फरवरी महीने में पूर्वी भारत के राज्यों में अब तक बारिश देखने को नहीं मिली थी। अगर 1 जनवरी से 17 फरवरी तक के कुल बारिश के आंकड़े देखें तो बिहार में 97% की कमी रही, झारखंड में 92% कम बारिश हुई है और पश्चिम बंगाल में 91 प्रतिशत कम वर्षा हुई है। इसके अलावा पूर्वोत्तर राज्यों में लगभग सभी जगहों पर बारिश में कमी है।
इस बीच इस समय पूर्वी भारत के राज्यों पर बारिश के लिए मौसमी स्थितियाँ अनुकूल बन गई हैं। बीते 24 घंटों के दौरान झारखंड, आंतरिक ओड़ीशा और गंगीय पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों में गर्जना के साथ बारिश हुई है। 17 फरवरी को पूर्वी भारत के इन राज्यों में बारिश की गतिविधियां और बढ़ सकती हैं।
वर्तमान मौसमी स्थितियों को देखते हुए अनुमान है कि पूर्वी बिहार में किशनगंज, अररिया, पूर्णिया, सुपौल, मधेपुरा, कटिहार, सहरसा, भागलपुर, बांका और जमुई में कुछ स्थानों पर बेमौसम बरसात तेज़ हो सकती है।
पश्चिम बंगाल में भी बारिश की गतिविधियां जारी रहने के आसार हैं। हालांकि कोलकाता समेत पश्चिम बंगाल के शहरों में तेज़ वर्षा की संभावना फिलहाल नहीं है। दूसरी ओर ओडिशा में सुंदरगढ़, झारसुगुदा, मयूरभंज, बारीपाड़ा और संभालपुर जिलों में कुछ स्थानों पर हल्की से मध्यम बौछारें गिर सकती हैं।
मौसम में इस बदलाव के कारणों पर नज़र डालें तो इस समय विदर्भ और आसपास के भागों पर एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बना हुआ है और इस सिस्टम एक ट्रफ रेखा दक्षिणी प्रायद्वीप तक बनी है। इन सिस्टमों के अलावा ओडिशा के ऊपर एक विपरीत चक्रवाती सिस्टम बना हुआ है। इन सभी सिस्टमों की सक्रियता अगले 24 घंटों तक बनी रहेगी और इसी दौरान इन भागों में बारिश होगी। 18 फरवरी से बारिश में कमी आ जाएगी और 19 फरवरी से मौसम शुष्क हो जाएगा।
आपको बता दें कि ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल और बिहार के भागों में तेज़ बारिश, गर्जना, बिजली गिरने और तूफानी रफ्तार से हवाएँ चलने जैसी गतिविधियां अप्रैल महीने से शुरू होती हैं। अप्रैल से जून के बीच कभी-कभी मौसम का तांडव देखने को मिलता है। मौसम का उग्र प्रदर्शन इन राज्यों में कुछ स्थानों पर जानलेवा भी हो जाता है। इन गतिविधियों को काल बैसाखी या नोर्वेस्टर भी कहा जाता है।
Image credit: Patrika News
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