सात सालों में सबसे शुष्क जनवरी, पहाड़ों पर बारिश-बर्फबारी की भारी कमी

By: skymet team | Edited By: skymet team
Feb 3, 2025, 5:58 AM
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बारिश और बर्फबारी की कमी, फोटो: Canva

जनवरी और फरवरी सर्दी के मौसम में सबसे अधिक बारिश होने वाले महीने होते हैं। उत्तर पश्चिम भारत इस दौरान प्रमुख बारिश क्षेत्र होता है, इसके बाद पूर्वी और उत्तर-पूर्वी भारत आता है। सबसे कम बारिश मध्य भारत में होती है। वहीं, उत्तर भारत के पहाड़ों, अंडमान सागर और लक्षद्वीप द्वीप में सबसे अधिक बारिश होती है। इस साल अरुणाचल प्रदेश, अंडमान-निकोबार द्वीप समूह, और लक्षद्वीप में बारिश सामान्य स्तर के पास रही है। वहीं, उत्तर पश्चिम भारत और मध्य भारत इस मौसम में बारिश की सबसे बड़ी कमी का सामना कर रहे हैं।

जनवरी में बारिश का रिकॉर्ड: जनवरी 2025 में देशभर में 5 मिमी से भी कम बारिश हुई, जबकि सामान्य बारिश का आंकड़ा 17.1 मिमी था। बारिश का सामान्य आंकड़ा साल 2019 में 17.1 मिमी था, जबकि पहले 2018 में सामान्य बारिश 19.2 मिमी थी। जनवरी 2025 की बारिश 2018 के बाद सबसे कम रही है। बता दें, साल 2018 में केवल 2.9 मिमी बारिश दर्ज की गई थी, जब पूरे देश में बारिश की कमी 85% रही थी। जनवरी 2025 में बारिश की कमी लगभग 70% रही, जो कि काफी बड़ी कमी है।

साल दर सार जनवरी में हुई बारिश: नीचे जनवरी के महीने में विभिन्न वर्षों में बारिश का आंकड़ा दिया गया है:

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देश में वर्षा की स्थिति: नॉर्मल बारिश का आंकड़ा बहुत छोटा होने के कारण बारिश में भिन्नता अधिक रहती है। खासकर मध्य और दक्षिणी भारत में जहां बारिश की मात्रा कम होती है। मध्य भारत और दक्षिणी भारत के राज्यों जैसे उड़ीसा, छत्तीसगढ़, गंगीय पश्चिम बंगाल, गुजरात, कोंकण और गोवा, मध्य महाराष्ट्र, उत्तर कर्नाटका और तेलंगाना में 1 जनवरी 2025 से अब तक कोई बारिश नहीं हुई है। जबकि, लक्षद्वीप में 146% अधिक बारिश हुई, यह लगातार होने वाली क्षेत्रीय उथल-पुथल के कारण है।

शीतकालीन बारिश की कमी के कारण: ला नीना के समय सर्दी के मौसम में देशभर में बारिश की कमी होती है, हालांकि कुछ क्षेत्रों में यह अपवाद हो सकता है। पश्चिमी विक्षोभ की कमी के कारण उत्तर भारत के पहाड़ों में बारिश और बर्फबारी कम हो जाती है। इस समय सर्दियों का मौसम उत्तर, पश्चिम और मध्य भारत के मैदानों में अधिकतर गर्म और शुष्क रहा है। आने वाले फरवरी महीने में भी यही स्थिति बनी रहने की संभावना है। अब तक की बारिश की कमी को पूरा करना मुश्किल लगता है। वहीं, फरवरी में भी बारिश के कम होने की संभावना है, जो देश भर में सामान्य बारिश की उम्मीदों को मुश्किल बना देता है।

फरवरी में बारिश का पूर्वानुमान: फरवरी में भी देश भर में बारिश की स्थिति अत्यधिक खराब रह सकती है। जिसके कारण कई क्षेत्रों में सूखा और पानी की कमी हो सकती है। इन परिस्थितियों को देखते हुए किसानों और अन्य प्रभावित क्षेत्रों को सतर्क रहना होगा।

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डिस्क्लेमर: यह जानकारी स्काइमेट की पूर्वानुमान टीम द्वारा किए गए मौसम और जलवायु विश्लेषण पर आधारित है। हम वैज्ञानिक रूप से सही जानकारी देने का प्रयास करते हैं, लेकिन बदलती वायुमंडलीय स्थितियों के कारण मौसम में बदलाव संभव है। यह केवल सूचना के लिए है, इसे पूरी तरह निश्चित भविष्यवाणी न मानें।

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