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[Hindi] देश के विभिन्न राज्यों में प्री-मॉनसून गतिविधियां बढ़ने की संभावना, उत्तर से लेकर मध्य, दक्षिण और पूर्वी भारत तक होगी बारिश

March 17, 2021 12:15 PM |

सूर्य इस समय उत्तरी गोलार्ध की तरफ बढ़ने लगा है। इसके चलते भारत समेत भूमध्य रेखा के आसपास वाले तमाम देशों में तापमान बढ़ने लगा है। तापमान जब निरंतर ऊपर जाने लगता है और सर्दी का मौसम देश से खत्म हो जाता है तब प्री मॉनसून गतिविधियां विभिन्न भागों में शुरू होती हैं।

भारत में प्री मॉनसून सीजन मुख्यतः मार्च से लेकर मई के बीच चलता है। अप्रैल को पश्चिमी तथा दक्षिणी राज्यों के लिए सबसे गर्म महीना माना जाता है जबकि उत्तर भारत के राज्यों के लिए सबसे ज्यादा गर्म महीना होता है मई का, जब तापमान अपने चरम पर पहुंचता है। इसी दौरान चूरू, गंगानगर, फलोदी जैसे उत्तर भारत के कुछ शहरों में पारा 50 डिग्री को भी टच कर जाता है। मार्च-अप्रैल में तापमान में बढ़ोतरी के साथ ही प्री-मॉनसून गतिविधियां शुरू होती हैं जिसमें बारिश, आंधी, बादलों की गर्जना, ओलावृष्टि, बिजली गिरने जैसी घटनाएं देखने को मिलती हैं।

मध्य भारत के विभिन्न भागों में तापमान बढ़ने लगा है कुछ स्थानों पर 40 डिग्री के करीब पहुंच गया है पारा। गर्मी बढ़ने के साथ मध्य भारत के कुछ भागों में ही हीट लो बनने लगेगा साथ ही साथ वायुमंडल में इस समय स्थिरता काफी कम हो जाती है जिससे गरज वाले बादल विकसित होने लगते हैं। इस समय भी एक ऐसी मौसमी स्थिति विकसित हो रही जिसके चलते उम्मीद कर सकते हैं कि मध्य भारत के कई इलाकों में बादलों की तेज गर्जना या गरज के साथ बौछारें गिरने की संभावना है। विशेष रूप से मध्य प्रदेश, विदर्भ, मराठवाड़ा में 18 मार्च से शुरू हो सकती है और 19 मार्च को पूर्वी राजस्थान, छत्तीसगढ़ समेत मध्य महाराष्ट्र भी इसके दायरे में आएगा।

इन प्री मॉनसून गतिविधियों के साथ कुछ इलाकों में बादलों की तेज गर्जना और तूफानी हवाएं भी चलने की आशंका है। प्री-मॉनसून की गतिविधियां 21 और 23 मार्च के बीच दक्षिण भारत में केरल, तमिलनाडु के कुछ हिस्सों, दक्षिणी कर्नाटक, तेलंगाना के कुछ भागों और झारखंड, ओडिशा तथा बिहार में भी देखने को मिल सकती हैं। इस दौरान कुछ स्थानों पर गर्जना के साथ वर्षा होने की संभावना है।

पूर्वी भारत में ओडिशा, पश्चिम बंगाल, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड और पूर्वोत्तर भारत के कुछ भागों में होने वाली प्री-मॉनसून गतिविधियों को काल बैसाखी या नॉर्वेस्टर के नाम से भी जानते हैं। काल बैसाखी उन स्थितियों को कहते हैं जब इन भागों में कुछ स्थानों पर गरज वाले बादल बनते हैं और बादलों की भीषण गड़गड़ाहट के बीच कई जगहों पर वज्रपात की घटनाएं होती हैं। कुछ इलाकों में बारिश के साथ ओले गिरते हैं और तूफानी रफ्तार से हवाएं चलती हैं। इन गतिविधियों से जान और माल को बड़े पैमाने पर नुकसान होने की आशंका रहती है। यह गतिविधियां आमतौर पर अप्रैल से जून के बीच देखने को मिलती हैं। हम कह सकते हैं कि मार्च में होने जा रही संभावित बारिश काल बैसाखी का रूप तो नहीं लेगी।

Image credit: Independent

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