पंजाब-हरियाणा में सूखा मौसम, तापमान में होगी बढ़ोतरी, रबी फसलों पर संकट
Feb 7, 2025, 7:56 PM | Skymet Weather Teamउत्तर भारत इस समय सर्दियों के चरम पर है, लेकिन पंजाब और हरियाणा के अधिकांश हिस्सों में बारिश काफी कम हुई है। जनवरी और फरवरी को शीतकालीन मौसम के सबसे महत्वपूर्ण और बारिश वाले महीने माना जाता है। इस दौरान लंबे समय तक शुष्क मौसम रहना कृषि क्षेत्र और किसानों के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। रबी सीजन अपने अंतिम चरण में है और इस दौरान बारिश की भारी कमी किसानों के लिए गंभीर चिंता का विषय बन गई है।
पंजाब में बारिश की भारी कमी: पंजाब के अधिकांश जिलों में वर्षा की भारी कमी दर्ज की गई है। मालवा क्षेत्र के कुछ हिस्सों में स्थिति थोड़ी बेहतर है, लेकिन दोआबा और माझा क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित हैं। पठानकोट, गुरदासपुर, अमृतसर, तरनतारन, जालंधर, होशियारपुर और मोगा जैसे जिलों में 75% से अधिक वर्षा की कमी दर्ज की गई है। लुधियाना, पटियाला, रोपड़, मोहाली और संगरूर की स्थिति थोड़ी बेहतर है, लेकिन कई इलाकों में अब भी सूखे की स्थिति बनी हुई है।
हरियाणा भी बारिश की कमी से प्रभावित: हरियाणा की स्थिति भी पंजाब से अलग नहीं है। विशेष रूप से कैथल, जींद और हिसार जैसे जिले काफी प्रभावित हुए हैं। अंबाला, करनाल और रोहतक में कुछ राहत मिली है, लेकिन यह अब भी पर्याप्त नहीं है और किसानों की चिंताएँ बनी हुई हैं।
शीतकालीन बारिश नहीं होने का कारण: पिछले 2-3 हफ्तों में एक के बाद एक पश्चिमी विक्षोभ पहाड़ियों से गुज़र रहे हैं, लेकिन ये सिस्टम कमज़ोर रहे और मैदानी इलाकों में बारिश नहीं कर पाए। यहां तक कि पर्वतीय राज्यों में भी भारी बारिश और बर्फबारी की कमी बनी हुई है। हालांकि, एक नया पश्चिमी विक्षोभ 8 से 12 फरवरी के बीच पश्चिमी हिमालय पहुंचेगा। लेकिन इसकी प्रभावशीलता भी मध्यम से हल्की रहेगी, और इसका असर केवल पहाड़ों तक ही सीमित रहेगा।
तापमान में भारी बढ़ोतरी की संभावना: इस पश्चिमी विक्षोभ के आगमन और प्रभाव से मैदानी इलाकों में तापमान में भारी वृद्धि होगी। 9 से 12 फरवरी के बीच तापमान में तेज़ उछाल देखने को मिलेगा। हालाँकि, 13 और 14 फरवरी को तापमान में थोड़ी गिरावट होगी, लेकिन इसके बाद 15 फरवरी से तापमान फिर से बढ़ना शुरू हो जाएगा।
कब तक रहेगा शुष्क मौसम: पंजाब, हरियाणा और उत्तर भारत के अन्य मैदानी इलाकों में मध्य फरवरी तक शुष्क मौसम जारी रहेगा। लगातार बारिश की कमी के कारण किसानों को फसल की सिंचाई और अन्य कृषि कार्यों में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। आने वाले दिनों में गर्मी का असर धीरे-धीरे बढ़ेगा, जिससे मौसम में बदलाव की संभावना और बढ़ जाएगी।