मार्च का महीना देश के कई इलाकों में खेती के लिए अच्छा नहीं रहा। पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के कई हिस्सों में व्यापक बारिश हुई। यहां तक कि गुजरात में भी बेमौसम बारिश हुई। लेकिन गुजरात में यह बारिश केवल हल्की से मध्यम बारिश हुई। इस बेमौसम बरसात से फसलों को नुकसान होने का डर पैदा कर दिया है। देशभर में फसलें इस समय जिस अवस्था में हैं, बारिश हानिकारक होती जाती है और निश्चित रूप से फसलों की पैदावार को प्रभावित करती है।
बिहार सरकार ने किसानों को आर्थिक अनुदान के लिए 518 करोड़ रुपये का आवंटन किया है। जिन किसानों की फसल का 33% से अधिक नुकसान हुआ है, उन्हें राज्य सरकार मदद देगी। किसान बेमौसम बारिश और सरकार द्वारा लगाए गए लॉक डाउन की दोहरी मार झेल रहे हैं। 21 दिनों की यह देशव्यापी बंदी ऐसे समय में हुई है जब तमाम रबी फसलें कटाई-मड़ाई की अवस्था में पहुँच गई हैं।
हालांकि सरकार ने खेती के काम को निपटाने की छूट दे दी है। लॉकडाउन के चलते खेत मजदूर नहीं मिल पा रहे हैं। जिससे किसानों की चिंता और बढ़ गई है। गेहूं, चना, सरसों और मसूर की फसलें पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, मध्य प्रदेश समेत देश के कई भागों में तैयार हैं। ऐसे में अगर देर से कटाई होती है तो गेहूं और सरसों की उपज का 5-10% का नुकसान हो सकता है। लॉकडाउन ने मंडियों में बंदी से अनाज की बिक्री की प्रक्रिया को भी पटरी से उतार दिया है। किसानों द्वारा पंजीकरण और खरीद की योजना नए सिरे से बनाने की जरूरत है।
दुनिया भर में कोरोना वायरस का प्रकोप
कोरोनवायरस दुनिया के लगभग 200 देशों में पहुँच चुका है। विश्व में अब तक लगभग 8 लाख लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं। यूरोपीय देशों और अमरीका में संक्रमण तेज़ी से बढ़ रहा है। यह वैश्विक संकट नियंत्रण से परे है और अभी तक दूर है। भारत में संक्रमण के 1251 मामले सामने आए हैं। अब तक 32 मौतें हो चुकी हैं। गर्म तापमान और आर्द्र स्थितियों को कोरोनावायरस के दुष्प्रभाव को कम करने वाला माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि गर्म और आर्द्र क्षेत्रों की तुलना में वायरस ठंडे मौसम में लंबे समय तक अपने अस्तित्व को बनाए रखता है। तापमान में वृद्धि से कम से कम वायरस का प्रसार कम हो जाता है। वायरस के लंबे समय तक अस्तित्व में रहने की संभावना कम हो जाती है। अब तक देश के उत्तर, मध्य और पूर्वी हिस्सों में गर्मी अपने असली रंग में नहीं आई है। यहां तक कि दक्षिण भारत में भी इस बार गर्मी अब तक कम पड़ रही है।
देश भर में 14 अप्रैल तक बंदी
तीन सप्ताह का राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन 14 अप्रैल 2020 तक चलेगा। इस महामारी से भारत को बचाने का इससे कमजोर उपाय कारगर नहीं हो सकता था। इस समय दुनिया आर्थिक मंदी और वैश्विक महामारी की दो धारी तलवार पर चल रही है। वायरस के संक्रमण को रोकने के जो भी उपाय किए जा रहे हैं उनसे अर्थव्यवस्था बर्बाद हो रही है। भारत, चीन और अमरीका सहित जी-20 देशों ने विकास दर की गति को बेहतर करने, बाजार की स्थिरता बनाए रखने और कोविड-19 से लड़ने के लिए एक जुट होने का फैसला किया है।
भारत में बदलता मौसम
अप्रैल महीना शुरू हो गया है। अब गर्मी देश भर में बढ़ेगी और गर्जना के साथ आँधी-तूफान की घटनाएँ लगभग पूरे देश को प्रभावित करेगी। हालांकि ऐसा मौसम लगभग दो सप्ताह या उससे भी अधिक पीछे है। इस समय तक देश के कई इलाकों में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस तक आसानी से पहुँच जाता है लेकिन इस साल मध्य प्रदेश के खरगौन जैसे केवल एक-दो स्थानों पर ही पारा 40 डिग्री तक पहुंचा है। ज़्यादातर जगहों पर अभी यह काफी नीचे चल रहा है और आने वाले दिनों में जल्द गर्मी का प्रचंड रूप नहीं दिखेगा।
