उत्तर पश्चिम भारत में मॉनसून का प्रदर्शन जून से लेकर जुलाई के पहले पखवाड़े तक काफी निराशाजनक रहा था। जुलाई के दूसरे पखवाड़े में मॉनसून में सुधार हुआ और हरियाणा, पंजाब, दिल्ली समेत उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में कई जगह बारिश दर्ज की गई। 1 जून से अब तक के बारिश के आंकड़े बताते हैं कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में सामान्य से 22% कम वर्षा रिकॉर्ड की गई है। इस दौरान दिल्ली में जहां 232.9 मिलीमीटर होनी चाहिए वहां बारिश हुई है महज़ 187 मिमी। पंजाब में सामान्य से 3% अधिक तो हरियाणा में सामान्य से 5 फ़ीसदी ज्यादा बारिश रिकॉर्ड की गई है। उत्तर प्रदेश में भी सामान्य से 2% अधिक वर्षा जरूर हुई है लेकिन अधिक बारिश पूर्वी क्षेत्रों में हुई है जबकि पश्चिमी हिस्सों में मॉनसून काफी कमजोर रहा है। पूर्वी उत्तर प्रदेश में सामान्य से 21% अधिक वर्षा हुई है लेकिन पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सामान्य से 33 फ़ीसदी की कमी है। बिहार में सामान्य से 47% ज्यादा मॉनसून वर्षा रिकॉर्ड की गई है।
उत्तर प्रदेश और बिहार में बारिश का नया दौर फिर से शुरू हो गया है। बीते 24 घंटों के दौरान दोनों राज्यों में कई जगहों पर वर्षा दर्ज की गई है। इस बीच अक्षीरी रेखा हिमालय की तराई क्षेत्रों से फिर से दक्षिणवर्ती हो रही है। इसके चलते उत्तर प्रदेश और बिहार पर लगातार बारिश का सिलसिला बना रहेगा और उम्मीद है कि जुलाई की विदाई के बाद 1 और 2 अगस्त को भी इन दोनों राज्यों पर अच्छी वर्षा कई जगह देखने को मिलेगी। बिहार में आने वाले समय में बारिश की गतिविधियां और अधिक बढ़ने और नेपाल के तमाम इलाकों में मूसलाधार वर्षा के चलते बाढ़ का संकट और गहरा सकता है।
दूसरी ओर उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों में बारिश शुरू होने वाली है। उम्मीद है कि 29 जुलाई से पंजाब, हरियाणा और दिल्ली में वर्षा शुरू होगी। इन सभी क्षेत्रों में 30 और 31 जुलाई तक बारिश होने की संभावना है। बारिश के साथ इन भागों में तेज़ हवाएँ चलने और बिजली गिरने की संभावना भी बनी रहेगी। उत्तर भारत के पहाड़ों पर भी मौसम बदलेगा। उत्तराखंड से लेकर जम्मू कश्मीर तक बारिश बढ़ेगी। हालांकि सबसे अधिक वर्षा उत्तराखंड में ही होगी। अगले कुछ दिनों के दौरान पहाड़ों पर बादल फटने की घटनाएँ हो सकती हैं। अचानक बाढ़ का भी खतरा रहेगा।
इस दौरान गंगा के मैदानी भागों में पंजाब से लेकर बिहार तक मॉनसून के सक्रिय रहने, लगातार बादल छाए रहने और आर्द्र हवाएं चलने तथा गर्जना के साथ वर्षा होने के कारण इन सभी भागों में तापमान में व्यापक गिरावट आएगी और गर्मी से लंबी राहत मिलेगी। मूसलाधार वर्षा जहां पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश के अधिकांश भागों के लिए वरदान साबित होगी वहीं बिहार के लिए यह अभिशाप से कम नहीं होगी। बिहार में आने वाली गंडक, बागमती, बूढ़ी गंडक, कोसी, कमला बलान और गंगा सहित अधिकांश नदियां खतरे के निशान से ऊपर रहेंगी और कई इलाकों में जल प्रलय देखने को मिलेगी।
Image Credit: Tribune
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