मौसम विशेषज्ञों के अनुसार उत्तर-पश्चिम भारत के बड़े हिस्सों जैसे पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और पश्चिम राजस्थान में अगले 48 घंटों तक शुष्क मौसम बना रहेगा। इसका प्रमुख कारण मानसून ट्रफ का पश्चिमी सिरा उत्तर की ओर खिसककर हिमालय की तलहटी के पास स्थिर होना है, जिससे इन क्षेत्रों में वर्षा की गतिविधियाँ थम गई हैं।
बरसात में क्षेत्रवार अंतर: कहीं ज्यादा तो कही कमी
इस मानसून सीजन में बारिश का वितरण उत्तर-पश्चिम भारत में असमान रहा है। पश्चिम राजस्थान में 114% अधिक बारिश दर्ज की गई है, जो औसत से काफी ज्यादा है। हरियाणा में 21% अधिशेष, जबकि चंडीगढ़ में मात्र 2% अधिशेष वर्षा हुई है। वहीं, दिल्ली में बारिश 18% कम रही है और रुक-रुक कर बरसने से पर्याप्त नमी नहीं बन पाई है।
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गर्म हवाओं और उमस से दिन में बेचैनी, रात में चिपचिपाहट
वर्तमान में पूरे क्षेत्र में गर्म और शुष्क हवाएं चल रही हैं, जिससे दिन के तापमान में बढ़ोतरी हो रही है। साथ ही, आर्द्रता (humidity) में भी इजाफा हो रहा है, जिससे दिन के समय घबराहट और बेचैनी और रात के समय भारी उमस महसूस की जा रही है। विशेष रूप से दिल्ली और चंडीगढ़ जैसे शहरी क्षेत्रों में यह स्थिति ज्यादा परेशान कर सकती है।
27 जुलाई से बदलाव की उम्मीद: बारिश लौटेगी?
मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि 27 जुलाई के आसपास मौसम में फिर से बदलाव आ सकता है। बंगाल की खाड़ी में बना निम्न दबाव क्षेत्र धीरे-धीरे जमीन की ओर बढ़ेगा, जिससे मानसून ट्रफ फिर से दक्षिण की ओर खिसक सकता है। इससे उत्तर भारत के कुछ हिस्सों पंजाब, हरियाणा और दिल्ली में हल्की से मध्यम बारिश और कहीं-कहीं तीव्र वर्षा की एक-दो बौछारें संभव हैं।
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पश्चिम राजस्थान अब भी रहेगा सूखा
जहां बाकी क्षेत्रों में कुछ राहत की उम्मीद है, वहीं पश्चिम राजस्थान में फिलहाल किसी खास बारिश की संभावना नहीं है। अगले सप्ताह तक यहां का मौसम मुख्यतः शुष्क ही बना रहेगा।
फिलहाल असहजता बनी रहेगी, पर राहत दूर नहीं
इस शुष्क चरण के दौरान क्षेत्र में तापमान और उमस दोनों बढ़ेंगे, जिससे लोगों को खासकर दिन में असहजता महसूस हो सकती है। हालांकि, आने वाले दिनों में मानसून की नई गतिविधियाँ दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों के लिए बहुत जरूरी राहत लेकर आ सकती हैं।







