टेक सिटी बेंगलुरु के लिए अक्टूबर महीना साल का दूसरा सबसे ज्यादा बारिश वाला महीना होता है। हालांकि, इस बार महीने के पहले हफ्ते में बारिश कमजोर रही है। महीने के शुरुआती छह दिनों में शहर में सिर्फ 16.6 मिमी बारिश दर्ज की गई है।
पिछले दशक में रहा बारिश का बेहतरीन रिकॉर्ड
साल 2010 से 2020 के दशक में अक्टूबर के दौरान बेंगलुरु में सामान्य से कहीं ज्यादा बारिश होती रही है। 2014 में 343.8 मिमी और 2017 में 385.7 मिमी बारिश दर्ज की गई थी। इसी के चलते शहर का सामान्य अक्टूबर वर्षा औसत अब बढ़कर 186.4 मिमी हो गया है (1991-2020 के आंकड़ों के अनुसार)। पहले यह औसत 168.3 मिमी था (1981-2010 के आधार पर)। साल 2021 से 2024 के बीच भी अक्टूबर में औसत से अधिक वर्षा दर्ज की गई है। वहीं, एयर फोर्स स्टेशन येहलहंका में पिछले साल एक दिन में ही 157 मिमी भारी बारिश दर्ज की गई थी।
अब तक कम बारिश, लेकिन जल्द बढ़ेगी तीव्रता
बीते 24 घंटों में बेंगलुरु शहर में केवल 7 मिमी बारिश दर्ज की गई है। हालांकि, आने वाले दिनों में बारिश की गतिविधि धीरे-धीरे बढ़ेगी। 8 से 12 अक्टूबर 2025 के बीच शहर में मध्यम से तेज बारिश की संभावना है। इस दौरान बेंगलुरु में करीब 100 मिमी तक बारिश जुड़ सकती है।
एक साथ सक्रिय कई मौसमी सिस्टम
फिलहाल, तमिलनाडु तट के पास दक्षिण-पश्चिम बंगाल की खाड़ी (BoB) में एक चक्रीय परिसंचरण (Cyclonic Circulation) बना हुआ है। इसके अलावा, तटीय आंध्र प्रदेश से कोमोरिन क्षेत्र तक एक ट्रफ लाइन फैली हुई है, जो रेयलसीमा और दक्षिण आंतरिक कर्नाटक से होकर गुजर रही है।इसके साथ ही, 8 अक्टूबर को उत्तर बंगाल की खाड़ी में एक और चक्रीय परिसंचरण बनने की संभावना है, जो अगले कुछ दिनों तक बना रहेगा। इस सिस्टम से एक ट्रफ रेखा पूर्वी तट से होते हुए उत्तर तमिलनाडु तक फैलेगी।
साथ ही, एक कमजोर परिसंचरण दक्षिण तटीय कर्नाटक और उत्तर केरल के तट के पास भी बन सकता है। इन सभी सिस्टमों के संयुक्त प्रभाव से दक्षिण तटीय आंध्र प्रदेश, उत्तर तमिलनाडु, रेयलसीमा, दक्षिण आंतरिक कर्नाटक, केरल और दक्षिण तटीय कर्नाटक में बारिश की गतिविधियाँ तेज़ होंगी और इसका असर राजधानी बेंगलुरु पर भी दिखेगा।
पूर्वोत्तर मानसून के आगमन के संकेत
मौसम में यह बदलाव दक्षिण भारत में उत्तर-पूर्व (Northeast) मानसून के आगमन से पहले अक्सर देखने को मिलता है। इसे मानसून के आगमन के शुरुआती संकेत यानी ‘प्री-मॉनसून साइन’ माना जाता है। हालांकि, दक्षिण-पश्चिम मानसून अभी देश से पूरी तरह वापस नहीं हुआ है, इसलिए फिलहाल उत्तर-पूर्व मानसून के आगमन की घोषणा नहीं की जा सकती। आमतौर पर, इस मानसून का आगमन 15 अक्टूबर से पहले नहीं होता। पिछले साल भी 15 अक्टूबर को ही उत्तर-पूर्व मानसून ने धमाकेदार तरीके से दस्तक दी थी, जब दक्षिण-पश्चिम मानसून की वापसी देशभर से पूरी हो गई थी।







