2025 में शीतकालीन बारिश की भारी कमी, दशक की तीसरी सबसे शुष्क सर्दी

By: skymet team | Edited By: skymet team
Mar 3, 2025, 3:25 PM
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जनवरी और फरवरी को मिलाकर सर्दियों के मौसम की बारिश मानी जाती है। मार्च ट्रांजिशन पीरियड होते हुए भी, इसे देश के उत्तरी भागों के लिए भी प्री-मानसून के रूप में गिना जाता है। इस साल जनवरी में देशभर में सामान्य से 71% कम बारिश दर्ज की गई। जिससे जनवरी बहुत ही शुष्क महीना रहा। फरवरी में थोड़ा सुधार हुआ, लेकिन फिर भी 30% की बारिश कमी दर्ज की गई। कुल मिलाकर 01 जनवरी से 28 फरवरी 2025 के बीच पूरे भारत में शीतकालीन वर्षा की 47% कमी रही, जो कि 2016 और 2018 के बाद तीसरी सबसे शुष्क सर्दी रही है।

भारत में शीतकालीन वर्षा की स्थिति (2015-2025)

पिछले 11 वर्षों (2015-2025) में शीतकालीन वर्षा की तुलना इस प्रकार रही:

भारत में शीतकालीन वर्षा की स्थिति (2015-2025)

भारत में शीतकालीन वर्षा की स्थिति (2015-2025)

भारत के इन हिस्सों में होती है अधिक शीतकालीन बारिश

शीतकालीन वर्षा में सबसे अधिक योगदान उत्तर-पश्चिम भारत और पूर्वोत्तर भारत का होता है। उत्तर-पश्चिम भारत में पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत की तुलना में दोगुनी बारिश होती है। जबकि मध्य भारत में सबसे कम बारिश होती है। इस साल 2025 में फरवरी महीन के पहले भाग तक मौसमी कमी 70% से भी अधिक थी, लेकिन फरवरी के अंतिम सप्ताह में सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ और दक्षिणी प्रायद्वीप में बनी मौसमी गतिविधियों की वजह से कुछ सुधार हुआ।

भारत के सभी क्षेत्रों में बारिश की कमी

भारत के चारों प्रमुख भौगोलिक क्षेत्रों में इस बार शीतकालीन बारिश में भारी कमी दर्ज की गई। 1 जनवरी से 28 फरवरी 2025 तक पूर्व और पूर्वोत्तर भारत में29% कमी, उत्तर-पश्चिम भारत में 45% कमी, मध्य भारत में 90% कमी (लगभग सूखा) और दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत में 45% बारिश की कमी रही है।

इन राज्यों में रही सूखे की स्थिति:

देश के पूर्वी राज्यों जैसे बिहार, झारखंड और ओडिशा में 70% से अधिक वर्षा की कमी दर्ज की गई है। वहीं, गुजरात, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में लगभग कोई वर्षा नहीं हुई है। तमिलनाडु और तटीय कर्नाटक को छोड़कर दक्षिणी प्रायद्वीपीय भारत के सभी उपखंडों में 60% से 90% तक बारिश की भारी कमी देखी गई। इस साल शीतकालीन बारिश में भारी गिरावट दर्ज की गई, जिससे देश के कई हिस्सों में सूखे जैसी स्थिति बनी हुई है।

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डिस्क्लेमर: यह जानकारी स्काइमेट की पूर्वानुमान टीम द्वारा किए गए मौसम और जलवायु विश्लेषण पर आधारित है। हम वैज्ञानिक रूप से सही जानकारी देने का प्रयास करते हैं, लेकिन बदलती वायुमंडलीय स्थितियों के कारण मौसम में बदलाव संभव है। यह केवल सूचना के लिए है, इसे पूरी तरह निश्चित भविष्यवाणी न मानें।

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