Monsoon 2025: दक्षिण-पश्चिम मानसून जल्द पहुंचेगा अंडमान सागर, दिखने लगे शुरुआती संकेत

May 8, 2025, 5:25 PM | Skymet Weather Team
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हर साल मई की शुरुआत में ही दक्षिण-पश्चिम मानसून को लेकर चर्चा शुरू हो जाती है। यह वार्षिक मौसमी प्रक्रिया पूरी दुनिया के बड़े हिस्सों को भिगोती है, लेकिन भारतीय उपमहाद्वीप पर इसका असर सबसे खास होता है। भारत में मानसून आमतौर पर जून की शुरुआत में दस्तक देता है और अगले 3–4 हफ्तों में पूरे देश में फैल जाता है। कभी-कभी यह देर से आता है और सबको इंतज़ार कराता है, तो कभी सैन्य अनुशासन की तरह समय पर पहुंचकर राहत और खुशी का कारण बनता है।

क्रॉस इक्वेटोरियल फ्लो से शुरू होता है मानसून

मानसून के प्रवेश के लिए भूमध्य रेखा (equator) के आर-पार हवाओं का बहाव यानी क्रॉस इक्वेटोरियल फ्लो बनना जरूरी होता है। इसका मतलब है कि भूमध्य रेखा के पास पूर्वी व्यापारिक हवाएं तेज होती हैं, जो भूमध्य रेखा को पार कर दक्षिण-पश्चिमी हवाओं के रूप में अंडमान सागर और दक्षिण बंगाल की खाड़ी तक पहुंचती हैं। यही हवाएं मानसून के आगमन की शुरुआत करती हैं। इसके बाद मानसून तेज गति से आगे बढ़ सकता है या कभी-कभी धीमा होकर सबको चिंतित भी कर सकता है।

मानसून का संभावित समय और रास्ता

दक्षिण अंडमान सागर और दक्षिण-पूर्व बंगाल की खाड़ी में मानसून सामान्यतः 15 से 20 मई के बीच (±5 दिन) पहुंचता है। पिछले वर्ष 2024 में यह 19 मई को आया था। इसके बाद यह 22 मई तक उत्तर अंडमान सागर और मध्य बंगाल की खाड़ी में प्रवेश करता है। जब मानसून श्रीलंका तक पहुंचता है, तो यह 26 मई तक आंतरिक हिस्सों में घुसपैठ करता है। अगला ठिकाना केरल होता है, जहां मानसून का आगमन आमतौर पर 1 जून के आसपास होता है, जिसमें ±7 दिन की भिन्नता हो सकती है।

±5 दिन का मतलब है "प्लस माइनस पाँच दिन", यानी 5 दिन पहले या 5 दिन बाद तक की संभावना। उदाहरण के तौर पर अगर कहा जाए कि "मानसून 15 मई तक अंडमान सागर में पहुंच सकता है (±5 दिन)", तो इसका मतलब है कि मानसून 10 मई से लेकर 20 मई के बीच कभी भी पहुंच सकता है। यह तरीका मौसम या अन्य वैज्ञानिक भविष्यवाणियों में समय की अनिश्चितता (uncertainty) को दिखाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। ±7 दिन इसी स्थिति को दर्शाता है।

इस वर्ष मानसून के अनुकूल बन रहे हैं हालात

13 से 15 मई 2025 के बीच दक्षिण अंडमान सागर और दक्षिण-पूर्व बंगाल की खाड़ी में मानसून के आगमन के लिए परिस्थितियाँ अनुकूल बन रही हैं। इस क्षेत्र में मई के मध्य तक कोई शक्तिशाली मौसमी प्रणाली नहीं बन रही है, लेकिन थाईलैंड के आंतरिक हिस्सों में एक हल्की चक्रवातीय प्रणाली विकसित हो रही है। यह प्रणाली 12 मई के आसपास अराकान तट के पास मार्टबान की खाड़ी होते हुए बंगाल की खाड़ी के पूर्वी हिस्से में प्रवेश कर सकती है। इससे दक्षिण बंगाल की खाड़ी में इक्वेटोरियल फ्लो तेज़ होगा।

भारी बारिश के साथ अंडमान में मानसून की दस्तक

तेज दक्षिण-पश्चिमी हवाएं 12 से 15 मई 2025 के बीच अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में भारी बारिश ला सकती हैं। यह बदलाव मानसून के अंडमान सागर और निकोबार द्वीपों में आगमन का संकेत हो सकता है, जो कि संभवतः 14–15 मई के बीच हो सकता है।

शुरुआती आगमन का आगे के प्रभाव से नहीं होता संबंध

यह ध्यान रखना जरूरी है कि मानसून का अंडमान में शुरुआती आगमन, बंगाल की खाड़ी या भारत के अन्य हिस्सों में इसकी आगे की प्रगति से सीधे जुड़ा नहीं होता। यानी, जल्दी शुरुआत का यह मतलब नहीं कि पूरे भारत में भी मानसून समय से पहले या तेज़ी से पहुंचेगा।

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