Polar Vortex 2025: समय से पहले सक्रिय होने जा रहा है पोलर वॉर्टेक्स, कई देशों के मौसम में उतार–चढ़ाव की आशंका

By: AVM GP Sharma | Edited By: Mohini Sharma
Dec 10, 2025, 6:30 PM
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पोलर वोर्टेक्स अपडेट, फोटो: ( साल 2014) NASA/MODIS

मुख्य मौसम बिंदु

  • पोलर वोर्टेक्स में असामान्य शुरुआती व्यवधान से दिसंबर–जनवरी में चरम ठंड का खतरा।
  • उत्तर अमेरिका, यूरोप और एशिया में स्नोस्टॉर्म और बर्फबारी की संभावना बढ़ी।
  • जेट स्ट्रीम की कमजोरी से ठंडी हवा नीचे के क्षेत्रों तक फैल सकती है।
  • उत्तर भारत में भी मौसम पर असर, कड़ाके की ठंड बढ़ने की आशंका।

ध्रुवीय भंवर (पोलर वोर्टेक्स) एक विशाल कम दबाव वाली बेहद ठंडी हवा का सिस्टम है, जो आमतौर पर पृथ्वी के ध्रुवों के पास बनता है। सर्दियों के मौसम में यह फैलकर नीचे की अक्षांशों तक पहुँच जाता है और उत्तर अमेरिका, यूरोप और एशिया में कड़ाके की ठंड ला सकता है। जब ध्रुवीय भंवर (पोलर वोर्टेक्स) अपनी जगह से खिसक जाता है या फट जाता है, तो यह अत्यधिक ठंड, बर्फीली हवाओं और तीव्र हिमपात का कारण बनता है। ऐसे तीव्र ठंड के प्रसार को ही “आर्कटिक ब्लास्ट” कहा जाता है, जो मिड-लैटिट्यूड (मध्य अक्षांश) देशों में बेहद चुनौतीपूर्ण ठंड की स्थिति पैदा करता है।

POLAR VORTEX.png Dec 10

पृथ्वी का वायुमंडल: ट्रोपोस्फियर और स्ट्रैटोस्फियर

पृथ्वी के ऊपर क्षोभमंडल (ट्रोपोस्फियर) नाम का परत होता है, जो पृथ्वी की सतह से लगभग 8–14 किमी तक फैला हुआ है। क्षोभमंडल में ऊँचाई के साथ तापमान घटता है। इसके ऊपर समतापमंडल (स्ट्रैटोस्फियर) होता है, जो पृथ्वी सतह से 16–50 किमी की ऊंचाई तक फैला है, इसमें ऊँचाई बढ़ने पर तापमान बढ़ता है। असल में दो पोलर वोर्टेक्स(ध्रुवीय भंवर) होते हैं, एक समतापमंडल (स्ट्रैटोस्फियर) में और दूसरा उच्च क्षोभमंडल (ट्रोपोस्फियर) में, ये दोनों आर्कटिक क्षेत्र में उत्तरी ध्रुव के ऊपर स्थित रहते हैं। ये दोनों अलग-अलग रूप से शीतलहर/जमाव का कारण बन सकते हैं या एक-दूसरे के साथ मिलकर पैटर्न को तोड़ सकते हैं, जिससे बर्फीले तूफान और हिमपात जैसी मौसम स्थितियाँ पैदा होती हैं।

पोलर वोर्टेक्स की गति और जेट स्ट्रीम का असर

ध्रुवीय भंवर (पोलर वोर्टेक्स) समतापमंडल( स्ट्रैटोस्फियर) और क्षोभमंडल (ट्रोपोस्फियर) दोनों में बेहद तेजी से घूमने वाला एक कॉम्पैक्ट चक्रवात(सघन परिसंचरण) है। इसकी तेज घुमावदार गति (अभिकेन्द्रीय बल) ठंडी हवा को एक साथ कसा हुआ रखती है-जैसे अच्छी तरह चलता हुआ इंजन जो ठंड को उत्तरी ध्रुव पर “कैद” रखता है। हालांकि, ध्रुवीय जेट स्ट्रीम (पोलर जेट स्ट्रीम) के अस्थिर होने के प्रभाव से यह भंवर (वोर्टेक्स) फैलता और अपनी दिशा बदलता है। ऐसा उत्तरी गोलार्ध की सर्दियों के दौरान होता है। हालांकि, ध्रुवीय जेट स्ट्रीम के अस्थिर होने के प्रभाव से, यह भंवर फैलता और अपनी दिशा बदलता है। ऐसा उत्तरी गोलार्ध की सर्दियों के दौरान होता है। ताजा मौसम मॉडल बताते हैं कि इस बार इस वोर्टेक्स(भंवर) में असामान्य रूप से तेज और शुरुआती व्यवधान बन रहा है,ऐसा मौसम विशेषज्ञों की उम्मीद से कई हफ्ते पहले हो रहा है। संभावना है कि यह व्यवधान दिसंबर के अंत या जनवरी की शुरुआत में बिगड़ सकता है, जो मौसम में बड़े बदलाव ला सकता है।

