भारत में सर्दियों का मौसम अपने चरम पर चल रहा है। अक्सर सर्दियों में फसलों पर पाला गिरने से पूरी फसल के बर्बाद हो जाने की खबरें आती की खबरें आती रहती हैं। जिससे पूरी की पूरी फसल बर्बाद हो जाती है। क्योंकि दिसंबर और जनवरी की ठंड में सबसे ज्यादा पाला पड़ता है। हालांकि, आज भी देश के ज्यादातर लोगों को नहीं पता कि पाला क्या होता है या फिर पाला किसे कहते है। इसके साथ लोग यह भी नहीं जानते है कि पाला फसलों के लिए कितना हानिकारक होता है। कई बार पाला पड़ने के कारण अच्छी खासी फसल पूरी तरह से नष्ट हो जाती है।
क्या होता है पाला पड़ना: जब तापमान शून्य डिग्री सेल्सियस या इससे नीचे चला जाता है। तब फसलों पर पाला पड़ने की संभावना ज्यादा रहती है। क्योकि शून्य डिग्री तापमान पर जलवाष्प ठोस के रूप में जम जाती है। यह बर्फ की सफेद पतली चादर की तरह होती है। पौधों पर ठोस बर्फ के रूप में बनी इसी सफेद पतली चादर को पाला कहते है। इससे फसल की ग्रोथ(बढ़त) रुक जाती है। अधिक पाला गिरने पर पौधे के फल और फूल पर प्रभाव पड़ता है।
इन फसलों को करता है प्रभावित: अधिक समय तक पाला पड़ने पर लगभग सभी फसलें प्रभावित होती हैं। लेकिन पाले का सबसे ज्यादा प्रभाव छोटे हल्के और फलदार पौधों पर होता है। जैसे- मसूर, टमाटर, चना, सरसों, मिर्च, धनिया, पालक और फूलगोभी आदि की फसले। वहीं, पाला बहुत दिनों तक पड़ता रहे तो गेहूं, अरहर और अलसी की भी फसलों को नुकसान पहुंचाता है। इसी के साथ ज्यादा ठंड होने पर फसल में झुलसा भी लग जाता है। जिससे पौधे की पत्तियां और फल सिकुड़कर बदरंग हो जाते है।
पाला पड़ने पर किसान ये बिल्कुल न करें: पाला पड़ने के दिनों में किसान अपने खेत में जुताई बिल्कुल भी नहीं करे। क्योंकि ऐसा करने से खेत की जमीन का तापमान कम हो जाता है। वहीं, अगर आपके क्षेत्र में बारिश होने का पुर्वानुमान जाताया गया हो, तो किसान खेतों में सिंचाई न करें। क्योंकि खेत में ज्यादा नमी होने पर सब्जियों वाली फसलों को नुकसान होने की संभावना रहती है। नमी से सब्जियों वाली फसल में कई रोग लग सकते है।
कब करें कीटनाशक का छिड़काव: वहीं, पाले से बचाने के लिए फसलों पर कीटनाशक, रोग नाशक या फिर खरपतवार नाशक का छिड़काव खुली धूप के समय करें। क्योंकि दोपहर का मौसम ही रसायनिक छिड़काव के लिए सबसे अच्छा होता है। लेकिन, आपके क्षेत्र में कोहरा और बादल छाए हुए हैं या फिर बारिश होने की संभावना है। तो किसी भी तरह के कीटनाशक का छिड़काव करने से बचे। विशेषकर जब फसल में फूल आ गए हो तो खेत में रसायनिक छिड़काव करने से परहेज करे।
वर्ना दवाई के छिड़काव से फूल की बढ़वार(ग्रोथ) रुक जाएगी। फूल झड़ने शुरू हो जाएंगे और दाने व फल नहीं बनेंगे। ऐसे में प्राकृतिक तरीकों और देशी जुगाड़ जैसे धुआं, नमी, नीम का तेल और कंडों की राख का बुरकाव प्रयोग करे। वहीं, इस बात भी ध्यान रखे इस सब के साथ आपने खेत में मधुमक्खियां पाल रखी हैं या आसपास से मधुमक्खियां आपके खेत के आसपास आती हैं। तो दिन के समय रसायनिक का छिड़काव न करे, वर्ना मक्खियां मर जाएंगी. शाम के समय छिड़काव करे, उस वक्त मधुमक्खियां अपने छत्तों में वापस लौट जाती हैं।
फोटो क्रेडिट- दैनिक भास्कर