पूर्वोत्तर में बारिश से राहत, बाढ़ के हालात सुधरने की उम्मीद, अगले हफ्ते फिर बरसात

By: skymet team | Edited By: skymet team
Jun 5, 2025, 3:15 PM
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असम के एक जिले में आई बाढ़, फोटो: PTI

पिछले दो दिनों में पूर्वोत्तर भारत में बारिश की तीव्रता और विस्तार में भारी कमी देखी गई है। बीते 24 घंटों के दौरान डिब्रूगढ़, तेजपुर, सिलचर, गोलाघाट, गोलपाड़ा, धुबरी, कोहिमा, इंफाल, आइजोल, अगरतला और पासीघाट जैसे कई शहरों में सिर्फ एकल अंक (single digit) में वर्षा दर्ज की गई है।

बाढ़ की स्थिति में सुधार के संकेत

कुछ स्थानों पर हल्की से मध्यम वर्षा हुई, लेकिन तेज बारिश अब पूरी तरह गायब रही है। लगातार बारिश थमने के बाद अब बाढ़ की स्थिति में अगले कुछ दिनों में सुधार होने की उम्मीद है। इससे जमीनी और हवाई रास्तों से राहत और बचाव कार्य को तेज़ किया जा सकता है।

पूर्वोत्तर में बाढ़ की जटिलता और ब्रह्मपुत्र की भूमिका

पूर्वोत्तर भारत में बाढ़ की समस्या बेहद जटिल और भौगोलिक रूप से पेचीदा है। असम घाटी के चारों ओर अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर और मेघालय की पहाड़ियाँ फैली हैं। शक्तिशाली ब्रह्मपुत्र नदी असम राज्य के बीचोंबीच टिनसुकिया-डिब्रूगढ़ से लेकर गुवाहाटी होते हुए बांग्लादेश की ओर बहती है। ब्रह्मपुत्र का जलग्रहण क्षेत्र (catchment area) अरुणाचल, तिब्बत और भूटान तक फैला है। इसके साथ असंख्य सहायक नदियाँ और जलधाराएँ हैं जो इस नदी में जल प्रवाह को लगातार बढ़ाती हैं। बारिश कम होने के बाद भी इन जलधाराओं का व्यवहार हिंसक और अनियंत्रित बना रहता है, जो बाढ़ को लगातार बनाए रखता है।

बाढ़ का पानी वापस लौटना धीमा और चुनौतीपूर्ण

ब्रह्मपुत्र और उसकी सहायक नदियाँ अब भी खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। भारी जलराशि नदियों के किनारों को तोड़कर खेतों, सड़कों और गाँवों में घुस चुकी है। यह पानी अब धीरे-धीरे ही वापस नदियों में लौटेगा, जो एक लंबा और थकाऊ प्रक्रिया है। पूर्वोत्तर भारत की विडंबना यह है कि मानसून की बारिश बार-बार लौटती रहती है, जिससे बाढ़ का यह चक्र टूट नहीं पाता। यह एक तरह का ‘रिले रेस’ बन जाता है, जिसका अर्थ है एक दौर की बारिश खत्म होते ही दूसरा शुरू हो जाता है।

10 जून के बाद फिर से बारिश की संभावना

हालांकि अभी बारिश में जो ब्रेक आया है वह केवल अस्थायी है। 10 जून के आसपास बंगाल की खाड़ी में एक नया कम दबाव का क्षेत्र (low pressure area) बनने की संभावना है। इससे पहले उसी क्षेत्र में एक चक्रवाती परिसंचरण (cyclonic circulation) दिखाई देगा।

यह स्थिति बंगाल की खाड़ी से नमी से भरी दक्षिणी हवाओं को असम घाटी और उसके आस-पास की पहाड़ियों की ओर खींचेगी। 10 से 15 जून के बीच फिर से मध्यम से भारी बारिश हो सकती है। यह बारिश पहले की तरह भले ही तीव्र न हो, लेकिन सावधानी और तैयारी बेहद जरूरी होगी।

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डिस्क्लेमर: यह जानकारी स्काइमेट की पूर्वानुमान टीम द्वारा किए गए मौसम और जलवायु विश्लेषण पर आधारित है। हम वैज्ञानिक रूप से सही जानकारी देने का प्रयास करते हैं, लेकिन बदलती वायुमंडलीय स्थितियों के कारण मौसम में बदलाव संभव है। यह केवल सूचना के लिए है, इसे पूरी तरह निश्चित भविष्यवाणी न मानें।

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