किन क्षेत्रों में पड़ेगा सबसे ज्यादा असर?

उत्तरी अमेरिका, अलास्का, ग्रीनलैंड, उत्तरी यूरोप और खासकर स्कैंडिनेविया जैसे इलाकों में खराब और बेहद ठंडे मौसम का खतरा ज्यादा रहता है। सर्कम्पोलर वेस्टरली जेट स्ट्रीम के कारण ठंडी हवा तेज़ी से फैलती है और बर्फीली हवाएँ इसे दुनिया के कई हिस्सों तक ले जाती हैं, खासकर मिड-लैटिट्यूड (मध्य अक्षांश) और पोलर इलाकों (ध्रुवीय क्षेत्र) में। मध्य और पश्चिम एशिया भी इस कड़ाके की ठंड से प्रभावित होते हैं। सर्दियों के बीच में यह अत्यधिक ठंड उत्तरी भारत के पहाड़ी और मैदानी इलाकों तक भी पहुँच जाती है।

क्या भारत पर असर होगा? अनिश्चितता लेकिन खतरा मौजूद

विशेषज्ञों को इस बार इस असामान्य मौसम घटना के समय से पहले घटित होने की काफी संभावना है। लेकिन अभी इसकी तीव्रता, समय और कितने समय तक चलेगी, इसको लेकर अभी स्पष्टता नहीं है। आने वाले हफ्तों में उच्च स्तरीय गणना मॉडल के विश्लेषण से स्थिति और स्पष्ट होने की उम्मीद है। फिलहाल, परिस्थितियाँ अनुकूल हैं और उचित समय का इंतजार है। उम्मीद है कि इसका भारतीय क्षेत्र पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े।

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AVM GP Sharma
President of Meteorology & Climate Change
AVM Sharma, President of Meteorology & Climate Change at Skymet Weather Services, is a retired Indian Air Force officer who previously led the Meteorological Branch at Air Headquarters in New Delhi. With over a decade of experience at Skymet, he brings a wealth of knowledge and expertise to the organization.
FAQ

यह उत्तरी ध्रुव के ऊपर बना एक विशाल ठंडी हवा का सिस्टम है, जो सर्दियों में कमजोर पड़कर नीचे की ओर फैलता है और चरम ठंड लाता है।

क्योंकि इस बार पोलर वोर्टेक्स में असामान्य और जल्दी व्यवधान देखा जा रहा है, जो विशेषज्ञों की उम्मीद से कई हफ्ते पहले हो रहा है।

हाँ, यदि व्यवधान मजबूत हुआ तो उत्तर भारत तक ठंडी हवाएँ पहुँच सकती हैं, जिससे कोल्ड वेव और कड़ाके की ठंड बढ़ सकती है।

डिस्क्लेमर: यह जानकारी स्काइमेट की पूर्वानुमान टीम द्वारा किए गए मौसम और जलवायु विश्लेषण पर आधारित है। हम वैज्ञानिक रूप से सही जानकारी देने का प्रयास करते हैं, लेकिन बदलती वायुमंडलीय स्थितियों के कारण मौसम में बदलाव संभव है। यह केवल सूचना के लिए है, इसे पूरी तरह निश्चित भविष्यवाणी न मानें।

Skymet भारत की सबसे बेहतर और सटीक निजी मौसम पूर्वानुमान और जलवायु इंटेलिजेंस कंपनी है, जो देशभर में विश्वसनीय मौसम डेटा, मानसून अपडेट और कृषि जोखिम प्रबंधन समाधान प्रदान करती है