उत्तर भारत
उत्तर भारत में पिछले सप्ताह व्यापक बारिश होने के कारण दिन और रात का तापमान नहीं बढ़ने पाया है। मार्च सम्पन्न होने से पहले 30 मार्च को भी एक सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ आया। जिससे 2 अप्रैल तक पहाड़ों पर बारिश और बर्फबारी होने की संभावना है। जम्मू-कश्मीर में 31 मार्च को बारिश हुई और 1 अप्रैल को भी व्यापक वर्षा के आसार हैं। उत्तराखंड सबसे कम प्रभावित होगा। पंजाब और हरियाणा के उत्तरी भागों में 31 मार्च से मौसम बदला और 1 अप्रैल तक हल्की से मध्यम बारिश जारी रहने की संभावना है। सप्ताह के बाकी दिनों में समूचे उत्तर भारत में मौसम शुष्क रहेगा। इससे कई स्थानों पर तापमान 35 डिग्री तक पहुँचने की उम्मीद है।
पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत
बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल राज्य पूरे सप्ताह कोई महत्वपूर्ण मौसमी गतिविधि की आशंका नहीं है। इससे तापमान बढ़ेगा और संभवतः कुछ इलाकों में 37-38 डिग्री तक तापमान पहुँच सकता है। पूर्वोत्तर राज्यों में भी सप्ताह की शुरुआत धीमी होगी लेकिन सप्ताह के दूसरे भाग में पूर्वोत्तर भारत के राज्यों में कई जगहों पर तेज़ वर्षा होने की संभावना है। अरुणाचल प्रदेश, असम और मेघालय में संभवत: तेज हवाओं और बिजली कड़कने की घटनाओं के साथ मध्यम से भारी वर्षा देखने को मिल सकती है।
मध्य भारत
देश के मध्य भागों में मौसम की अनिश्चित स्थिति जल्द बदलती दिखाई नहीं दे रही है। गुजरात में पिछले सप्ताह बेमौसमी बरसात के बाद इस बार मौसम पूरी तरह से सूखा रहने वाला है। गुजरात के तमाम शहरों में दिन का तापमान 38 डिग्री के आसपास जा सकता है। महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और ओडिशा में 30 और 31 मार्च को कुछ स्थानों पर ओलावृष्टि और गरज के साथ हल्की से मध्यम बारिश हुई। लेकिन इस सप्ताह में दिन के तापमान में बढ़ोतरी होने वाली है।
दक्षिण भारत
दक्षिण भारत में इस बार प्री-मॉनसून सीजन कमजोर है। सामान्य से कम बारिश हो रही है। हालांकि सप्ताह की की शुरुआत में 30 और 31 मार्च को तेलंगाना के उत्तरी हिस्सों में हल्की बारिश दर्ज की गई। केरल और दक्षिण आंतरिक कर्नाटक (बेलगावी, हासन और मंडया) में भी ऐसी ही गतिविधियां देखने को मिलीं। बाकी हिस्सों में पूरे सप्ताह मौसम सूखा रहेगा। तमिलनाडु के आंतरिक हिस्सों, रायलसीमा और उत्तरी आंतरिक कर्नाटक में तापमान तेज़ी से बढ़ेगा।
दिल्ली-एनसीआर
दिल्ली-एनसीआर में इस सप्ताह कम से कम मौसमी सक्रियता की उम्मीद है। हालांकि 31 मार्च को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में हल्की बारिश हुई। अप्रैल का आगाज़ साफ मौसम के साथ हुआ है। बाकी के दिनों में भी साफ आसमान और शुष्क मौसम के बीच चमकती धूप रहेगी। लेकिन साफ मौसम के बाद भी इस सप्ताह भी दिन का तापमान 35 डिग्री से ऊपर जाएगा, ऐसी संभावना कम है।
चेन्नई
चेन्नई में सप्ताह के दौरान गर्मी और उमस भरे मौसम का सिलसिला जारी रहने वाला है। कह सकते हैं मौसम के संदर्भ में पिछले सप्ताह की ही पुनरावृत्ति होगी। अधिकतम तापमान 35 डिग्री और न्यूनतम 25 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहेगा।
Image credit: Lucknow City
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