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[Hindi] उत्तराखंड में इस सीजन में औसत से कम हुई है बारिश और बर्फबारी, फरवरी के आखिरी सप्ताह में व्यापक बर्फबारी की संभावना

February 12, 2021 1:00 PM |

उत्तराखंड में इस साल सर्दियों में बारिश और बर्फबारी सामान्य से 33% कम हुई है। यह आंकड़ा 1 जनवरी से 10 फरवरी के बीच का है। जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में भी कमोबेश ऐसे ही हालात रहे। जम्मू कश्मीर में इस दौरान सामान्य से 24% कम जबकि हिमाचल प्रदेश में सामान्य से 56% कम वर्षा और बर्फबारी दर्ज की गई है। उत्तराखंड में 1 जनवरी से पहले (1 अक्टूबर से लेकर 31 दिसंबर के बीच) भी बारिश और बर्फबारी की गतिविधियां सामान्य से कम रही हैं और यही रुझान इस समय जारी है।

उत्तराखंड में इस दौरान बारिश और बर्फबारी में उतार-चढ़ाव हर साल देखने को मिलता है। अगर हाल के कुछ वर्षों के आंकड़े देखें तो यह और स्पष्ट हो जाएगा। बीते चार-पांच वर्षो के दौरान वर्ष 2019 की सर्दियों में सबसे ज्यादा सामान्य से 99% अधिक वर्षा रिकॉर्ड की गई थी। वर्ष 2020 भी ठीक-ठाक था और इसमें जनवरी-फरवरी में सामान्य से 68% अधिक वर्षा दर्ज की गई थी। लेकिन इसे पीछे चलें तो वर्ष 2016 से 18 के बीच सामान्य से कम बारिश और कम बर्फबारी की हैट्रिक लगी थी। 2016 में सामान्य से 67% कम, 2017 में 53% कम और 2018 में 68% कम वर्षा और हिमपात की गतिविधियां देखने को मिली थीं।

इसम समय उत्तराखंड पर मौसम साफ और शुष्क है और यह मौसम 19 फरवरी तक इसी तरह से जारी रहेगा। हालांकि बीच में 13 फरवरी का दिन कुछ वर्षा या हल्की बर्फबारी पहाड़ों पर कहीं-कहीं दे सकता है। यह गतिविधियां भारी नहीं होंगी। हालांकि इस समय भारी बर्फबारी और वर्षा नहीं होना राज्य में हाल में आई त्रासदी के उपरांत जारी राहत और विकास कार्यों के लिए वरदान साबित हो रही है। धौली गंगा नदी में बाढ़ के बाद मलबे की चपेट में आने से लगभग 200 लोगों के लापता होने के बाद राहत और बचाव कार्य युद्ध स्तर पर जारी है। अगर भारी बारिश और बर्फबारी होती तो यह संभव नहीं था।

उत्तराखंड के लोगों और राहत तथा बचाव कार्यों में लगी विभिन्न एजेंसियों के लिए यह पूर्वानुमान आगाह करने वाला है कि इस तरह के साफ मौसम की अवधि अब ज्यादा से ज्यादा 1 सप्ताह है। उसके बाद 19 फरवरी से राज्य में स्थितियाँ बादल जाएंगी। बारिश और बर्फबारी का दौर शुरू होगा और आशंका है कि यह बारिश का स्पेल कई दिनों तक जारी रहेगा। उस दौरान एक सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ उत्तर भारत के पर्वतीय राज्यों पर आएगा और उसे मैदानी इलाकों पर एक मौसमी सिस्टम चक्रवाती क्षेत्र के रूप में मदद करेगा जिसके कारण कई दिनों तक बारिश और हिमपात होने की आशंका है। चमोली, पिथौरागढ़, मुक्तेश्वर और जोशीमठ समेत उत्तराखंड के कई इलाकों में इसी तरह की गतिविधियां संभावित हैं।

Image credit: Yellow Peaks

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