Space Junk's Shadow: क्या अंतरिक्ष का कचरा बिगाड़ रहा है पृथ्वी का मौसम? जानिए वैज्ञानिकों की चेतावनी

May 6, 2025, 8:00 PM | Skymet Weather Team
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आजकल अंतरिक्ष की होड़ तेज़ हो चुकी है। हर साल सैकड़ों रॉकेट और उपग्रह छोड़े जा रहे हैं ताकि इंटरनेट, मौसम पूर्वानुमान और रिसर्च बेहतर हो सके। लेकिन इस विकास के साथ एक नया खतरा जुड़ रहा है-अंतरिक्ष से आने वाला प्रदूषण, जो हमारी पृथ्वी के वायुमंडल को नुकसान पहुँचा सकता है और जलवायु परिवर्तन को और बढ़ा सकता है।

स्पेस जंक: अंतरिक्ष में बढ़ता कबाड़

अंतरिक्ष में घूम रहे खराब हो चुके उपग्रह, टूटे-फूटे रॉकेट के हिस्से और दूसरे मलबे को "स्पेस जंक" कहा जाता है। ये टुकड़े बहुत तेज गति से घूमते हैं और टकराने का खतरा बढ़ा रहे हैं। अनुमान है कि अब तक 170 मिलियन से ज़्यादा छोटे टुकड़े और हजारों बड़े मलबे अंतरिक्ष में घूम रहे हैं। नए उपग्रहों की भारी संख्या भी इस संकट को और बढ़ा रही है।

रॉकेट का धुआं: प्रदूषण का असर

रॉकेट जब उड़ते हैं तो वे एलुमिनियम ऑक्साइड, ब्लैक कार्बन (काले कण), क्लोरीन और नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) जैसे हानिकारक तत्व वातावरण में छोड़ते हैं। ये तत्व ऊपरी वातावरण (stratosphere) में लंबे समय तक बने रहते हैं। शोध (Ryan et al. 2022) के अनुसार, रॉकेट से निकलने वाला ब्लैक कार्बन धरती पर निकलने वाले कणों से 500 गुना ज़्यादा जलवायु को गर्म कर सकता है। यह ओजोन परत के सुधार को भी प्रभावित कर सकता है। लेकिन चिंता की बात यह है कि अभी तक इन उत्सर्जनों पर कोई सख्त नियम नहीं हैं।

गिरता उपग्रह: वातावरण पर असर

जब उपग्रह अपने कार्यकाल के बाद वायुमंडल में गिरते हैं, तो वे जल जाते हैं और उनसे एलुमिना जैसे तत्व निकलते हैं। एक रिसर्च (Maloney et al. 2025) के अनुसार, भविष्य में इतनी अधिक संख्या में उपग्रह जलेंगे कि उनका प्रदूषण उल्कापिंडों से आने वाली धूल के बराबर हो सकता है।

यह एलुमिना ओजोन परत को दशकों तक नुकसान पहुंचा सकता है। आज के समय में लगभग 10% stratospheric कणों में उपग्रहों से निकले धातु मौजूद हैं, जो तेजी से बढ़ रहे हैं।

जलवायु पर प्रभाव: दोहरी मार

ये प्रदूषण दो तरीकों से जलवायु को प्रभावित करते हैं, पहला है ओजोन परत की क्षति: एलुमिना और ब्लैक कार्बन ओजोन को नष्ट करने वाली रासायनिक क्रियाओं को बढ़ाते हैं। दसूरा है ऊर्जा संतुलन में बदलाव: एलुमिना सूर्य की रोशनी को वापस भेजता है (ठंडक लाता है), जबकि ब्लैक कार्बन इसे अवशोषित करता है (ऊपरी वातावरण को गर्म करता है)। यह प्रभाव ज्वालामुखियों के धुएं जैसा अस्थायी नहीं है, बल्कि धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है और लंबे समय तक रहेगा।

मौसम और जलवायु पर असर क्यों जरूरी है?

ऊपरी वातावरण में बदलाव धरती के नीचे के मौसम को भी प्रभावित करता है। Stratosphere में तापमान और हवा के बहाव में बदलाव होने से jet stream और polar vortex पर असर पड़ता है। इससे तूफानों की दिशा बदल सकती है और अत्यधिक मौसम (जैसे बेमौसम बारिश, लू, ठंड) बढ़ सकते हैं। ओजोन परत की कमी से UV किरणें ज़्यादा धरती पर पहुँचती हैं, जो स्वास्थ्य और खेती के लिए नुकसानदायक हैं।

निष्कर्ष: अंतरिक्ष की प्रगति, धरती के लिए जिम्मेदारी

अंतरिक्ष तकनीक ने बहुत फायदे दिए हैं, लेकिन इससे पर्यावरण को नुकसान भी हो रहा है। रॉकेट और उपग्रहों से निकलने वाला प्रदूषण ओजोन परत को कमजोर और जलवायु को असंतुलित कर रहा है। इससे निपटने के लिए ज़रूरी है- साफ़ ईंधन का प्रयोग करना, पुराने मलबे को हटाना, टिकाऊ सैटेलाइट डिजाइन और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कड़े नियम बनाना। अगर हम अभी कदम नहीं उठाए, तो यह खतरा आने वाली पीढ़ियों के लिए गंभीर बन सकता है।

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