीमी रही, लेकिन इसका अंत रिकॉर्ड तोड़ बारिश के साथ हुआ। मई 2025 में सामान्य 61.4 मिमी के मुकाबले 126.7 मिमी बारिश दर्ज की गई, यानी लगभग दोगुनी बारिश। इस भारी वर्षा के चलते पूरे प्री-मानसून सीजन (मार्च से मई) का कुल आंकड़ा 185.5 मिमी तक पहुँच गया, जबकि सामान्य बारिश 130.6 मिमी मानी जाती है। इसका अर्थ यह हुआ कि सीजन सामान्य से 42% अधिक बारिश के साथ समाप्त हुआ। दिलचस्प बात यह है कि मई का महीना अकेले लगभग पूरे सीजन की बारिश के बराबर रहा।
इतिहास में दूसरा सबसे अधिक बारिश वाला प्री-मानसून
साल 2025 का प्री-मानसून सीजन वर्ष 1990 के बाद सबसे अधिक बारिश वाला रहा है। इससे पहले 1990 में सबसे अधिक 210.7 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गई थी। हालांकि, मई 2025 ने एक नया रिकॉर्ड बनाया है और यह 1901 के बाद का सबसे ज्यादा बारिश वाला मई बन गया है। इसने मई 1990 में दर्ज 112.9 मिमी को पीछे छोड़ते हुए 126.7 मिमी वर्षा दर्ज की।

साल 1901 से 2025 तक मई महीने में हुई बारिश
पिछले वर्षों की तुलना में 2025 का प्रदर्शन शानदार
पिछले कुछ वर्षों की तुलना में 2025 का प्री-मानसून प्रदर्शन असाधारण रहा है। इस साल 106% अधिशेष दर्ज किया गया, जबकि 2024 में -3%, 2023 में +13%, और 2022 में शुद्ध रूप से सामान्य बारिश (0%) रही। 2020 और 2021 में क्रमशः +21% और +18% अधिशेष रहा था, लेकिन 2025 का आंकड़ा इन सभी से कहीं अधिक है। यह स्पष्ट करता है कि इस बार की बारिश कितनी असामान्य और व्यापक रही है।
क्षेत्रीय वितरण: कहाँ हुई सबसे ज्यादा बारिश
देश के चार प्रमुख मौसम क्षेत्रों में से सबसे ज्यादा बारिश मध्य भारत में हुई, जहाँ सामान्य से 236% अधिक बारिश हुई। इसके बाद दक्षिणी प्रायद्वीपीय भारत में 125% अधिशेष बारिश दर्ज की गई। इसके विपरीत, उत्तर-पश्चिम भारत में 14% और पूर्व एवं पूर्वोत्तर भारत में 8% की मामूली कमी दर्ज की गई।
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उपमंडलों में बारिश की स्थिति
मध्य और दक्षिणी भारत के लगभग सभी उपमंडलों (Sub-Divisions) में 60% से अधिक अधिशेष बारिश रिकॉर्ड की गई, जो लगभग अभूतपूर्व है। कोंकण और गोवा, गुजरात, सौराष्ट्र और कच्छ जैसे क्षेत्रों में 1000% से अधिक अधिशेष वर्षा दर्ज की गई। इनमें सौराष्ट्र और कच्छ सबसे आगे रहा, जहाँ सीजनल बारिश में 1462% का जबरदस्त इज़ाफा देखा गया। दूसरी ओर, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख देश के सबसे कम बारिश वाले क्षेत्र रहे, जहाँ 32% की कमी रही।
देशभर का औसत प्रदर्शन
देश के लगभग 89% हिस्से में सामान्य से लेकर भारी अधिशेष बारिश (normal to large excess) दर्ज की गई। केवल 11% क्षेत्र ऐसा था जहाँ बारिश की कमी रही, जो कि एक बहुत ही सकारात्मक संकेत है।