Mumbai Rains: मुंबईवासियों को बारिश से मिलेगी राहत, लेकिन महीने के आखिरी दिनों में फिर झमाझम बरसेंगे बादल

Jun 19, 2025, 2:30 PM | Skymet Weather Team
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मुंबई में भारी बारिश, फोटो: PTI

पिछले 24 घंटों के दौरान मुंबई और उसके उपनगरों में मध्यम से भारी बारिश दर्ज की गई। लगातार हो रही बारिश के कारण पवई झील (Powai Lake) का जलस्तर बढ़ गया है,जिससे झील ओवरफ्लो हो गई है। मुंबई, ठाणे, पालघर, रायगढ़ और नवी मुंबई में बारिश का असर अधिक रहा और कुछ इलाकों में बारिश रुक-रुक कर तेज रही। इस बारिश के चलते ट्रेन सेवाएं आंशिक रूप से प्रभावित हुई हैं। कुछ इलाकों में स्कूल बंद कर दिए गए हैं। हालाँकि हवाई सेवाएं जारी हैं, लेकिन देरी देखने को मिल रही है, जो बारिश से जुड़ी श्रृंखलाबद्ध प्रभाव (Cascading Effect) का नतीजा है।

साउथ मुंबई में ज्यादा बारिश, कोलाबा और सांताक्रूज के आंकड़े

दक्षिण मुंबई में उत्तर और मध्य मुंबई की तुलना में अधिक बारिश हुई। कोलाबा वेधशाला में बीते 24 घंटों में 143 मिमी बारिश दर्ज की गई। वहीं, सांताक्रूज़ में 60 मिमी बारिश हुई। इस महीने अब तक कोलाबा में 449 मिमी और सांताक्रूज में 377 मिमी बारिश हो चुकी है। मुंबई में जून महीने के लिए सामान्य औसत बारिश 493.1 मिमी है, यानी यह लक्ष्य जल्द ही पूरा हो सकता है। आने वाले समय में बारिश में थोड़ी राहत मिलने की उम्मीद है।

राजस्थान, झारखंड और छत्तीसगढ़ में मौसमी सिस्टम सक्रिय

फिलहाल एक चक्रवाती परिसंचरण (Cyclonic Circulation) पूर्वोत्तर राजस्थान में बना हुआ है और एक और दक्षिण-पश्चिम राजस्थान में, जो पहले बने कम दबाव के क्षेत्र के अवशेष हैं। एक तीसरा चक्रवाती परिसंचरण झारखंड और छत्तीसगढ़ क्षेत्र में भी बना है, जो भले ही थोड़ा दूर है, लेकिन बाकी दोनों सिस्टम्स के साथ मिलकर बारिश को सहयोग दे रहा है। राजस्थान वाले सिस्टम ज्यादा देर तक सक्रिय नहीं रहेंगे और अगले 24 से 36 घंटों में कमजोर पड़ सकते हैं। झारखंड वाला सिस्टम धीरे-धीरे पश्चिम की ओर बढ़ेगा और उत्तर प्रदेशमध्य प्रदेश की सीमा के पास होकर गुजरेगा।

मुंबई में बारिश कल से होगी कमजोर

मुंबई में कल से बारिश की रफ्तार घटेगी, और सप्ताहांत तक यह और धीमी हो जाएगी। हालांकि, हल्की से मध्यम बारिश जारी रहेगी, लेकिन बीच-बीच में एक या दो बार तेज बारिश होने की संभावना है। तेज बौछार की संभावना बनी रहेगी। जून महीने के आखिरी दिनों में बारिश दोबारा बढ़ सकती है, जब बंगाल की खाड़ी में नया मानसूनी सिस्टम बनेगा और धीरे-धीरे भारत के भीतर आ जाएगा।

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