
आइए जानते हैं कैसा रहेगा हरियाणा में 22 से 28 अप्रैल के बीच एक सप्ताह के दौरान मौसम का हाल।
पिछले दिनों हरियाणा के पश्चिमी और उत्तरी भागों में गरज के साथ बारिश और आँधी तूफान की गतिविधियों ने फसलों को नुकसान पहुंचाया है।
22 अप्रैल को समूचे हरियाणा में मौसम मुख्यतः शुष्क रहने की संभावना है। उसके बाद 23 अप्रैल से 26 अप्रैल के बीच हरियाणा के दक्षिणी तथा पश्चिमी जिलों में गरज के साथ बारिश होने तथा आंधी चलने की संभावना है।
चंडीगढ़, यमुनानगर, अंबाला और कुरुक्षेत्र जैसे उत्तरी हरियाणा के जिलों में भी गरज के साथ बारिश होने के आसार हैं। प्री-मॉनसून सीजन में बारिश की गतिविधियां सभी जगहों पर एक जैसी नहीं होती हैं। इसलिए कुछ स्थानों पर तेज बौछारें गिर सकती हैं जबकि कुछ स्थानों पर हल्की बारिश होने की संभावना है। साथ ही कहीं-कहीं आंशिक बादल दिखेंगे लेकिन बारिश हो ऐसा आवश्यक भी नहीं है।
इस सप्ताह अधिकांश जिलों में बादल छाने और कुछ जिलों में बारिश होने के चलते तापमान सामान्य से नीचे ही बने रहने की संभावना है।
हरियाणा के किसानों के लिए इस हफ्ते की एड्वाइज़री
आगामी दिनों में कुछ हिस्सों में वर्षा की संभावना को देखते हुए किसानों को सलाह है कि रबी फसलों की मड़ाई अभी टाल देनी चाहिए। सिंचाई और छिड़काव भी स्थगित कर देना चाहिए।
फसलों की कटाई के बाद अवशेषों को जलाने से बचें, इससे न सिर्फ पर्यावरण प्रदूषित होता है बल्कि मिट्टी की गुणवत्ता पर भी असर पड़ता है।
कपास की फसल में अच्छे फुटाव के लिए खेत को भली-भांति तैयार करना आवश्यक है। पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करना उपयुक्त होगा, इसके बाद आवश्यकतानुसार 3-4 जुताइयाँ करके खेत तैयार करें। अच्छा पलेवा भी करें।
मौसम साफ हो जाने पर कपास की बिजाई प्रारम्भ करें। अमेरीकन कपास (नरमा) की बिजाई के लिए 6-8 किग्रा रोएँ-रहित या 8-10 किग्रा रोएँ-दार बीज प्रति एकड़ पर्याप्त होता है।
देसी कपास की बिजाई के लिए 5 किग्रा बीज प्रति एकड़ प्रयोग करें। ड्रिल द्वारा बिजाई करने के लिए यदि रोएँ-रहित बीज न मिलें तो 6 किग्रा रोएँ-दार बीजों को बोने से पहले बारीक मिट्टी, गोबर या राख़ में रगड़ लेना चाहिए जिससे ड्रिल में से बीज एक समान निकलें।
कद्दू-वर्गीय सब्जियों की फसलों में यदि पाउडरी मिलड्यू का प्रकोप हो तो 60-80 मिली केराथेन 25 ईसी को 100 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ साफ मौसम में छिड़कें।
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