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मार्च में बेंगलुरु में भारी बारिश की संभावना नहीं

March 19, 2024 5:05 PM |

भारत की “टेक सिटी” बेंगलुरु लगातार कम बारिश से जूझ रहा है और आने वाले दिनों में भी यहाँ अच्छी बारिश की संभावना नहीं है। बता दें, बेगलुरु में पिछले दो महिने से भी ज्यादा समय से एक भी बूँद बारिश नहीं हुई है। आखिरी बार यहां जनवरी महीने के पहले सप्ताह में हल्की बारिश हुई थी। इसके बाद तापमान बढ़ और पानी के भंडार घट रहे हैं। जिससे शहर के लोगों को भारी समस्या का सामना करना पड़ा रहा है।

स्रोतों का जल स्तर बहुत कम: हालांकि, सप्ताह में अखिरी दिनों तक कुछ बारिश होने की संभावना है, लेकिन उम्मीद काफी कम है। हालाँकि, भारी बारिश अभी तक नहीं हुई है, यहाँ तक कि क्षितिज पर भी। आम आदमी की परेशानियों को दूर होने का इंतजार लंबा होता जा रहा है। बेंगलुरु में भयंकर जल संकट देखा जा रहा है, खासकर पीने के पानी के लिए। शहर के लिए पानी का मुख्य स्रोत भूमिगत (बोरवेल) पानी और कावेरी जलाशय हैं। दोनों ही जल स्रोत अब सबसे निचले स्तर पर हैं। बता दें, एक समय पर बेंगलुरु में झीलें  पानी का एक बहुत ही प्रभावी और सक्षम स्रोत थी। लेकिन, कुछ झीलों को एक दूसरे से जोड़ने के प्लान में यह नेटवर्क लगभग पूरी तरह से नष्ट हो गया है।

 सिंतबर में होती है भारी बारिश:  गौरतलब है, बेंगलुरु  वैसे भी सबसे ज्यादा बारिश वाले स्थानों की लिस्ट में शामिल नहीं है। मौसम कोई भी हो  बेंगलुरु में भारी बारिश के बहुत कम मौके आते हैं। जनवरी और फरवरी सबसे कम बारिश वाले महीने हैं, जिनमें जरूरत पड़ने पर भी भरपूर बारिश की उम्मीद नहीं है। मासिक सामान्य क्रमशः 1.9 मिमी और 5.9 मिमी है। माना जाता है कि मार्च की शुरुआत हल्की होगी, लेकिन कुछ दिनों में अच्छी बारिश होगी। वहीं, बारिश का मासिक सामान्य स्तर 18.5 मिमी है, जो जलग्रहण क्षेत्रों के लिए काफी उचित और संतुष्टिदायक आंकड़ा है। तीन अंकों की मासिक वर्षा केवल मई महीने के बाद से होती है। जो दक्षिण-पश्चिम मानसून और मानसून की शुरुआत के बाद तक चलती है। वहीं, सबसे ज्यादा बारिश वाला महीना सितंबर है, जिसमें कुल 213 मिमी वर्षा होती है। इसलिए, अभी भी बेंगलुरु शहर को भिगोने और जल संकट के कठिन समय से निकलने के लिए भीषण बारिश का सही समय अभी बाकी है।

 मार्च में हल्की बारिश के आसार: बता दें, प्री-मॉनसून प्रायद्वीपीय भारत ट्रफ  मार्च महीने में एक अर्ध स्थायी मौसम प्रणाली की विशेषता है, जो कर्नाटक राज्य के आंतरिक भागों से होकर गुजरती है। इस ट्रफ का गर्त का दोलन एक अंतर्निहित विशेषता है और कम से कम कुछ मौको पर छिटपुट वर्षा जरूर करता है। ट्रफ रेखा जल्द ही विदर्भ से लेकर दक्षिणी तमिलनाडु तक पूरे राज्य में फैली हुई दिखाई दे रही है। हालाँकि, ऐसा लगता है कि यह अपनी सामान्य स्थिति के पश्चिम में रहने के लिए ज्यादा इच्छुक है और वह भी न्यूनतम ट्रिगर के साथ। ट्रफ की निकटता और इसके पूर्व-पश्चिम बदलाव से कुछ बादल आ सकते हैं, जिससे बारिश और बूंदाबांदी की संभावना हो सकती है, भले ही बहुत थोड़े समय के लिए। अगर ऐसा होता है, तो शहर जल्द ही पूरी तरह से सूखे की समस्या से मुक्ति पा सकता है। लेकिन, बहुत पक्के तौर नहीं कहा जा सकता है। वहीं, 21 से 23 मार्च के बीच शहर और उपनगरों के कुछ हिस्सों में हल्की बारिश की उम्मीद की जा सकती है।

फोटो क्रेडिट: The Indian Express






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