बंगाल की खाड़ी में निम्न दबाव क्षेत्र, मानसून के और आगे बढ़ने की संभावना, पूर्वोत्तर में झमाझम बारिश के आसार

May 27, 2025, 3:00 PM | Skymet Weather Team
thumbnail image

चक्रवाती परिसंचरण, प्रतीकात्मक फोटो

उत्तर-पश्चिम और उत्तरी बंगाल की खाड़ी (BoB) में मध्यम क्षोभमंडलीय स्तर तक फैला एक चक्रवाती परिसंचरण (cyclonic circulation) बना हुआ है। इसके प्रभाव से उत्तर-पश्चिम और पश्चिम-मध्य बंगाल की खाड़ी में एक निम्न दबाव क्षेत्र बनने की संभावना है। समुद्री परिस्थितियाँ अनुकूल हैं, इसलिए यह प्रणाली अगले 24 घंटों में और अधिक सक्रिय हो सकती है।

lll.PNG

पूर्वोत्तर और पश्चिम बंगाल में आगे बढ़ सकता है मानसून

इस संभावित निम्न दबाव प्रणाली के पश्चिम की ओर बढ़ने के साथ, दक्षिण-पश्चिम मानसून के आगे बढ़ने की संभावना है, खासकर पूर्वोत्तर भारत, पश्चिम बंगाल और आसपास के क्षेत्रों में। इससे असम, मेघालय और सिक्किम जैसे राज्यों में मानसून की प्रगति दिख सकती है।

बिहार और झारखंड को करना पड़ सकता है इंतजार

हालांकि यह प्रणाली तटीय क्षेत्रों से बहुत भीतर तक नहीं जाएगी, इसलिए मानसून की अग्रसरता बिहार और झारखंड तक सीमित रह सकती है। इन राज्यों को मानसून की अगली 'pulse' यानी नई प्रणाली का इंतजार करना होगा। इस दौरान ओडिशा, दक्षिण छत्तीसगढ़ और उत्तर तटीय आंध्र प्रदेश में प्री-मानसून गतिविधियां तेज होंगी।

ओडिशा और आंध्र तट पर बनेगा सक्रिय मौसम क्षेत्र

चक्रवाती परिसंचरण के कारण ओडिशा और उत्तर तटीय आंध्र प्रदेश के पास संवहन क्षेत्र (convergence zone) बनेगा, जो इन क्षेत्रों में गरज-चमक और बारिश को बढ़ावा देगा। बिहार और झारखंड में कुछ स्थानों पर छिटपुट बारिश और गरज-चमक की गतिविधि बनी रह सकती है यह प्री-मानसून पैटर्न के अनुरूप होगा।

पूर्वोत्तर भारत में 29 मई से 1 जून के बीच भारी मौसम गतिविधि

यह निम्न दबाव क्षेत्र लगभग दो दिनों तक तटीय क्षेत्रों के पास और आंशिक रूप से ज़मीन पर रहेगा। इसके बाद इसका परिसंचरण उत्तर-पूर्व की ओर बांग्लादेश और असम-मेघालय की ओर स्थानांतरित हो जाएगा। इस दौरान 29 मई से 1 जून तक पूर्वोत्तर भारत में तीव्र मौसम गतिविधियाँ, जैसे भारी बारिश और तूफान, देखने को मिल सकती हैं।

मानसून की प्रगति होगी सीमित, नई प्रणाली की जरूरत

इसके बाद यह प्रणाली कमजोर पड़ने लगेगी और अपने प्रभाव क्षेत्र में सिमटने लगेगी। दक्षिण-पश्चिम मानसून की प्रगति सिर्फ गंगीय पश्चिम बंगाल, सब-हिमालयन पश्चिम बंगाल और सिक्किम तक ही सीमित रहने की संभावना है। बिहार और झारखंड जैसे पूर्वी राज्य मानसून की नई लहर (fresh surge) का इंतजार करेंगे।

Similar Articles