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कड़ाके की ठंड में पशुओं के बचाव के लिए किसान अपनाएं ये तरीके, खान-पान में भी करें बदलाव

January 3, 2024 3:17 PM |

उत्तर भारत में इस समय कड़ाके की ठंड पड़ रही है। कोहरा और पाले के साथ शीत लहर चल रही है। सर्दी से इंसानों के साथ जानवर भी परेशान होते हैं। यह मौसम किसान और पशुपालकों के लिए सावधानी बरतने वाला होता है। ज्यादा ठंड होने पर गाय-भैंस सहित पालतू जानवर बीमारियों के शिकार हो जाते हैं। पशु चिकित्सकों के अनुसार ठंड में जैसे तापमान गिरता है, वैसे ही पालतू पशुओं के शरीर का तापमान भी कम होने लगता है। ठंड में छोटे-बड़े सभी दुधारू पशुओं को बुखार, दस्त, निमोनिया के साथ कई अन्य बीमारी हो जाती हैं। ठंड में सबसे ज्यादा नवजात और छोटे पशुओं की दस्त और निमोनिया से होती है। इस दौरान किसानों को अपने पालतू पशुओं(दुधारू) की विशेष देखभाल करने की जरूरत होती है।

इस तरह करे रहने की व्यवस्था: ठंड से बचाने के लिए किसान पशुशाला या बाड़े के खुले दरवाजों और खिड़कियों को टाट, जूट या किसी अन्य कपड़े से ढक दें। जिससे ठंडी हवा बाड़े के अंदर न जा सके। पशुओं को भी जूट का बोरा या मोटे कपड़े से बना बिछौना पहनाएं। जिससे पशुओं के शरीर में गर्माहट बनी रहे। पशुओं के रहने की जगह पर नमी नहीं होने दे। इसके लिए बाड़े (पशुशाला) के बाहर अलाव जला सकते है और गर्म हीटर का भी प्रयोग कर सकते है। लेकिन, पशुओं को इनसे दूर रखे। 

कोहरे और शीतलहर से रखे दूर: पशुशाला(बाड़े) को साफ-सुथरा और सूखा रखें। इसके लिए पशुशाला में सूखी राख के साथ चूना मिलाकर छिड़काव करें, साथ ही पशुशाला के फर्श पर पुआल बिछाए। ज्यादा ठंड या शीतलहर चलने पर पशुशाला को चारों तरफ से ढक दें। सुबह और शाम के समय पशुओं को खुले में न बांधें। खासकर रात में किसी छप्पर, बंद कमरें या फिर शेडयुक्त जगह पर भी बांधे। तेज धूप निकलने पर शरीर पर सरसों का तेल लगाकर पशुओं को खुले में बांधे। छोटे पशुओं को जरूर धूप में बाहर निकाले, जिससे वह चलफिर और दौड़ सके। इससे उनके शरीर में ऊर्जा आएंगी।

कब और कैसे नहलाएं: सर्दियों में पालतू पशुओं की साफ-सफाई पर विशेष ध्यान रखने की जरूरत होती है। क्योंकि इस मौसम में कई तरह के वायरस और बैक्टीरिया पनपते हैं। जो उन्हे बीमार कर सकते हैं। सर्दियों में धूप निकलने पर पशुओं को सप्ताह में 2 से 3 बार नहलाए। लेकिन, ज्यादा ठंड होने पर जैसे तुषार पड़ने और शीत लहर चलने पर न नहलाएं। साफ-सफाई नहीं करने पर पशुओं के कीट-जू, पिस्सू और किलनी का प्रकोप हो जाता है। किसान कीट-जू, पिस्सू और किलनी से ग्रासित पशुओं के शरीर पर बूटॉक्स और क्लीनर दवा की दो मिली मात्रा 1 लीटर पानी में घोलकर लगाएं और 3 से 4 घंटे के बाद पशुओं को नहला दे। इस दवा का प्रयोग करने से पहले पशु चिकित्सक से सलाह ले।

ऐसे बढ़ाए दूध की मात्रा: सर्दियों में ठंड लगने पर गाय-भैंस व अन्य दुधारू पशुओं की दूग्ध उत्पादन की क्षमता ज्यादा प्रभावित होती है। दूध क्षमता बढ़ाने के लिए पशुओं को हर रोज 250 ग्राम गुड़ दें और उनके आहार का विशेष ध्यान रखें। सूखा और हरा चारा दो से एक के अनुपात में दे। क्योंकि सूखा चारा शरीर में ऊर्जा बनाए रखता है। साथ ही पशुओं को सेंधा नमक भी खिलाएं। सेंधा नमक से पशुओं में प्यास बढ़ेंगी, जिससे पानी पीने की मात्रा बढ़ेगी और शरीर हाइड्रेट रहेगा। 

पशुओं को दे संतुलित आहार: ठंड से बचाने के लिए किसान अपने पालतू पशुओं के खाने और पीने का खास ख्याल रखे। उन्हें संतुलित आहार दें और तालाब, पोखर, नालों और नदियों का गंदा पानी बिल्कुल नहीं पिलाएं। बल्कि, दिन में तीन से चार बार साफ- स्वच्छ पानी पिलाएं। हल्का गुनगुना पानी भी पिला सकते है, ध्यान रखे पानी ज्यादा गर्म या ठंडा न हो। पानी पिलाते समय बाल्टी के तल में थोड़ा बिना बूझा चूना डाल दे। चूना पशुओं में कैल्शियम की कमी को दूर करेगा।

पशुओं को सर्दियों में ऊर्जा देने वाला आहार खिलाएं। डेगनाला बीमारी से बचाने के लिए पराली भी खिला सकते है, बशर्ते पराली साफ-सुथरी होनी चाहिए। पशुओं के शरीर का तापमान बनाए रखने के लिए सरसों के तेल के साथ गुड़ को मिलाकर खिलाएं। सर्दियों में रात के समय किसान अपने पालतू जानवरों को सूखा चारा खिलाएं। महिने में एक बार किसान अपने मवेशियों को सरसों का तेल भी पिला सकते हैं।

फोटो क्रेडिट- टीएनएयू एग्रीटेक पोर्टल






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