तूफान की दस्तक! अरब सागर में बन सकता है साल का पहला चक्रवात
पूर्व-मध्य अरब सागर में, उत्तर तटीय कर्नाटक और गोवा के पास एक चक्रवाती परिसंचरण (Cyclonic Circulation) बना हुआ है। इसके प्रभाव से जल्द ही एक निम्न दबाव क्षेत्र (Low Pressure Area) बनने की संभावना है। वर्तमान में यह सिस्टम 16.5°N और 71.5°E के पास केंद्रित है, जो मुंबई से लगभग 500 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में स्थित है। इसके कल 22 मई तक डिप्रेशन (Depression) बनने और आगे तेज होने की आशंका है।
तूफान
मौसमीय परिस्थितियाँ अनुकूल, लेकिन तूफान बनने में समय लगेगा
समुद्र की सतह का तापमान और अन्य पर्यावरणीय स्थितियाँ इस सिस्टम के अधिक मजबूत होने के लिए अनुकूल हैं। हालांकि अभी यह कहना जल्दबाजी होगी कि यह एक चक्रवाती तूफान (Cyclonic Storm) में बदल जाएगा, लेकिन संभावना जरूर बनी हुई है कि यह उत्तर-पूर्वी अरब सागर में दक्षिण गुजरात और सौराष्ट्र तट के पास एक चक्रवात का रूप ले सकता है।
इस क्षेत्र के तूफान अनिश्चित होते हैं
इस मौसम में इस क्षेत्र में बनने वाले ट्रॉपिकल सिस्टम (Tropical Systems) आमतौर पर बहुत स्पष्ट नहीं होते। इनके मार्ग (track), ताकत (intensity) और समय-सीमा (timelines) की सही जानकारी थोड़ी देर से मिलती है। ऐसे सिस्टम अक्सर कुछ समय तक समुद्र में घूमते रहते हैं और फिर किसी दिशा में रुख करते हैं। इसके अलावा, उत्तर-पूर्वी अरब सागर, दक्षिण पाकिस्तान और सौराष्ट्र-कच्छ तट के पास का समुद्र शेष क्षेत्र की तुलना में लगभग 2°C ठंडा है। यह तापमान अंतर सिस्टम को अधिक मजबूत नहीं होने देगा, बल्कि इसे कमजोर भी कर सकता है।
डिप्रेशन के असर से होगी भारी बारिश
इस सिस्टम के निम्न दबाव क्षेत्र और बाद में डिप्रेशन बनने के कारण अगले 3-4 दिनों तक कोंकण, दक्षिणी तटीय गुजरात और दक्षिणी सौराष्ट्र में भारी बारिश हो सकती है। मौसम प्रणाली की दिशा को लेकर असमंजस की स्थिति बनी रहेगी क्योंकि उच्च वायुमंडलीय स्तरों पर उत्तर अरब सागर में एक एंटीसायक्लोन (Anticyclone) और रिज (Ridge) मौजूद है। इससे सिस्टम की दिशा तय करने वाली steering currents में भी अनिश्चितता बनी हुई है।
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कई दिशाओं में बढ़ सकता है तूफान का खतरा
अगर यह सिस्टम चक्रवात बनता है तो यह यमन-ओमान, पाकिस्तान तट या सौराष्ट्र-कच्छ की ओर भी बढ़ सकता है। इसलिए इस संभावित डिप्रेशन की आगे की गतिविधियों पर करीब से नज़र रखना ज़रूरी है। अगले 36 घंटों में इसके चक्रवात बनने की संभावना कम है, लेकिन यह पूरी तरह से नकारा नहीं जा सकता।







