न्यू ईयर के आसपास कश्मीर में जमा देने वाली सर्दी, चिल्लई कलां होगा और सख्त, पड़ेगी हाड़ कंपाने वाली ठंड

By: AVM GP Sharma | Edited By: Mohini Sharma
Dec 29, 2025, 2:40 PM
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जम्मू कश्मीर में हांड कंपा देने वाली ठंड, फोटो: PTI

मुख्य मौसम बिंदु

  • चिल्लई कलां 21 दिसंबर से 31 जनवरी तक रहता है
  • इस दौरान तापमान शून्य से नीचे चला जाता है
  • पश्चिमी विक्षोभ से बर्फबारी और बारिश की संभावना
  • पर्यटन और जल संसाधनों के लिए अहम दौर

चिल्लई कलां कश्मीर की सर्दियों का सबसे भीषण चरण माना जाता है, जो 21 दिसंबर से 31 जनवरी तक रहता है। इस दौरान घाटी में कड़ाके की ठंड, शून्य से नीचे तापमान और भारी बर्फबारी आम बात होती है।हालांकि यह समय बेहद कठिन होता है, लेकिन यह जल संसाधनों के पुनर्भरण और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए बेहद अहम माना जाता है। अगर इस अवधि में बर्फबारी में देरी होती है, तो इसका पर्यटकों की संख्या और क्षेत्र के पारिस्थितिक संतुलन पर नकारात्मक असर पड़ता है।

पर्यटन और शीतकालीन खेलों के लिए अहम समय

श्रीनगर, पहलगाम और गुलमर्ग पर्यटकों के प्रमुख आकर्षण केंद्र हैं। यह दौर राज्य को जनवरी-फरवरी में होने वाले शीतकालीन खेलों के लिए भी तैयार करता है। चिल्लई कलां का महत्व केवल मौसम तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका जलवायु, सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व भी कश्मीर के लिए बेहद खास है। चिल्लई कलां के बाद चिल्लई-खुर्द (20 दिन) और फिर चिल्लई बाचे (10 दिन) आता है, जिसमें ठंड अपेक्षाकृत कम होती है।

चिल्लाई कलां के दौरान कश्मीर का मौसम

चिल्लाई कलां के दौरान कश्मीर का मौसम, सांकेतिक तस्वीर

जल्द और अधिक सख्त हो सकता है चिल्लई कलां

चिल्लई कलां के और अधिक कठोर होने की संभावना है और यह कभी भी प्रभावी रूप से शुरू हो सकता है। इस समय पश्चिमी हिमालय क्षेत्र पर एक पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय है, जिसका असर पहाड़ों के साथ-साथ मैदानी इलाकों पर भी पड़ रहा है। श्रीनगर, अवंतीपोरा, पहलगाम और गुलमर्ग में आसमान पहले ही घने बादलों से ढक चुका है। वहीं, जम्मू, उधमपुर और कटरा जैसे तराई क्षेत्रों में मुख्य सिस्टम से पहले ही घना कोहरा छाया हुआ है।

चिल्लाई कलां के दौरान जमी डल झील

चिल्लाई कलां के दौरान जमी डल झील, फोटो- इंडिया टीवी

30 दिसंबर से 1 जनवरी के बीच सक्रिय रहेगा मौसम

मौसम की परिस्थितियाँ कल से और ज्यादा सख्त होने की संभावना है। 30 दिसंबर से 1 जनवरी के बीच पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी, जबकि तराई और मैदानी क्षेत्रों में बारिश होने की उम्मीद है। नए साल के जश्न के दौरान मौसम पूरी तरह सर्दियों के रंग में रंगा रहेगा, जो स्थानीय लोगों और पर्यटकों दोनों के लिए खास अनुभव होगा।

2 जनवरी से और तेज होगी ठंड की मार

इस मौसम प्रणाली के गुजरने के बाद 2 जनवरी से ठंड और भी तेज व चुभने वाली हो जाएगी। घाटी में न्यूनतम तापमान में भारी गिरावट दर्ज की जाएगी। राजधानी श्रीनगर, जहां इस सीजन का अब तक का न्यूनतम तापमान -4.5°C रहा है, उससे भी नीचे जाने की संभावना है। तराई और मैदानी इलाकों में भी तापमान बेहद कठोर हो जाएगा।

उत्तर भारत में फैलेंगी शीत लहर की स्थिति

पर्यटन स्थलों पर जमाव बिंदु से नीचे तापमान और पहाड़ों की चोटियों पर बर्फ की मोटी परतें बनेंगी। इन परिस्थितियों के चलते पहाड़ों से उतरती ठंडी हवाएं उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में शीत लहर की स्थिति पैदा करेंगी, जिससे ठंड का असर और ज्यादा बढ़ जाएगा।

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AVM GP Sharma
President of Meteorology & Climate Change
AVM Sharma, President of Meteorology & Climate Change at Skymet Weather Services, is a retired Indian Air Force officer who previously led the Meteorological Branch at Air Headquarters in New Delhi. With over a decade of experience at Skymet, he brings a wealth of knowledge and expertise to the organization.
FAQ

चिल्लई कलां कश्मीर की सर्दियों का सबसे ठंडा और कठोर दौर होता है, जिसमें भारी बर्फबारी और कड़ाके की ठंड पड़ती है।

बर्फबारी के कारण पर्यटन को बढ़ावा मिलता है, खासकर गुलमर्ग और पहलगाम जैसे क्षेत्रों में।

चिल्लई कलां के बाद चिल्लई-खुर्द (20 दिन) और फिर चिल्लई बाचे (10 दिन) का दौर आता है, जिसमें ठंड कम होती है।

डिस्क्लेमर: यह जानकारी स्काइमेट की पूर्वानुमान टीम द्वारा किए गए मौसम और जलवायु विश्लेषण पर आधारित है। हम वैज्ञानिक रूप से सही जानकारी देने का प्रयास करते हैं, लेकिन बदलती वायुमंडलीय स्थितियों के कारण मौसम में बदलाव संभव है। यह केवल सूचना के लिए है, इसे पूरी तरह निश्चित भविष्यवाणी न मानें।

Skymet भारत की सबसे बेहतर और सटीक निजी मौसम पूर्वानुमान और जलवायु इंटेलिजेंस कंपनी है, जो देशभर में विश्वसनीय मौसम डेटा, मानसून अपडेट और कृषि जोखिम प्रबंधन समाधान प्रदान करती है